अमेरिका में 20 जनवरी से सियासत पूरी तरह से बदल जाएगी. डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे और इसके साथ ही प्रतिबंधों और टैरिफ की झड़ी भी लगना शुरू हो जाएगी. टैरिफ एक ऐसा हथियार है, जिसका इस्तेमाल वह अन्य देशों के खिलाफ यदा-कदा करते ही रहते हैं. वह इसका इस्तेमाल चेतावनी देने और व्यापार में दबदबा बनाने के लिए करते हैं. इसका मतलब है कि ट्रंप और टैरिफ एक सिक्के के दो पहलू हैं.
ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान ही अपने मंसूबे साफ कर दिए थे. उन्होंने कई मौकों पर कहा था कि वह अगर राष्ट्रपति बन गए तो वह कई देशों के आयातित सामान पर टैक्स लगाएंगे. इसलिए किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए कि ट्रंप ने राष्ट्रपति का पद संभालने के पहले ही दिन कनाडा, मेक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. उन्होंने दो टूक कहा कि अगर ये देश अपनी सीमाओं से अमेरिका में दाखिल हो रहे अवैध प्रवासियों पर नकेल नहीं कसते तो इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
कनाडा और मेक्सिको से अमेरिका में इंपोर्ट होने वाले सामान पर 25 फीसदी जबकि चीन से आयात होने वाले प्रॉडक्ट्स पर 15 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा. यहां ये ध्यान रखने वाली बात है कि चीन के उत्पादों पर पहले से ही 15 फीसदी टैरिफ लगा हुआ है. इस तरह से चीन के उत्पादों पर टैरिफ बढ़कर 25 फीसदी हो जाएगा.
ट्रंप ने कहा था कि जब तक इन देशों से अमेरिका में सप्लाई हो रहे ड्रग्स विशेष रूप से फेंटानिल और सभी अवैध प्रवासियों को नहीं रोका जाता, ये प्रभावी रहेंगे.
ट्रंप सबसे पहले ऐसे तीन देशों पर यह टैरिफ लगाने जा रहे हैं, जो अमेरिका के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक हैं. तो ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगामी सालों में छोटे-छोटे देशों को लेकर अमेरिका की क्या ट्रेड पॉलिसी होगी?
लेकिन भारत के अधिकारी इस ट्रेड टैरिफ रूपी आंधी को आपदा की तुलना में अवसर के तौर पर अधिक देख रहे हैं. वे मानते हैं कि भारत और अमेरिका की अर्थव्यवस्था एक दूसरे की पूरक हैं और दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में मजबूत पार्टनरशिप है. लेकिन भारत सहित सभी देश ट्रंप के अनिश्चितता भरे रुख से भी चिंतित हैं.
उनके टैरिफ से जुड़े हालिया बयानों ने दुनियाभर के बाजारों में हलचल मचा दी है. इस फैसले ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को ट्रंप को फोन करने पर मजबूर कर दिया. मेक्सिको ने ईट का जवाब पत्थर से देने के संकेत दे दिए तो चीन ने दो टूक कह दिया कि टैरिफ के इस युद्ध में जीत किसी की नहीं होगी.
लेकिन समस्या ये है कि अवैध प्रवासियों को अमेरिका आने से रोकने और उन्हें वापस उनके देश भेजने और अमेरिका में ड्रग्स की सप्लाई रोकने के ट्रंप के वादे ने ही उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में जीत दिलाई. ऐसे में ट्रंप अपने इन वादों को पूरा करने को लेकर गंभीर है. यही वजह है कि उन्होंन अपनी कैबिनेट में ऐसे लोगों को शामिल किया है, जो उनके इस एजेंडे को पूरा करने में मदद करें.
इस तरह ट्रंप के एजेंडे में ट्रेड, टैरिफ, इमिग्रेशन और ड्रग्स शामिल है. लेकिन उनके इस एजेंडे के आफ्टर इफेक्ट गंभीर हो सकते हैं, विशेष रूप से अमेरिकी ऑटो इंडस्ट्री पर. फोर्ड और जनरल मोटर्स द्वारा बेची गई लगभग 15 फीसदी कारें मेक्सिको में तैयार होती हैं जबकि 7 फीसदी कनाडा से इंपोर्ट होती हैं.
ट्रंप के इस टैरिफ प्लान से व्यापार को लेकर अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा एग्रीमेंट पर असर पड़ेगा. इस एग्रीमेंट को ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान तैयार किया था. ट्रंप ने बिल क्लिंटन के नाफ्टा एग्रीमेंट की जगह इस नए एग्रीमेंट का खाका तैयार किया था.
ट्रंप के इस ऐलान के दो घंटे के भीतर ही कनाडा के पीएम ट्रूडो ने उन्हें फोन किया और इस पर चर्चा की. बीते दो सालों में कनाडा से अमेरिका में दाखिल होने वाले अवैध प्रवासियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. कई ड्रग्स तस्कर कनाडा की सीमा से ही अमेरिका में दाखिल होते हैं.
इस बीच इस पर भी गौर करना चाहिए कि राष्ट्रपति बाइडेन ने चीन पर ट्रंप की ओर से लगाए गए टैरिफ में कोई बदलाव नहीं किया था. ट्रंप ने राष्ट्रपति पद के तौर पर उनके पहले कार्यकाल में चीन के 360 अरब डॉलर के सामान पर टैक्स लगा दिया था. इसके बाद बाइडेन ने चीन में बने इलेक्ट्रिक वाहनों पर 100 फीसदी टैक्स लगा दिया था. ऐसे में भारत और अन्य देशों को ट्रंप के दूसरे कार्यकाल और उनके फैसलों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा.