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चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग पर NASA ने दी ISRO को बधाई

नासा ने एक ट्वीट में कहा कि इसरो को चंद्रयान 2 के लिए बधाई. नासा ने कहा कि चंद्रयान 2 के अध्ययन पर उनकी नजर रहेगी और वे इससे मिलने वाली सीख पर भी नजर रखेंगे.

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अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का अपोलो मिशन (IANS)
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का अपोलो मिशन (IANS)

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के दूसरे मून मिशन Chandrayaan-2 की सफल लॉन्चिंग पर बधाई दी है. नासा ने कहा है कि इसरो को चंद्रयान 2 के लिए बधाई, यह मिशन चांद पर अध्ययन करेगा. नासा ने कहा कि चंद्रयान 2 के अध्ययन पर उनकी नजर रहेगी और वे इससे मिलने वाली सीख पर भी नजर रखेंगे.

नासा ने अपने बधाई संदेश में कहा, 'चंद्रयान 2 के लॉन्च पर इसरो को बधाई. यह मिशन चंद्रमा के अध्ययन के लिए शुरू हुआ है. हमें अपने डीप स्पेस नेटवर्क के जरिये आपका (इसरो, भारत) सहयोग करने में गर्व है. हम इस पर भी गौर करेंगे कि आपने लुनार साउथ पोल के बारे में क्या सीखा जहां कुछ वर्षों में हम अपना एस्ट्रोनॉट अर्टेमिस मिशन भेजने जा रहे हैं.'

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भारत के दूसरे चंद्रमा अभियान चंद्रयान-2 को बाहुबली रॉकेट (जीएसएलवी-मार्क-3) के साथ सोमवार की दोपहर बाद सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया. यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र का अध्ययन करेगा जोकि अभी तक दुनिया के किसी भी अंतरिक्ष मिशन में नहीं किया गया है. 375 करोड़ रुपये के जियोसिंक्रोनाइज सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (जीएसएलवी एम-3) रॉकेट ने 3.8 टन वजनी व 603 करोड़ रुपये की कीमत के चंद्रयान-2 को लेकर अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी.

कुल 43.4 मीटर लंबे और 640 टन वजनी जीएसएलवी एम-3 का उपनाम कामयाब रही बाहुबली फिल्म के सुपर हीरो के नाम पर रखा गया है. यह रॉकेट भारत के दूसरे मिशन को अंजाम देने के लिए 3.8 टन वजनी चंद्रयान-2 को अपने साथ लेकर गया.

चंद्रयान-2 पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की लगभग 384,400 किमी की यात्रा तय करेगा. लॉन्च के बाद, इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा, "मुझे यह घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि जीएसएलवी मार्क-3 ने चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में दाखिल कर दिया है. यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत है. मैं चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण में शामिल सभी लोगों को सलाम करता हूं."

चंद्रयान-2 मिशन की सफलता के बाद भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा की यात्रा और उसकी सतह पर उतरने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. अब तक कुल 38 लैंडिंग के प्रयास किए गए हैं, जिनमें सफलता की दर 52 फीसदी रही है.

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जीएसएलवी एम-3 का उपयोग 2022 में भारत के मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन के लिए किया जाएगा. भारत में वर्तमान में पूरी तरह से चलने वाले दो रॉकेट हैं. इनमें पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) और जियोसिंक्रोनाइज सैटेलाइट लांच व्हीकल मार्क-3 (जीएसएलवी एम-3) शामिल हैं.

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