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भारत के पत्रकारों को देश से क्यों निकाल रहा चीन? जानिए क्या है दोनों देशों के बीच की 'जर्नलिस्ट पॉलिटिक्स'

2023 की शुरुआत में भारत के चार पत्रकार चीन में मौजूद थे और वहां से रिपोर्टिंग कर रहे थे लेकिन इस साल अप्रैल में भारत के दो पत्रकारों के वीजा फ्रीज कर उन्हें भारत लौटने को कह दिया गया था. बाकी बचे दो भारतीय पत्रकारों में से एक भारतीय पत्रकार ने 11 जून को चीन छोड़ दिया था और अब आखिरी भारतीय पत्रकार को जून के अंत तक चीन छोड़ने को कहा गया है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

भारत और चीन के बीच तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. दोनों देशों के बीच संबंधों में यह खटास अब पत्रकारों तक पहुंच गई है. पड़ोसी मुल्क चीन में मौजूद एक भारतीय पत्रकार को 30 जून तक देश छोड़कर जाने का आदेश दे दिया है. बीते कुछ महीनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब चीन ने कई भारतीय पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखाया है.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में इस मामले से वाकिफ एक शख्स के हवाले से बताया कि चीन सरकार ने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के एक पत्रकार को देश छोड़कर जाने का फरमान सुनाया है. चीन ने पीटीआई के पत्रकार का वीजा रिन्यू करने से इनकार कर दिया और 30 जून तक लौट जाने को कह दिया. 

2023 की शुरुआत में भारत के चार पत्रकार चीन में मौजूद थे और वहां से रिपोर्टिंग कर रहे थे लेकिन इस साल अप्रैल में भारत के दो पत्रकारों के वीजा फ्रीज कर उन्हें भारत लौटने को कह दिया गया था. बाकी बचे दो भारतीय पत्रकारों में से एक भारतीय पत्रकार ने 11 जून को चीन छोड़ दिया था और अब आखिरी भारतीय पत्रकार को जून के अंत तक चीन छोड़ने को कहा गया है. बता दें कि पीटीआई के पत्रकार के चीन छोड़ने के साथ ही अब पड़ोसी मुल्क (चीन) में भारत का एक भी पत्रकार नहीं होगा. 

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ये जर्नलिस्ट पॉलिटिक्स क्या है

कहा जा रहा है कि भारत और चीन लगातार एक दूसरे के पत्रकारों को अपने देशों से बाहर निकाल रहे हैं. दोनों देश एक दूसरे पर अपने पत्रकारों के साथ हो रहे अनुचित व्यवहार और भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं.

चीन ने भारत में मौजूद अपने पत्रकारों के साथ भेदभाव और अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि भारत में चीन के पत्रकारों के साथ अनुचित व्यवहार हो रहा है. 

चीन के आरोपों पर भारत का पलटवार

भारत में चीन के पत्रकारों के साथ हो रहे अनुचित व्यवहार पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत सरकार ने कहा कि चीन के पत्रकार भारत में बिना किसी दिक्कत के काम करते रहे हैं. लेकिन चीन में भारत के पत्रकारों के बारे में ऐसा नहीं बोला जा सकता.
पिछले महीने भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए चीन के पत्रकारों को अस्थाई वीजा दिए थे. भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सभी विदेशी पत्रकारों को अनुमति देता है और उम्मीद है कि चीन भी भारत के पत्रकारों के साथ ऐसा ही करेगा.

कैसे शुरू हुआ विवाद?

रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच वीजा का यह विवाद कुछ महीने पहले ही शुरू हुआ था. इस मामले के एक जानकार ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि भारतीय पत्रकारों ने रिपोर्टिंग के सिलसिले में सहायता के लिए चीन में कुछ सहायक रखने की कोशिश की थी. इसी वजह से विवाद शुरू हुआ.

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पिछले महीने वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि भारत और चीन एक-दूसरे के पत्रकारों को अपने देश से बाहर निकाल कर एक-दूसरे की मीडिया पहुंच को मिटा रहे हैं. मामले के जानकारों के हवाले से बताया गया कि भारत ने चीन की सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ और चाइना सेंट्रल टेलीविजन के दो पत्रकारों का वीजा रिन्यू नहीं किया है. वीजा रिन्यू नहीं होने की वजह से चीन के दोनों पत्रकारों ने भारत छोड़ दिया. इसके साथ ही 1980 के दशक के बाद से अब भारत में चीन का एक भी पत्रकार नहीं है. 

चीन के साथ क्या है सीमा विवाद? 

चीन के साथ सीमा विवाद को समझने से पहले थोड़ा भूगोल समझना जरूरी है. चीन के साथ भारत की 3,488 किमी लंबी सीमा लगती है. ये सीमा तीन सेक्टर्स- ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न में बंटी हुई है. 

ईस्टर्न सेक्टर में सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा चीन से लगती है, जो 1346 किमी लंबी है. मिडिल सेक्टर में हिमाचल और उत्तराखंड की सीमा है, जिसकी लंबाई 545 किमी है. वहीं, वेस्टर्न सेक्टर में लद्दाख आता है, जिसके साथ चीन की 1,597 किमी लंबी सीमा लगती है. 

चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार वर्ग किमी के हिस्से पर अपना दावा करता है. जबकि, लद्दाख का करीब 38 हजार वर्ग किमी का हिस्सा चीन के कब्जे में है. इसके अलावा 2 मार्च 1963 को हुए एक समझौते में पाकिस्तान ने पीओके की 5,180 वर्ग किमी जमीन चीन को दे दी थी.

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अरुणाचल में चीन के साथ सीमा विवाद की वजह मैकमोहन लाइन है. मैकमोहन लाइन 1914 में तय हुई थी. इस लाइन में अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा बताया गया था. आजादी के बाद भारत ने मैकमोहन लाइन को माना, लेकिन चीन ने इसे मानने से इनकार कर दिया. चीन ने दावा किया कि अरुणाचल दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है और चूंकि तिब्बत पर उसका कब्जा है, इसलिए अरुणाचल भी उसका हुआ.

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