scorecardresearch
 

भारत को झटका देने की तैयारी में अमेरिका और यूरोपीय यूनियन, बढ़ेगी मुश्किलें

दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत हीरों की कटिंग और पॉलिशिंग भारत में होती है. इन हीरों में रूसी हीरे भी होते हैं. भारत की हीरा कंपनियां इस हीरों को अमेरिका और अन्य जी-7 देशों को सप्लाई करती हैं. लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन रूसी हीरों पर कड़े प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है. 

Advertisement
X
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो- गेटी)
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो- गेटी)

अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध के बावजूद रूस से भारी-भरकम व्यापार कर रहे भारत को अमेरिका और यूरोपीय यूनियन झटका देने की तैयारी में है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी विदेश मंत्रालय और यूरोपीय यूनियन रूसी हीरों पर कड़े प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है. 

भारत डायमंड पॉलिश का एक बड़ा और प्रमुख बाजार है. दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत हीरों की कटिंग और पॉलिशिंग भारत में होती है. अमेरिका और पश्चिमी देश पहले ही रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगा चुके हैं. हालांकि, इसके बावजूद भी भारत रूस से भारी मात्रा में रियायती कीमतों पर तेल खरीद रहा है. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और रूस के बीच की लड़ाई में भारत फंस गया है.

अंग्रेजी अखबार ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक सप्ताह पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय और यूरोपीय यूनियन के अधिकारियों ने मुंबई के प्रमुख हीरा कारोबारियों और ज्वैलर्स को अलर्ट किया है कि रूसी हीरों पर कड़े प्रतिबंध लगाने की तैयारी चल रही है. 

गुजरात में होता है हीरा पॉलिश

रूस अभी अपने कच्चे हीरों को पॉलिश के लिए सूरत की कारखानों में भेजता है. यहां से पॉलिश होकर न्यूयार्क, पेरिस और टोक्यो के लग्जरी स्टोर डीलरों को सप्लाई किया जाता है. प्रतिबंध के बाद इस पर ग्रहण लग जाएगा.

Advertisement

दरअसल, वर्तमान में बिना पॉलिश किए हुए हीरों को गुजरात के कारखानों में 4Cs (कलर, कैरेट, कट और क्लैरिटी) से गुजारा जाता है. इसके बाद देश की हीरा कंपनियां इस कटिंग और पॉलिशिंग हीरों को अमेरिका और अन्य जी-7 देशों को सप्लाई करती हैं. बिना पॉलिशिंग हीरे की पॉलिशिंग के बाद इसके हार्मोनाइज्ड सिस्टम (HS) कोड में बदलाव किया जाता है, जिससे क्रॉस-बॉर्डर ट्रेड के दौरान माल की पहचान की जा सके. 

वहीं, अगर अमेरिका और यूरोपीय यूनियन रूसी हीरों पर प्रतिबंध लगाते हैं, तो भारत के हीरा व्यापारी उन हीरों को जी-7 देशों में नहीं बेच पाएंगे, जो रूस के होंगे. 

मई के अंत तक प्रतिबंध लगाने की तैयारी

जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन विपुलभाई शाह ने ET से बात करते हुए कहा, " हम इस महीने अमेरिकी सरकार और यूरोपीय संघ के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में शामिल हुए थे, वहां हमें बताया गया कि अमेरिका और अन्य जी-7 देशों में बेचे जाने वाले रूसी हीरों पर सख्त प्रतिबंध लगाने की तैयारी चल रही है." विपुलशाह ने आगे कहा कि अमेरिका और यूरोपीय यूनियन मई के अंत तक इस प्रतिबंध को लागू कर सकते हैं. 

ज्वैलरी काउंसिल के चैयरमेन ने आगे कहा, "हमने उन अधिकारियों को सुझाव दिया है कि इस प्रतिबंध को धीरे-धीरे लागू किया जाना चाहिए. क्योंकि बिना पॉलिशिंग हीरों के बारे में यह पता लगाना मुश्किल है कि यह हीरा कहां का है. क्योंकि इसका पता लगाने के लिए कोई तकनीक नहीं है. ऐसे में अचानक से इस प्रतिबंध से डायमंड उद्योग को नुकसान होगा. क्योंकि रत्न और आभूषण के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है." 

