डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन ने जब से रनिंग मेट (उपराष्ट्रपति उम्मीदवार) के तौर पर सीनेटर कमला हैरिस का चयन किया है, ट्विटर पर भारतीय-अमेरिकी समुदाय के बीच सवालों का तूफान आया हुआ है.
हैरिस के पास दिखने में भारतीयों के बीच काफी स्वीकार्यता है. अधिकतर ट्विटर पंडित बारीकियों को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हैं. वो सिर्फ उल्लेख करते हैं और फिर भाप की तरह गायब हो जाते हैं जैसे कि कुछ कहा ही नहीं गया.
पहली बात तो साफ है कि हैरिस की दौड़ भारत में उपराष्ट्रपति बनने के लिए नहीं है. वे अमेरिकी उपराष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार हैं. हैरिस अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगी, अमेरिकी राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देंगी. अगर बिडेन जीतते हैं, तो हैरिस यह पता लगाएंगी कि अमेरिका-भारत हित कहां मिलते हैं और दोनों देश एक साथ कैसे काम कर सकते हैं. यह विदेश संबंधों का बुनियादी पाठ है.
वह आधी भारतीय
हैरिस को भारत सरकार के साथ केवल इसलिए सहमत नहीं होना है क्योंकि वह आधी भारतीय है. हालांकि भारतीय अमेरिकी समुदाय में कुछ की ऐसी ही अपेक्षा लगती है. यह न सिर्फ गैर वाजिब है बल्कि ‘सेल्फ-डिफीट’ जैसा है. हां, भारतीय अमेरिकी कभी-कभी भारत की नीतियों के बारे में अधिक आलोचनात्मक हो सकते हैं क्योंकि वे अपनी निष्पक्षता साबित करना चाहते हैं. दिल्ली के कुछ विश्लेषक इसे मुद्दा मानते हैं. लेकिन एक पेशेवर नीति निर्माता आमतौर पर लागत और फायदों को लेकर कठोर होता है.
अगर हैरिस के ‘भारतीयता’ पक्ष को मापा जाए तो इसके कथित अभाव ने कई को दिक्कत का एहसास कराया है. ये सिर्फ ट्विटर टाइमलाइन और फोन पर हुई कुछ बातचीत के अवैज्ञानिक अवलोकन के आधार पर है. "चौकीदारों" ने घोषणा की है कि वह (हैरिस) भारत के लिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 'बुरी खबर' हैं.
अब तथ्यों की बात कर ली जाए
हैरिस और उनकी बहन माया की परवरिश एक सिंगल मदर श्यामला गोपालन ने की. एक भारतीय तमिल महिला जो लंबे घंटों तक काम करती और बेटियों को कामयाब देखने का सपना सच किया. यह 1970 के दशक की बात है. ऐसा समय जब यह करना आसान नहीं था. सिंगल मदर्स के लिए यह कभी आसान नहीं होता है. लेकिन जितना आप अतीत में जाएंगे उतना ही महिलाओं के लिए नौकरी करते रहने के दौरान संतान की परवरिश मुश्किल दिखेगी.
हैरिस अपनी मां को याद करने और श्रेय देने का कोई मौका नहीं चूकतीं. राष्ट्रपति उम्मीदवारी के लिए अपने शुरुआती भाषणों से लेकर इस हफ्ते बिडेन की ओर से उपराष्ट्रपति उम्मीदवारी स्वीकार करने वाली स्पीच तक, हैरिस ने मां के खुद पर असर को शिद्दत के साथ याद किया.
यह भी एक तथ्य है कि हैरिस और उनकी बहन अफ्रीकी अमेरिकी समुदाय के परिवेश में पली-बढ़ीं. वो समुदाय जिसने नागरिक अधिकारों के आंदोलन में अपने अभिभावकों को हिस्सा लेते देखा, क्या यह हैरानी की बात है कि दोनों बहनों ने बढ़े होने के दौरान अपनी भारतीयता के साथ साथ अफ्रीकी पहचान को भी गले लगाया? आखिरकार, उनमें ये दोनों ही हैं.
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अंत में, यह बहस सभी पक्षों को आहत करने वाली है. इनमें अफ्रीकी अमेरिकी समुदाय शामिल हैं जिनके संघर्षों ने भारतीयों के लिए अमेरिका में आव्रजन के दरवाजे खोले. इसी का नतीजा है कि आज 40 लाख की मजबूत संख्या वाला भारतीय अमेरिकी समुदाय आज अमेरिका में है. हैरिस के आलोचकों में से कितने ये जानते हैं या याद करते हैं.
