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भारत के साथ सीमा वार्ता में ‘नये प्रयास करने’ को तैयार हैं: चीन

चीन ने कहा है कि वह सीमा विवाद सुलझाने के लिए भारत के साथ ‘नये प्रयास करने’ को तैयार है. इस बीच, लद्दाख में चीनी सैनिकों के हालिया घुसपैठ की पृष्ठभूमि में दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए प्रस्तावित सीमा रक्षा सहयोग समझौता (बीडीसीए) पर वार्ता की.

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चीन ने कहा है कि वह सीमा विवाद सुलझाने के लिए भारत के साथ ‘नये प्रयास करने’ को तैयार है. इस बीच, लद्दाख में चीनी सैनिकों के हालिया घुसपैठ की पृष्ठभूमि में दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए प्रस्तावित सीमा रक्षा सहयोग समझौता (बीडीसीए) पर वार्ता की.

घुसपैठ की घटना के बाद पहली बार मिल कर भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों ने 16वें दौर की वार्ता की. दोनों देश इस पुराने मुद्दे को सुलझाने की प्रक्रिया को तेज करना चाहते हैं.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और भारत की ओर से सीमावार्ता के विशेष प्रतिनिधि शिवशंकर मेनन ने अपने चीनी समकक्ष यांग जेइची के साथ दो दिवसीय सीमावार्ता के पहले दौर की वार्ता ‘अनुकूल और मैत्रीपूर्ण वातावरण’ में की.

चीन के नवनियुक्त विशेष प्रतिनिधि यांग जेइची ने यहां कहा, ‘मैं हमारे पूर्वाधिकारियों के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए आपके साथ काम करने और चीन-भारत सीमा के सवाल का हल निकालने के लिए नये प्रयास करने तथा नये दौर में चीन-भारत रणनीतिक सहयोग साझेदारी में ज्यादा प्रगति के लिए तैयार हूं.’

वार्ता को एक विस्तृत परिप्रेक्ष्य प्रदान करते हुए मेनन ने चीन-भारत संबंधों के मामले में अपने अनुभव के आधार पर कहा कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संकट पैदा करने वाले चीनी सैनिकों की घुसपैठ की पृष्ठभूमि में वार्ता का मुख्य फोकस सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने वाली प्रक्रिया को मजबूत बनाना है.

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उन्होंने कहा कि भारत के रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी की अगले सप्ताह की बीजिंग यात्रा (4 से 7 जुलाई) के बीच बीडीसीए पर विचार होगा.

मेनन ने कहा, ‘धीरे-धीरे हम दोनों वार्ता प्रक्रियाओं की इमारत को, विचार-विमर्श की इमारत को और हमारे पास जो प्रक्रिया मौजूद है उसको मजबूत कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने बीडीसीए पर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया.

शिवशंकर मेनन ने कहा, ‘उन्होंने हाल ही में अपने विचार हमारे समक्ष रखे हैं, उसमें सहमति का एक व्यापक आधार है लेकिन अभी हमें उसके मसौदे पर ही कुछ काम बाकी है. मुझे विश्वास है कि अगले सप्ताह रक्षा मंत्री के यहां आने पर वे इसपर विचार करेंगे.’ वार्ता के पहले दौर के बाद भारतीय मीडिया से बात करते हुए मेनन ने कहा कि दोनों पक्षों ने ‘सीमा विवाद सुलझाने, शांति और स्थाईत्व बनाए रखने और प्रक्रिया को कैसे मजबूत बनाया जाए’ आदि मुद्दों पर बातचीत की. मेनन ने कहा कि रिश्तों का बुनियादी रास्ता अच्छा है.

उन्होंने कहा, ‘यह सकारात्मक है, असल में यह वर्षों से स्थिर है. दूसरी बात है कि हम शांति और स्थाईत्व बनाए रखने में सफल रहे हैं और सीमा विवाद सुलझाने की दिशा में भी प्रगति की है.’ उन्होंने कहा, ‘हम नियमित रूप से प्रगति कर रहे हैं. मुझे लगता है कि जिस तरह सफलतापूर्वक हमने देपसांग मामले का हल निकाला वह इसका सबूत है और साथ-साथ हम नए बीडीसीए पर भी विचार कर रहे हैं. चीन ने सीमा पर उत्पन्न परिस्थितियों से और बेहतर तरीके से निपटने के लिए बीडीसीए का सुझाव दिया है.’

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मेनन ने कहा कि बीडीसीए का लक्ष्य एक प्रक्रिया तय करना है जो हमें विचार करने और बातचीत करने का अवसर प्रदान करेगा ताकि हम सीमा प्रबंधन को बेहतर बना सकें. उन्होंने चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग से भी भेंट की.

मेनन ने कहा कि सीमावार्ता मार्च में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई बातचीत के बाद हो रही है. उस बातचीत में दोनों देश इस बात पर सहमत हुए थे कि सीमा विवाद का हल निकालने की प्रक्रिया को तेज करने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, ‘इसके बाद हमारे बीच देपसांग घटना के बारे में भी बात हुई. हम उसे सफलतापूर्वक सुलझाने में सफल रहे थे, उससे निपट सके थे और (चीनी सैनिकों) के शिविर लगने से पहले की स्थिति में वापस लौट सके हैं.’

शिवशंकर मेनन ने कहा कि प्रधानमंत्री ली की भारत यात्रा के बाद विशेष प्रतिनिधियों को सीमा पर शांति और स्थाईत्व बनाए रखने के लिए प्रक्रिया को मजबूत करने का काम सौंपा गया था. पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के बीच तुलना करते हुए मेनन ने कहा कि एलओसी पर तमाम व्यवस्थाएं करने के बावजूद सीमा का वह हिस्सा गोलीबारी और भारत में हमले करने के लिए सीमा पार से उग्रवादियों के आने जैसी घटनाओं से अशांत रहता है जबकि दूसरी ओर मतभेदों और संदेश की स्थिति होने के बावजूद सामान्य तौर पर एलएसी शांत रहता है.

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मेनन ने कहा, ‘प्रक्रिया ने शांति और स्थिरता के लिए काम किया है. यदि आप वर्ष 1993 से सीमा शांति और स्थिरता समझौते, वर्ष 1996 के सीबीएमएस,वर्ष 2006 आदि को देखें, सामान्य कार्य प्रक्रिया, विशेष तौर पर सीमावर्ती क्षेत्र शांत रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्ष इसका सम्मान करते हैं कि यथास्थिति बरकरार है. लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जहां एलएसी के स्थान को लेकर हमारे विचार एक-दूसरे जैसे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘यह वही क्षेत्र हैं जहां हमेशा खतरा है. हमने इसे अच्छे से संभाला. मानक प्रक्रिया के तहत दोनों पक्षों ने संयम बरता, दोनों पक्ष इससे कूटनीतिक तरीके से निपटे, लेकिन यह स्पष्ट है कि हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि दोबारा ऐसा न हो.'

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