
पाकिस्तान ने बीती रात भी भारत के शहरों को निशाना बनाने की कोशिश की जिसे नाकाम कर दिया गया है. पाकिस्तान ने ड्रोन और हथियारों के जरिए पश्चिमी सीमा पर एक साथ ताबड़तोड़ हमले करने चाहे लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम सुदर्शन ने इन हमलों को नाकाम कर दिया. इस दौरान पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ क्योंकि चीन से मिले JF-16 विमान और F-16 को भारत ने मार गिराया.
दोनों देशों की बीच बढ़ी तनातनी के बीच दुनिया भर में चिंता है कि भारत-पाकिस्तान की लड़ाई बड़े पैमाने के युद्ध में न बदल जाए. दुनिया के तमाम ताकतवर मुल्क आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के प्रति अपना समर्थन जताते हुए कूटनीति का रास्ता अपनाने की बात कर रहे हैं. लेकिन इस बीच एक देश का बयान सबका ध्यान खींच रहा है और वो है तुर्की, जो खुलकर पाकिस्तान का समर्थन करता दिख रहा है.
पाकिस्तान के साथ खड़ा है तुर्की
गुरुवार रात जब पाकिस्तान बड़े ही बेशर्मी से भारत के सैन्य और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहा था तब तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन 'पाकिस्तानी भाइयों' की सलामती की दुआ कर रहा थे.
भारत ने साफ कहा है कि पहलगाम हमले के जवाब में जिस 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया गया, उसमें न तो किसी सैन्य ठिकाने और न ही किसी रिहायशी इलाके को निशाना बनाया गया बल्कि एयरस्ट्राइक के निशाने पर सिर्फ और सिर्फ आतंकी और उनके गढ़ थे.
भारत ने 7 अक्टूबर को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर के 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था जिसमें कम से कम 100 आतंकी मारे गए थे. एयरस्ट्राइक में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर के परिवार के 10 लोग मारे गए.
इन आतंकियों के मारे जाने पर तुर्की के राष्ट्रपति पाकिस्तान के साथ अपनी संवेदना जता रहे हैं और आतंकियों को खुलेआम श्रद्धांजलि भी दे रहे हैं.
एर्दोगन ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर किए गए एक पोस्ट में कहा, 'हम इस बात को लेकर फिक्रमंद हैं कि पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव मिसाइल हमलों के कारण व्यापक संघर्ष में बदल सकता है, जिसके कारण बड़ी संख्या में नागरिक शहीद हो सकते हैं. मैं हमलों में अपनी जान गंवाने वाले हमारे भाइयों के लिए अल्लाह से रहम की प्रार्थना करता हूं, और मैं एक बार फिर पाकिस्तान के भाई जैसे लोगों और पाकिस्तान के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं.'
एर्दोगन ने बताया कि इस तनाव के बीच उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से फोन पर बात की है.
तुर्की के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान की बोली बोलते हुए अपनी पोस्ट में आगे कहा, 'हम जम्मू-कश्मीर में हुए जघन्य आतंकवादी हमले के संबंध में अंतरराष्ट्रीय जांच कराने के पाकिस्तान के प्रस्ताव को सही मानते हैं. कुछ लोग आग में घी डालने का काम कर रहे हैं लेकिन तुर्की तनाव कम करने और बातचीत के रास्ते खोलने का पक्षधर है. इससे पहले कि मामला हाथ से निकल जाए, हम बातचीत शुरू कराने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं.'
तुर्की जिस तरीके से पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है, उसे लेकर भारत में काफी आक्रोश देखा जा रहा है. भारत के लोगों का कहना है कि मुस्लिम देश के साथ होने वाले व्यापार को रोक दिया जाना चाहिए और तुर्की का बहिष्कार किया जाना चाहिए.
भारत और तुर्की के बीच 10 अरब डॉलर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार होता है वहीं, अगर तुर्की और पाकिस्तान के द्विपक्षीय व्यापार की बात करें तो दोनों देशों के बीच डेढ़ अरब डॉलर से भी कम का व्यापार होता है.