मां मजबूत पिलर
हैरिस और उनकी बहन माया ने बार-बार कहा है कि उनकी मां उनके लिए मजबूत पिलर थीं, जिन्होंने उन्हें लड़ना सिखाया और बताया कि स्ट्रॉन्ग पर्सनेल्टी को कैसे आकार दिया जाए. गुरुवार को हैरिस ने ट्वीट किया कि कैसे उनकी मां ने उन्हें शिकायती रोना रोने की जगह एक्शन के लिए बढ़ावा दिया. वो कहती थीं, “ऐसे ही मत बैठो और खाली चीजों के बारे में शिकायत करते रहो, इसकी जगह आगे बढ़ कर कुछ करो.” हैरिस ने कहा, 'काश वो हमारे साथ इस हफ्ते यहां होतीं.'
शायद, "जब कमला डोसा बनाएंगी" तो उसके उन्हें ब्राउनी पाइंट्स मिलेंगे. एक्ट्रेस और कॉमेडियन मिंडी केलिंग के साथ डोसा बनाते, दही चावल पर चर्चा करते और ये याद करते देंखें कि कैसे उनकी माओं ने यह सुनिश्चित किया कि काम पर निकलने से पहले उन्हें हमेशा घर का बना खाना मिले. हैरिस अपनी दाल से अपनी इडली जानती हैं. यह बड़ा चार्मिंग और भारतीय लगता है जब केलिंग को हैरिस ‘आंटी’ न कहने की चेतावनी देती है लेकिन जैसे ही केलिंग के पिता किचन में आते हैं तो उन्हें ‘अंकल’ कह कर बुलाती हैं.My mother always use to say, “Don’t just sit around and complain about things. Do something.” I dearly wish she were here with us this week. pic.twitter.com/RHO2VnlZs4
— Kamala Harris (@KamalaHarris) August 13, 2020
हैरिस एक बच्ची और युवा के तौर अपने नाना पी वी गोपालन के खुद पर प्रभाव की भी बात करती हैं. वो हमेशा ऐसे लोकसेवकों (पब्लिक सर्वेंट्स) की अलग पहचान करने के लिए कहते थे जो सच में देश की सेवा करते हैं, वैसे नहीं जो भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं. हैरिस के मुताबिक उनकी नाना से मित्रता और भक्ति की स्पेशल बॉन्डिंग थी.
संयोग से, हैरिस के पिता डॉनल्ड हैरिस अधिक तस्वीर में नहीं है. जमैका के अर्थशास्त्र के एक प्रोफेसर डॉनल्ड हैरिस, जो स्टैनफोर्ड में एक विशिष्ट एकेडमिक करियर के बाद रिटायर हुए. ऐसा लगता है कि कमला और माया अपने पिता के अधिक करीब नहीं रहीं.
प्रोफेसर हैरिस ने मीडिया से बात करने से लगातार मना किया क्योंकि उनकी बेटी उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बन गई हैं. वो सिर्फ बेटी के स्मोकिंग पॉट को लेकर मजाक पर अपना अपना विस्मय दर्ज कराते हैं क्योंकि कमला हैरिस हॉफ जमैकन हैं.
डॉनल्ड हैरिस इतने व्याकुल हैं कि उन्होंने जमैका के एक पब्लिकेशन को एक प्रतिक्रिया भेजी, "मेरी प्रिय दिवंगत ग्रैंडमदर्स (जिनकी असाधारण विरासत का मैंने इस वेबसाइट पर हाल ही में एक निबंध के तौर पर जिक्र किया है), साथ ही साथ मेरे मृत माता-पिता को अब कब्रों में करवट बदलनी होगी ये देखने के लिए कि परिवार का नाम, प्रतिष्ठा, और गर्व करने लायक जमैकन पहचान को मजाक में या किसी ओर तरीके से या पॉट-स्मोकिंग आनंद उठाने वाले के कपटपूर्ण स्टीरियोटाइप के साथ जोड़ा जा रहा है, या पहचान की राजनीति की तलाश के लिए.”प्रोफेसर हैरिस स्पष्ट रूप से वैसा सेंस ऑफ ह्यूमर (हास्य बोध) नहीं रखते हैं, जैसा कि अनगिनत भारतीय या भारतीय अमेरिकी आलोचक रखते हैं, जो डोसे को नहीं देख सकते जब कोई चेहरे को घूर रहा होता है. यह वैसा ही है जैसे कोई विदेशी सड़क पर गायों को भारत से जोड़ता है तो भारतीयों को चिड़चिड़ा लग सकता है. उससे भी बेहतर, भारत ऋषियों-मुनियों की जमीन है, तो इन दिनों कौन प्रधानमंत्री का ऋषि से अंतर कर सकता है, लेकिन ऐसा कहना विषय से भटकना है.