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इजरायल-हिजबुल्लाह संघर्ष से लेबनान में बढ़ा तनाव, बेरूत बना शरणार्थी शिविर

बेरूत का ऐतिहासिक शहीदी स्मारक, जो एक समय शहर की पहचान हुआ करता था, अब एक शरणार्थी शिविर में बदल चुका है. दक्षिणी लेबनान के शिया बहुल इलाकों से हिज़बुल्लाह के समर्थक और आम नागरिक अपनी जान बचाने के लिए उत्तर की ओर भाग रहे हैं, और बेरूत शहर में शरण ले रहे हैं.

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बेरूत शहर अब शरणार्थी शिविरों में तब्दील हो रहा है
बेरूत शहर अब शरणार्थी शिविरों में तब्दील हो रहा है

मध्य पूर्व में इजरायल और लेबनान के हिज़बुल्लाह के बीच जारी संघर्ष के बीच स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है. इस तनावपूर्ण माहौल में, दक्षिणी लेबनान की सीमा पर शांति बहाल करने के लिए तैनात संयुक्त राष्ट्र की UNIFIL (United Nations Interim Force in Lebanon) की टुकड़ी पर भी हमले हो रहे हैं. हाल ही में इस हमले में दो शांति सैनिक घायल हुए हैं.

इजरायल का दावा है कि हिज़बुल्लाह जानबूझकर UNIFIL को निशाना बना रहा है, जबकि UNIFIL का कहना है कि इजरायल अपने हवाई हमलों के जरिए संयुक्त राष्ट्र की शांति सैनिक टुकड़ी के बेस के पास हमले कर रहा है, ताकि वह उसे मानवीय ढाल (Human Shield) के रूप में इस्तेमाल कर सके.

अब हालात और खतरनाक हो गए हैं, क्योंकि इजरायली हवाई हमले दक्षिण लेबनान से राजधानी बेरूत तक पहुंच गए हैं. दक्षिणी बेरूत पर जारी हमले अब बेरूत शहर के केंद्र में भी हो रहे हैं. बेरूत में स्थिति बेहद तनावपूर्ण है, जहां हाल ही में दो स्थानों पर इस्राइली हवाई हमले हुए. इन हमलों में 18 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है.

शहीदी स्मारक बना शरणार्थी शिविर
बेरूत का ऐतिहासिक शहीदी स्मारक, जो एक समय शहर की पहचान हुआ करता था, अब एक शरणार्थी शिविर में बदल चुका है. दक्षिणी लेबनान के शिया बहुल इलाकों से हिज़बुल्लाह के समर्थक और आम नागरिक अपनी जान बचाने के लिए उत्तर की ओर भाग रहे हैं, और बेरूत शहर में शरण ले रहे हैं. बड़ी संख्या में शरणार्थी शहीदी स्मारक पर पहुंच चुके हैं, जहाँ वे अपनी ज़रूरत का सामान लेकर सुरक्षित स्थान की तलाश में हैं.

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बेरूत, जिसे दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों में गिना जाता है, अब युद्ध के खतरे से घिरा हुआ है और धीरे-धीरे एक शरणार्थी शिविर में बदल रहा है, स्थिति इतनी विकट हो गई है कि लोग समुद्र तट के किनारे पहुंच रहे हैं, जहाँ युद्ध की गूंज भी सुनाई देती है. 

शांति वार्ता की उम्मीद या युद्ध का खतरा बढ़ता हुआ?
इस पूरे संकट के बीच, अब उम्मीद की नजरें तुर्कमेनिस्तान में होने वाली ईरान और रूस के राष्ट्रपति की बैठक पर टिकी हैं. इस बैठक में शांति प्रक्रिया की कोई पहल होगी या फिर पूरे क्षेत्र पर युद्ध का खतरा और बढ़ेगा, यह देखना बाकी है. मध्य एशिया में यह संघर्ष और भयावह रूप ले सकता है यदि कोई ठोस शांति प्रस्ताव सामने नहीं आता.

उधर, इज़रायल की संसद के सदस्य और सुरक्षा एवं विदेश मामलों की समिति के सदस्य एरियल कलनर ने आजतक से विशेष बातचीत में कहा कि इज़रायल अपनी रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा और अपने सभी दुश्मनों को हराएगा. उन्होंने इज़रायल की सुरक्षा नीतियों और चल रहे संघर्ष पर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं. कलनर ने स्पष्ट रूप से कहा कि इज़रायल अपनी रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि इज़रायल के दुश्मनों के खिलाफ कोई भी कदम उठाने से नहीं हिचकेगा.

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उन्होंने कहा कि इज़रायल इस समय कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ रहा है और यह सभी दुश्मनों को हराने के लिए तैयार है. कलनर ने आरोप लगाया कि हिज़बुल्लाह और हमास जैसे आतंकवादी संगठन आम नागरिकों के पीछे छिपते हैं. उन्होंने कहा कि इज़राइली सशस्त्र बल जब हमला करते हैं तो वह नागरिकों की सुरक्षा का ध्यान रखते हैं. उन्होंने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए यह भी कहा कि वे विशिष्ट लक्ष्यों पर चर्चा नहीं कर सकते, लेकिन इज़रायल अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर विकल्प पर विचार कर रहा है. 

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