तुर्की कश्मीर मुद्दे पर भी पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखता है. इसी साल फरवरी में तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन पाकिस्तान पहुंचे थे जहां उन्होंने कहा कि कश्मीर का मुद्दा सुलझाने के लिए वो पाकिस्तान के प्रयासों का समर्थन करते हैं.
भारत ने जब 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था तब भी तुर्की को दर्द हुआ था.
एर्दोगन ने तब कहा था, 'हमारे कश्मीरी भाइयों और बहनों ने दशकों तक परेशानियां झेली हैं और हाल के समय में लिए गए एकतरफा फैसलों के कारण उनकी दिक्कतें और बढ़ गई हैं. आज कश्मीर का मुद्दा हमारे उतना ही करीब है जितना पाकिस्तान के. इस मुद्दे का समाधान सभी संबंधित पक्षों के हित में होगा. तुर्की कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए न्याय, शांति और बातचीत के साथ खड़ा रहेगा.'
क्या पाकिस्तान के साथ खड़ा है चीन?
भारत-पाकिस्तान के बीच जब तनाव बढ़ने की शुरुआत हुई थी तब माना जा रहा था कि चीन प्रो-पाकिस्तान स्टैंड ले सकता है लेकिन चीन ने अब तक पूरे हालात पर जिस तरह की प्रतिक्रिया दी है, वो थोड़ी हैरान करने वाली है. चीन पूरे मुद्दे पर तटस्थ होकर दोनों देशों से संयम बरतने की अपील कर रहा है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन दोनों देशों के बीच मौजूदा हालात को लेकर चिंतित है.
चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया, 'भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के पड़ोसी हैं और वो हमेशा ही पड़ोसी रहेंगे. दोनों देश चीन के भी पड़ोसी हैं. चीन सभी तरह के आतंकवाद का विरोध करता है. चीन दोनों पक्षों से शांत रहने, संयम बरतने और ऐसी कार्रवाइयों से बचने की अपील करता है जो स्थिति को और जटिल बना सकती हैं.'
भारत के साथ लड़ाई में पाकिस्तान धड़ल्ले से चीनी हथियारों और गोला-बारूद का इस्तेमाल कर रहा है. पाकिस्तान हथियारों के लिए पूरी तरह से चीन पर निर्भर है. SIPRI (Stockholm International Peace Research Institute) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 से 2024 के बीच पाकिस्तान ने जितने भी हथियार आयात किए, उनमें 81 फीसद चीनी हथियार थे.
लेकिन जब चीन के विदेश मंत्रालय से सवाल किया गया कि पाकिस्तान भारत पर हमले के लिए चीनी हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है तो मंत्रालय के प्रवक्ता ने बेहद ही सधा हुआ जवाब दिया. प्रवक्ता ने कहा कि मंत्रालय को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है.
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि चीन के हित भारत और पाकिस्तान, दोनों ही देशों से गहरे रूप से जुड़े हुए हैं इसलिए वो नहीं चाहगा कि दोनों देशों के बीच एक व्यापक युद्ध हो. चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक पार्टनर है. 2024 में दोनों देशों के बीच 127.7 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था.
दूसरी तरफ चीन ने पाकिस्तान में भारी निवेश कर रखा है. चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का फ्लैगशिप प्रोजेक्ट CPEC पाकिस्तान में है. CPEC के तहत चीन ने पाकिस्तान में 2005 से लेकर 2024 के बीच 68 अरब डॉलर का निवेश किया है.
भारत का पड़ोसी और पारंपरिक मित्र नेपाल किसके साथ है?
22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में जो 26 लोग मारे गए थे, उनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था. पाकिस्तान स्पॉन्सर पहलगाम के हमले से चोट नेपाल को भी लगी है और उसने साफ कहा है कि नेपाल आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साथ खड़ा है और किसी भी विरोधी ताकत को पड़ोसी देशों के खिलाफ अपनी धरती का इस्तेमाल नहीं करने देगा.