Advertisement

वहीं, डायमंड उद्योग से जुड़े एक अन्य व्यापारी ने कहा कि इस मीटिंग का उद्देश्य ही जी-7 बैठक के दौरान लिए गए फैसलों को अमल में लाना था. उन्होंने यह भी कहा कि फरवरी 2023 में आयोजित जी-7 बैठक में ही यह निर्णय लिया गया था कि रूस के डायमंड ट्रेड को कम किया जाए, क्योंकि रूसी राजस्व का बड़ा हिस्सा डायमंड ट्रेड से आता है.  

भारत-रूस व्यापार उच्चतम स्तर पर

यूक्रेन युद्ध के बाद से ही भारत और रूस के बीच व्यापार में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है. पिछले कुछ वर्षों से हीरा कंपनियां अपने आयात में विविधता लाने और अमेरिकी खनन कंपनी डीबियर्स पर निर्भरता कम करने के लिए रूसी खनन कंपनियों से कच्चा माल खरीद रही हैं. चूंकि, रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा हुआ है, वैसे में हीरा कंपनियां दुबई के जरिए रूसी हीरों को खरीदती हैं. क्योंकि यहां भुगतान प्रतिबंधित डॉलर के बजाय दिरहम में करना होता है.

लेकिन रूस-यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण अमेरिका और यूरोपीय यूनियन जल्द ही रूसी हीरों पर प्रतिबंध लगा सकते हैं. ऐसे में भारत के हीरा व्यापारियों को डर है कि रूस के साथ इस डील को रद्द करना पड़ सकता है. एक डर यह भी है कि इस प्रतिबंध के बाद जी-7 देशों की बाजारों में उनकी बिक्री प्रभावित हो सकती है. 

Advertisement

इंडस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने अप्रैल 2022 और फरवरी 2023 के बीच रत्न और आभूषणों का कुल सकल निर्यात 34.86 अरब डॉलर का किया है, जो एक साल पहले की तुलना में 2.18% कम है. 

कट और पॉलिश्ड हीरों के निर्यात में भारत नं-1

अमेरिका के इस प्रतिबंधि को लेकर भारतीय हीरा व्यापारी इसलिए भी चिंतित हैं, क्योंकि भारत कट और पॉलिश्ड हीरा के निर्यात में नंबर 1 है. 2021 में निर्यात किए गए कुल कट और पॉलिश्ड हीरे का लगभग 33 प्रतिशत निर्यात अकेले भारत ने किया है.

वहीं, सबसे ज्यादा रत्न और आभूषण निर्यात की बात की जाए तो Gem & Jewellery Analytical Reports के मुताबिक,  स्विटजरलैंड के बाद अमेरिका को भारत ने सबसे ज्यादा रत्न और आभूषण निर्यात किया है. साल 2019 से 2021 के दौरान भारत ने सबसे ज्यादा रत्न और आभूषण स्विटजरलैंड को निर्यात किया है. भारत ने कुल आयात का 13 प्रतिशत से ज्यादा निर्यात स्विटरजरलैंड को और 10 प्रतिशत से ज्यादा निर्यात अमेरिका को किया है. 

बिना पॉलिशिंग हीरों का पता लगाना मुश्किल: व्यापारी

व्यापार के जानकारों के अनुसार, रूस से भारत आने वाली बिना पॉलिशिंग हीरों का पता लगा पाना मुश्किल है. हालांकि, कुल आयात हीरों का लगभग 10 प्रतिशत रूस से प्रत्यक्ष तौर पर भारत आता है. यह मात्रा और भी ज्यादा हो सकती है क्योंकि यूएई और बेल्जियम जैसे देशों से भी रूसी हीरे भारत में पॉलिशिंग के लिए आते हैं. 

Advertisement

एक अन्य हीरा व्यापारी ने कहा, "हीरों के बारे में यह पता लगाना कि यह कहां का है, लगभग असंभव है. उसमें भी रूस पर अमेरिका और यूरोपीय संघ के रुख को देखते हुए बहुत कम निर्यातक ही यह बताएंगे कि यह हीरा रूस का है. लेकिन बाद में अगर यह पाया जाता है कि हमने प्रतिबंधों का उल्लंघन किया है, तो अनजाने में ही खुद पर प्रतिबंध लगा बैठेंगे. संभव है कि मुकदमा भी चल सकती है. ऐसे में अमेरिका और यूरोपीय यूनियन का यह निर्णय भारत ही नहीं बल्कि कई देशों की हीरा कंपनियों को प्रभावित करेगा. 

 

Advertisement
Advertisement