पाकिस्तान के नेता मौलाना फजलुर रहमान ने आर्मी चीफ आसिम मुनीर से अफगानिस्तान और इंडियन स्ट्राइक को लेकर सवाल पूछा तो शहबाज सरकार बैकफुट पर आ गई. 21 दिसंबर को कराची के ल्यारी पहुंचे मौलाना फजलुर रहमान ने पाकिस्तान फौज के सीनियर जनरलों और हुक्मरानों से दो टूक पूछा था कि अगर आप काबुल पर अपने हमले को जायज ठहराते हो तो भारत ने मुरीदके और बहावलपुर पर हमलाकर क्या गलत किया?
मौलाना फजलुर रहमान के सवाल से पाकिस्तान की सियासत में सनसनी मच गई है. क्योंकि पाकिस्तान के एक बड़े नेता ने पाकिस्तान की सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाया है.
अब पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फजल) (JUI-F) के अध्यक्ष मौलाना फजलुर रहमान के बयान पर सफाई दे रहे हैं. रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि भारत, उसके एजेंटों और समर्थकों द्वारा उठाए गए किसी भी संदेह का जवाब मुल्क दे रहा है.
नहीं हो सकती है तुलना
ख्वाजा आसिफ ने कहा कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के खिलाफ इस्लामाबाद की कार्रवाई और मई में भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ बिना किसी उकसावे के की गई कार्रवाई के बीच तुलना को "गलत और अनुचित" बताया. ख्वाजा आसिफ ने कहा कि हमारे एक्शन और भारत का हमला एक जैसा नहीं है और इसकी तुलना नहीं की जा सकती है.
बता दें कि भारत ने पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए 7 मई 2025 को पाकिस्तान पर हमला किया था. इस दौरान भारत ने मुरीदके और बहावलपुर समेत कई आतंकी अड्डों को नष्ट कर दिया था.
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ख्वाजा आसिफ ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि पाकिस्तान के "निष्पक्ष जांच" के प्रस्ताव के बावजूद, भारत आज तक पहलगाम हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता का "सबूत नहीं दे पाया है." लेकिन बड़बोले ख्वाजा आसिफ ने पहलगाम आतंकियों के पास मिले सबूतों पर कुछ भी नहीं कहा.
फजलुर रहमान के सवालों का सीधा जवाब दिए बिना रक्षा मंत्री ने कथित रूप से यूएन की एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा, "संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट से यह भी साफ होता है कि भारतीय हमला गैर-कानूनी और बिना सबूत के था और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया पूरी तरह से सही थी."
भारत और उसके एजेंटों के संदेह का जवाब दिया है
उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र भी अफगान तालिबान के शासन में आतंकवाद को लेकर चिंतित हैं, और कहा कि आतंकवादी संगठनों की मौजूदगी और पाकिस्तान में घुसपैठ करने वाले आतंकवादी "इसका साफ सबूत हैं."
उन्होंने आगे कहा कि "भारत, उसके एजेंटों और समर्थकों द्वारा उठाए गए किसी भी संदेह" का जवाब देश ने "पहले भी दिया था और आज भी दे रहा है."
लेकिन ख्वाजा आसिफ ने यह नहीं बताया था कि अफगानिस्तान में सोते बच्चों पर पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक का क्या तुक है. इस हमले में 10 मासूम बच्चों की नींद में ही मौत हो गई थी.
पाकिस्तान-अफगानिस्तान में टेंशन
हाल के दिनों में अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों में तनाव आया है, क्योंकि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान दोनों देशों के बीच विवाद का मुख्य कारण बना हुआ है.
पाकिस्तान ने मांग की है कि काबुल के शासक सीमा पार आतंकवाद को रोकने के लिए कार्रवाई करें. अफगान तालिबान ने इस्लामाबाद के इन आरोपों से इनकार किया है कि आतंकवादियों को पाकिस्तान में हमले करने के लिए अफगान जमीन का इस्तेमाल करने की इजाजत दी जा रही है.
अफगान तालिबान ने भी ऐसी ही गारंटी पाकिस्तान से मांगी है. लेकिन पाकिस्तान इस पर चुप्पी साध जाता है.
अक्टूबर में दोनों देशों के बीच सीमा पर हुई झड़पों के बाद बातचीत की प्रक्रिया के दौरान, दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच स्थायी शांति और स्थिरता के लिए तंत्र पर काम करने के प्रयास में मुलाकात की थी. लेकिन तीन से चार राउंड की बातचीत के बाद भी इन वार्ता को कोई नतीजा नहीं निकला.
मौलाना फजलुर रहमान ने 21 दिसंबर को ल्यारी में कहा था कि पाकिस्तान को ऐसा अफगानिस्तान चाहिए जो प्रो-पाकिस्तान हो. लेकिन जाहिर शाह से लेकर अशरफ गनी तक अफगानिस्तान की सरकार प्रो इंडिया है, प्रो पाकिस्तान नहीं. ऐसा लगातार होता आया है.