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 'नेपाल सरकार पहलगाम में एक नेपाली नागरिक समेत निर्दोष पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने से चिंतित है. उस दौरान नेपाल और भारत एकजुटता के साथ खड़े रहे और साझा दुख और पीड़ा में एकजुट रहे. नेपाल स्पष्ट रूप से इस बर्बर आतंकवादी हमले की निंदा करता है जो कि सभी प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ नेपाल के दृढ़ रुख के अनुरूप है.'
नेपाल की तरफ से बयान में आगे कहा गया, 'नेपाल किसी भी विरोधी ताकत को पड़ोसी देशों के खिलाफ अपनी धरती का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देगा.'
नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री और नेपाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बिलमेंद्र निधि ने भी भारत के साथ अपना समर्थन जताया है. उन्होंने एक्स पर किए गए एक पोस्ट में लिखा, 'हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ हैं. हम आतंकवादियों के खिलाफ सफल सिंदूर ऑपरेशन के लिए भारतीय सेना को बधाई देते हैं.'
क्या कह रहा वर्ल्ड लीडर अमेरिका?
22 अप्रैल को जब पहलगाम में हमला हुआ था तब अमेरिका के उप-राष्ट्र्पति जेडी वेंस अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ भारत दौरे पर थे. वेंस ने आतंकी हमले की निंदा की और अमेरिका के फॉक्स न्यूज के एक प्रोग्राम में बोलते हुए हमले के लिए कुछ हद तक पाकिस्तान को जिम्मेदार बताया था. उन्होंने कहा था कि 'अमेरिका को उम्मीद है, हालिया हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया एक बड़े क्षेत्रीय संघर्ष में तब्दील नहीं होगी.'
उन्होंने कहा था, 'हम आशा करते हैं कि पाकिस्तान, जिस भी तक तक वो जिम्मेदार होगा, भारत का सहयोग करेगा ताकि आतंकियों का पता लगाना और उनसे निपटना सुनिश्चित किया जा सके.'
दोनों देशों के बीच अब तनाव काफी बढ़ गया है और लगातार हमले हो रहे हैं जिसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता टैमी ब्रुस ने गुरुवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि शांति स्थापित करने और मौजूदा हालात में तनाव कम करने के लिए अमेरिका भारत और पाकिस्तान के साथ लगातार बातचीत कर रहा है.
गुरुवार रात जब पाकिस्तान ने भारतीय शहरों को निशाना बनाने की असफल कोशिश की थी तब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष मार्को रुबियो से फोन पर बात की थी.
अमेरिकी उप राष्ट्रपति वेंस ने भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बाद अब कहा है कि अमेरिका दोनों देशों के बीच कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा क्योंकि यह अमेरिका का काम नहीं है.
फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'हम दोनों पक्षों को तनाव कम करने के लिए कह सकते हैं लेकिन हम जंग के बीच में इसमें शामिल नहीं होंगे क्योंकि यह हमारा काम नहीं है और हम इसे कंट्रोल नहीं कर सकते हैं. अमेरिका भारत से हथियार डालने के लिए नहीं कह सकता और न ही पाकिस्तान से वो ऐसा करने के लिए कह सकता है. हम कूटनीतिक जरिए से इसे हल कर सकते हैं. हम आशा करते हैं कि मौजूदा स्थिति किसी बड़े युद्ध या परमाणु युद्ध में न तब्दील हो. हालांकि, अभी हमें नहीं लगता कि ऐसा होगा.'
भारत-पाकिस्तान तनाव में सऊदी अरब किसके साथ?
सऊदी अरब एक वक्त पाकिस्तान का बेहद करीबी दोस्त हुआ करता था. दोनों देशों की दोस्ती का बस एक आधार था- इस्लाम. पाकिस्तान और सऊदी, दोनों सुन्नी मुस्लिम देश हैं और धर्म के आधार पर दोनों पहले बेहद करीब हुआ करते थे.
