
तेहरान के इंकलाब चौक पर गजब की भीड़ है, बुर्कानशीं महिलाएं, पगड़ी पहने पुरुष, यहां तक कि अधेड़ भी सड़क पर निकल पड़े हैं. लोगों के हाथों में ईरान का परचम है, तो कुछ लोग सुप्रीम नेता अली खामेनेई की तस्वीर लिए हुए हुंकार भर रहे हैं. ईरानी जनता के मुताबिक ये हाल की जंग में दुश्मन इजरायल को सबक सिखाने का जश्न है.
कुछ लोग इजरायल और अमेरिका की तबाही की इच्छा जताते हुए उनके सर्वनाश का नारा लगाते हैं और जोशीली भीड़ एक साथ इस नारे को दोहराती है. तेहरान जैसी ये भीड़ ईरान के कई और शहरों में देखने को मिल रही है. इन दिनों पूरा ईरान इजरायल पर कथित जीत के उत्सव में डूबा है.
तेहरान के इंकलाब स्क्वायर में मनाया गया ये विजय उत्सव ठीक वैसा ही लगता है जैसा कि पाकिस्तान का वो जश्न था जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के हाथों बुरी तरह से पराजित होने के बाद हमारे पड़ोसी मुल्क ने मनाया था. भारत पाकिस्तान की हालिया जंग में 10 मई को सीजफायर हुआ था. 11 मई को पाकिस्तान ने यौम-ए-तशक्कुर (धन्यवाद दिवस) मनाया.
पाकिस्तान जैसा ही रहा ईरान का जश्न
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में नौ ठिकानों पर हमला किया था. भारत ने पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया. भारत ने पाकिस्तान के एयर स्पेस को छिन्न भिन्न कर दिया और जहां चाहा वहां पर हमला किया. पाकिस्तान के 10 से 11 एयरबेस को भारत ने जोरदार नुकसान पहुंचाया. इस ऑपरेशन में आतंकी समेत पाकिस्तान के 160 लोग मारे गए.

इसके बावजूद घरेलू मोर्चे पर पाकिस्तान ने इस जंग में अपनी जीत घोषित की और जश्न मनाया.
12 मई को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली का एक सत्र बुलाया गया, जिसमें इस कथित "जीत" पर लंबी-लंबी तकरीरें की गईं. इस सत्र को राष्ट्रीय एकता और सैन्य ताकत के प्रदर्शन के रूप में पेश किया गया.
इधर 12 दिनों तक चले इजरायल-ईरान युद्ध में ईरान को भारी नुकसान हुआ. उसके 8 से 10 परमाणु वैज्ञानिकों को इजरायल ने मार डाला. ईरान का पूरा सैन्य नेतृत्व की इजरायल ने साफ कर दिया. इसके बाद ईरान को जो सबसे अहम नुकसान हुआ वो था उसके तीन परमाणु ठिकाने (नतांज, फोर्डो, इस्फहान) इस हमले में बर्बाद हो गए. अमेरिकी बी-2 विमानों से इन तीन परमाणु केंद्रों पर हमले के बाद ईरान की परमाणु महात्वाकांक्षा ध्वस्त हो गई.
ईरान का एयर स्पेस पुरी तरह से इजरायल और अमेरिका के लिए खुल चुका था. वे जब चाह रहे थे हमला कर रहे थे. ईरान को इस हमले में जबर्दस्त नुकसान हुआ. इस हमले में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 650 लोगों की मौत हुई, लेकिन मानवाधिकार संगठन ईरान के मृतकों का आंकड़ा 1000 तक बताते हैं.
इसके बावजूद ईरान ने इसे "जीत" के रूप में प्रचारित किया. ईरान के प्रॉक्सी संगठनों हिज़्बुल्लाह, हौती ने इसे इजरायल की हार और ईरान की जीत के रूप में प्रचारित किया.

यह जश्न मुख्य रूप से ईरानी शासन द्वारा प्रचार का हिस्सा है ताकि जनता का मनोबल बनाए रखा जाए और शासन की 'अजेय' छवि को मजबूत किया जाए.
