हाथों से बना इस्लामिक स्टेट का झंडा सिल्वर कलर की कार पर लिपटा हुआ था.
ये कार फुटब्रिज के पास पार्क की गई थी. जहां हर दिन हजारों लोग कैंपबेल परेड से बॉन्डी बीच तक जाते हैं. इस खतरनाक संकेत को बोरिस और सोफिया गुरमन ने पहचान लिया था. बोरिस और सोफिया जिंदगी के दूसरे फिफ्टी में प्रवेश कर चुके थे और अच्छी एक आम यहूदी की तरफ नॉर्थ बॉन्डी में जीवन गुजार रहे थे. इन लोगों ने लोगों ने ऑस्ट्रेलिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी हमलों में से एक को रोकने की कोशिश की.
आतंक और नफरत को इन्होंने आमने-सामने चुनौती दी और इस दिलेर जोड़े को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. उन्होंने आतंक से लड़ते हुए मौत का आलिंगन किया, एक दूसरे की बाहों में लेकिन अपने समाज और समकालीन दुनिया को टेरर के खिलाफ संघर्ष का संदेश दे गए.
बोरिस और सोफिया की बहादुरी की कहानी को ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने पाठकों के सामने गुस्से और गम के मिश्रित भाव से परोसा है.
द सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड ने इस रूसी यहूदी जोड़े की कहानी को रिपोर्ट किया है.
The world needs to know the names of the heroic victims BORIS GURMAN, 69, and his wife SOFIA GURMAN, 61 of blessed memory.
— Avraham Berkowitz (@GlobalRabbi) December 16, 2025
They bravely confronted the terrorist Sajid Akram, 50, and tried to prevent him from opening fire at the Sydney Chanukah celebration.
Viral footage… pic.twitter.com/QmcaqHF6vx
रविवार (14 दिसंबर) दोपहर को बोरिस और सोफिया कैंपबेल परेड पर टहल रहे थे. तभी आतंकी साजिद अकरम अपनी हैचबैक कार में IS के झंडे के पीछे से निकला.
वहां से गुजर रहे एक मोटर चालक के डैशकैम फुटेज में ये घटना रिकॉर्ड है. 69 साल के बोरिस ने साजिद को देखा तो उसे जरा भी हिचकिचाहट नहीं हुई. जैसे ही अकरम ने अपनी कार का दरवाजा खोला बोरिस ने उसे सिडनी के सबसे व्यस्त बीच बुलेवार्ड में से एक की सड़क पर पटक दिया. 50 साल के आतंकी साजिद अकरम की हाथ में राइफल थी. बोरिस ने उसे पटका और उसके हाथों से राइफल छीन ली.
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आस-पास के लोगों को माजरा समझ आने लगा था. लोग बस स्टॉप के पीछे छिप गए, तो बोरिस ने अकरम की राइफल उठाई और हमलावर पर तान दी. आस-पास गाड़ियां गुजर रही थी. ड्राइवर शायद इस बात से अनजान थे कि यहां कत्ले-आम होने वाला है.
वीडियो आगे बढ़ता है. बोरिस कुछ देर के लिए आतंकी पर हावी हो जाते हैं, वह अकरम को उसी की बंदूक से धमकाते हैं, जबकि उसकी पत्नी 61 साल की सोफिया भी उसके साथ मिलकर आतंकी बंदूकधारी पर टूट पड़ती है. इनका लक्ष्य एक ही रहता है साजिश का हथियार छीना जा सके.
इस बीच हंगामा शुरू हो जाता है.
लेकिन दरिंदा अकरम कुछ देर बाद 69 साल के बोरिस पर हावी हो जाता है. वह बोरिस पर हमला करता है और मौका देख दूसरी राइफल उठा लेता है.
इसके बाद का फुटेज नहीं दिखाई देता है. लेकिन एक अलग वीडियो में एक भयानक सच्चाई सामने आती है.
इस फुटेज में दिखता है कि राइफल उठाने के बाद साजिश ने बोरिस और सोफिया को बहुत नजदीक से गोली मारी. ये फायरिंग इतना शक्तिशाली था कि दोनों की ही मौत हो गई. इस दौरान दोनों एक दूसरे की बाहों में थे. शायद दोनों ने एक दूसरे को बचाने की कोशिश की और आतंकी की ओर से की गई फायरिंग की चपेट में आ गए.
बोरिस और सोफिया की शादी को 34 साल हो गए थे, दोनों को एक-दूसरे की बाहों में मृत्यु मिली.
इनके परिवार ने मंगलवार दोपहर को एक बयान में कहा, "हम अपने प्यारे बोरिस और सोफिया गुरमन की अचानक और बेमतलब मौत से बहुत दुखी हैं."
बोरिस एक रिटायर्ड मैकेनिक थे और सोफिया ऑस्ट्रेलिया पोस्ट में काम करती थीं. ये दोनों, आतंकी साजिद अकरम और उसके 24 साल के बेटे नवीद अकरम के हमले के पहले शिकार थे. इस हमले में बॉन्डी बीच पर 15 लोगों की जान चली गई. और 40 से ज्यादा लोग जख्मी हैं.
ड्रोन फुटेज में गुरमन कपल एक-दूसरे को पकड़े हुए इस्लामिक स्टेट के झंडे से ढकी कार के पास लेटे हुए दिख रहे हैं. जबकि आतंकी साजिद और नवीद पुल से गोलियां चला रहे थे.
गुरमन परिवार ने कहा, "बोरिस और सोफिया अपने परिवार और एक-दूसरे के प्रति बहुत समर्पित थे." "वे हमारे परिवार का दिल थे, और उनकी कमी ने एक ऐसा खालीपन छोड़ दिया है जिसे भरा नहीं जा सकता."
अगर बॉन्डी बीच फायरिंग में गुरमन कपल और दूसरे हीरो, जिनमें अहमद अल अहमद, रूवेन मॉरिसन नहीं होते तो इस आतंकी हमले में मरने वालों की संख्या कहीं ज़्यादा हो सकती थी.