लेकिन अब दुनिया पूरी तरह से बदल चुकी है जहां भू-राजनीतिक समीकरण धर्म के आधार पर तय नहीं होते. सऊदी अरब और भारत अब बेहद अच्छे दोस्त बन चुके हैं.
पहलगाम हमले के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के दौरे पर थे जहां उन्होंने सऊदी अरब के वास्तविक शासक क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की. पीएम मोदी के सम्मान में एमबीएस ने स्टेट डिनर का भी आयोजन किया था लेकिन हमले की वजह से पीएम मोदी को सऊदी दौरा बीच में ही छोड़कर भारत आना पड़ा था.
पीएम मोदी और एमबीएस के बीच काफी गर्मजोशी का रिश्ता है. प्रधानमंत्री एमबीएस को 'भाई' कहकर संबोधित करते हैं. अरब न्यूज को दिए एक हालिया इंटव्यू में पीएम मोदी ने कहा था कि सऊदी अरब भारत का विश्वसनीय मित्र, रणनीतिक दोस्त और सबसे अहम सहयोगियों में से एक है.
ऐसे वक्त में जब भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई जारी है, सऊदी अरब के विदेश मंत्री अदेल अल-जुबैर गुरुवार को अचानक भारत दौरे पर पहुंचे. भारत पहुंचकर उन्होंने विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात की और दोनों पक्षों से तनाव कम करने की अपील की.
मुलाकात को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर ने एक्स पर लिखा कि गुरुवार सुबह अल-जुबैर से उनकी बेहद अच्छी मुलाकात हुई जिसमें उन्होंने 'आतंकवाद का दृढ़ता से मुकाबला करने पर भारत के दृष्टिकोण को साझा किया.'
भारत और सऊदी अरब के बीच सहयोग लगातार बढ़ता जा रहा है जहां दोनों देशों के बीच वित्त वर्ष 2023-24 में 43 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था. सऊदी अरब जहां भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है वहीं, भारत सऊदी का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है.
पाकिस्तान और सऊदी अरब के व्यापार की बात करें तो, वित्त वर्ष 2024 में दोनों देशों के बीच व्यापार 5.2 अरब डॉलर है.
पाकिस्तान को भिखारियों के मुद्दे पर सऊदी अरब से लगातार फजीहत का सामना भी करना पड़ता रहा है. पाकिस्तान के लोग हज या उमराह वीजा पर सऊदी अरब जाकर भीख मांगते हैं. सऊदी में भीख मांगना अपराध माना जाता है और वहां बड़ी संख्या में पाकिस्तानी भिखारी पकड़े जाते हैं. सऊदी ऐसे भिखारियों को लेकर पाकिस्तान पर अकसर हमलावर रहा है.
ईरान किसके साथ है?
भारत के ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे. अपने भारत दौरे में उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों से संयम बरतने की अपील की.
उन्होंने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि भारत और पाकिस्तान क्षेत्र में तनाव को कम करेंगे. हमारे क्षेत्र को शांति की जरूरत है, खासकर क्षेत्रीय देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के लिए. और मेरा मानना है कि ऐसा ही होगा.'
भारत दौरे से पहले ईरानी विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद ईशाक डार से स्थिति पर चर्चा की थी और मौजूदा हालात को कूटनीति और बातचीत से सुलझाने पर जोर दिया था. उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से भी बात की थी और तनाव कम करने की अपील की थी.
ईरान और भारत के बीच वैसे संबंध नहीं रहे हैं जैसे कि पाकिस्तान और ईरान के बीच. ईरान कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ रहा है लेकिन हालिया तनाव के दौरान ईरान ने जिस तरीके का रुख अपनाया है, वो सराहनीय है. ईरान भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच पूरी तरह तटस्थ रहने की कोशिश कर रहा है.