ईरान ने अमेरिका को धमकी देते हुए कहा है कि अगर आने वाले समय में अमेरिका या इजरायल उसके परमाणु ठिकानों पर कोई और हमला करते हैं तो वो बड़े पैमाने पर जवाबी हमला करेगा. सोमवार को इरानी विदेश मंत्री ने यह धमकी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस धमकी के जवाब में दी जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर ईरान ने फिर से अपनी परमाणु गतिविधियां शुरू की तो उसके परमाणु प्रोग्राम का अंत कर दिया जाएगा.
ट्रंप की धमकी के जवाब में ईरानी विदेश मंत्री अरागची ने एक्स पर एक लंबे-चौड़े पोस्ट में कहा, ' अगर दोबारा आक्रमण किया जाता है तो हम बड़े पैमाने पर जवाबी हमले करने में संकोच नहीं करेंगे और ऐसा हमला करेंगे कि उसे छिपाना असंभव होगा.'
अरागची ने कहा कि ईरान कभी भी धमकी और डर को स्वीकार नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि ईरान के लोग कभी भी किसी विदेशी के सामने नहीं झुके हैं और अगर सम्मान के साथ बात किया जाए, तभी वो प्रतिक्रया देते हैं.
ईरानी विदेश मंत्री का कहना है कि परमाणु बिजली ईरान की जरूरत है जिसे किसी दूसरे देश के कहने पर नहीं रोका जाएगा.
अरागची ने कहा, 'ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हाल ही में हुई गैरकानूनी बमबारी ने वही साबित कर दिया है जो हम हमेशा से कहते आए हैं कि इसका कोई सैन्य समाधान नहीं है. अगर हमारे परमाणु प्रोग्राम को लेकर कोई संदेह है तो बातचीत का रास्ता कारगर साबित हो सकता है.
उन्होंने आगे कहा, 'सभी को पता होना चाहिए कि हम ईरानियों ने अपना शांतिपूर्ण परमाणु प्रोग्राम खरीदा नहीं है, हमने इसे खून, पसीने और आंसुओं से बनाया है. हमारे विशाल मानव संसाधनों ने जो तकनीक और जानकारी विकसित की है, उसे बमबारी से बर्बाद नहीं किया जा सकता. हां, हमारी संवर्धन सुविधाओं को भारी नुकसान पहुचा है, लेकिन हमारे दृढ़ संकल्प को नहीं.'
जून में ईरान पर इजरायल ने हमले शुरू किए थे जिसके बाद दोनों देशों में लड़ाई छिड़ गई थी. इजरायल का कहना था कि ईरान परमाणु बम बनाना चाहता है और उसे ऐसा करने से रोकने के लिए हमले जरूरी थे. ईरान पर हमले में इजरायल ने उसके परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया और शीर्ष ईरानी जनरलों और वैज्ञानिकों की हत्या कर दी.
ईरान-इजरायल युद्ध 12 दिनों तक चला जिसके अंतिम दो दिनों में अमेरिका भी इजरायल के साथ ईरान के खिलाफ युद्ध में शामिल हो गया. अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु संवर्धन ठिकानों पर भारी बमबारी की.
हमले में कितना नुकसान हुआ, इसे लेकर कोई स्पष्ट खबर सामने नहीं आई है लेकिन ईरान कहता रहा है कि उसे भारी नुकसान पहुंचा है. इजरायली और अमेरिकी हमले के जवाब में ईरान ने इजरायल के शहरों को निशाना बनाया था और कतर में अमेरिकी सैन्य बेस पर मिसाइल हमले किए थे. हालांकि, ट्रंप ने ईरानी हमलों को कम करके आंका था.
हमलों से पहले ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता चल रही थी लेकिन युद्ध की वजह से वार्ता रुक गई है. ईरान के परमाणु संवर्धन को लेकर अमेरिका और इजरायल उससे भड़के हुए हैं. अमेरिका ईरान के परमाणु संवर्धन को लक्ष्मण रेखा मानता है और वो ईरान को संवर्धन से रोकता रहा है.
सोमवार को स्कॉटलैंड की यात्रा के दौरान ट्रंप ने ईरान पर पहले किए गए हमलों का बचाव किया और उसे नई धमकी दी. उन्होंने कहा, 'वे (परमाणु प्रोग्राम) फिर से शुरू कर सकते हैं. अगर वे ऐसा करते हैं, तो हम उसे पल भर में मिटा देंगे.'
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार, ईरान एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास परमाणु हथियार नहीं हैं, बावजूद इसके वो 60 प्रतिशत तक यूरेनियम संवर्धन कर रहा है. परमाणु हथियार बनाने के लिए यूरेनियम का 90% तक संवर्धित होना जरूरी है और इजरायल, अमेरिका का कहना है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो जल्द ही ईरान परमाणु हथियार बना लेगा.
ईरान ने बार-बार परमाणु हथियार बनाने से इनकार किया है और कहा है कि वो अपने परमाणु प्रोग्राम पर तभी बातचीत करेगा जब उसके संवर्धन को रोकने की शर्त नहीं रखी जाएगी.