दोनों देशों ने सैन्य नुकसान के बावजूद अपने कथित जीत को प्रचारित किया. ईरान ने इजरायल के खिलाफ अपने मिसाइल हमलों को 'ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3' के रूप में पेश किया जबकि पाकिस्तान ने अपने जवाबी हमलों को 'ऑपरेशन बुनियान-अल-मरसूस" का नाम दिया.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भले ही पाकिस्तान सीजफायर के लिए अमेरिका के सामने गुहार लगा रहा था लेकिन उसने सीजफायर को अपनी कूटनीतिक जीत के रूप में प्रचारित किया. इसी तरह ईरान ने इस सीजफायर को अपनी जीत घोषित की. IRGC के बड़े कमांडरों का ये भी कहना है कि वे अभी भी जंग के लिए तैयार हैं.
सवालों में घिरे ट्रंप और नेतन्याहू
वहीं ईरान के तीन परमाणु केंद्रों फोर्डो, इस्फहान और नतांज पर अमेरिकी हमले के तुरंत बाद सवाल उठने शुरू हो गए. अमेरिकी मीडिया एजेंसियों सीएनएन और न्यूयॉर्क टाइम्स ने पेंटागन की खुफिया रिपोर्ट जारी कर कहा कि इन हमलों में ईरान के एनरिच यूरेनियम नष्ट नहीं हुए. उसके सेंट्रीफ्यूज भी ठीक है और ईरान ने अपने एनरिच यूरेनियम को वहां से हटा लिया है.
पेंटागन की ये कथित खुफिया रिपोर्ट अमेरिकी हमले पर बहुत बड़ा प्रश्न चिह्न था.
व्हाइट हाउस और ट्रंप ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया. ट्रंप ने कहा कि ये फेक न्यूज है और अमेरिकी हमले में ईरानी न्यूक्लियर प्रतिष्ठानों को बहुत नुकसान हुआ है.
व्हाइस हाउस ने पेंटागन की रिपोर्ट की बात तो स्वीकार की लेकिन रिपोर्ट से निकले निष्कर्ष को खारिज कर दिया.
हालांकि बाद में ईरान ने भी माना कि अमेरिकी हमले से उसके परमाणु प्रतिष्ठानों को बहुत नुकसान हुआ है.
वहीं राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मुकदमे का मुद्दा उठाया. उन्होंने इन मुकदमों को विच हंट यानी कि राजनीतिक रूप से प्रेरित उत्पीड़न करार दिया. ट्रंप ने इजरायली न्यायपालिका से इसे तत्काल रद्द करने या नेतन्याहू को क्षमादान देने की मांग की.
ट्रंप ने नेतन्याहू को 'महान युद्धकालीन नेता' और 'योद्धा' बताया, जो इजरायल के लिए ईरान जैसे दुश्मन के खिलाफ लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि नेतन्याहू के खिलाफ आरोप "हास्यास्पद" और "अनुचित" हैं.
ट्रंप ने इजरायली लीगल सिस्टम की आलोचना की, क्योंकि उन्होंने मुकदमे को "डरावना शो" बताया. बता दें ति नेतन्याहू 2020 से जांच के दायरे में हैं, और ट्रंप के अनुसार उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों में सिगार और बग्स बनी गुड़िया जैसी छोटी-मोटी चीजें शामिल हैं.
ट्रंप ने कहा, "मुझे अभी पता चला है कि बीबी को इस लंबे समय से चल रहे राजनीतिक रूप से प्रेरित मामले को जारी रखने के लिए सोमवार को अदालत में बुलाया गया है, जिसमें सिगार, बग्स बनी गुड़िया और कई अन्य अनुचित आरोप शामिल हैं, ताकि उन्हें बहुत नुकसान पहुंचाया जा सके,"
"इतना कुछ देने वाले व्यक्ति के लिए इस तरह की विच हंटिंग मेरे लिए अकल्पनीय है."