
करीब दो दशक तक चले संघर्ष के बाद आखिरकार अमेरिका ने अफगानिस्तान छोड़ दिया है. सोमवार की देर रात को आखिरी अमेरिकी सैनिक ने काबुल की धरती को अलविदा कहा. इसी के बाद अब तालिबान का अफगानिस्तान (Afghanistan) पर एकछत्र राज स्थापित हो गया है.
14 अगस्त के बाद से 31 अगस्त तक काबुल से बड़ी मात्रा में लोगों का पलायन हुआ, लेकिन अभी भी कई लोग अफगानिस्तान में फंसे हैं जो बाहर आना चाहते हैं. ऐसे में अब सवाल ये है कि जब अमेरिका (America) ने अफगानिस्तान छोड़ दिया है तब बाकी लोगों का रेस्क्यू कैसे किया जाएगा, क्या काबुल एयरपोर्ट सुरक्षित रह पाएगा?
अमेरिका के कितने नागरिक बचे हैं?
अमेरिका के मुताबिक, 14 अगस्त से 30 अगस्त तक करीब डेढ़ लाख लोगों ने काबुल एयरपोर्ट से उड़ान भरी है. आधिकारिक तौर पर अमेरिका ने अपना रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म कर दिया है, लेकिन अभी भी करीब 200 अमेरिकी अफगानिस्तान में मौजूद हैं, जिन्हें देश को छोड़ना है.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के मुताबिक, अमेरिका ने काबुल में अपना दूतावास और बाकी राजनीतिक कार्यों को फिलहाल पूरी तरह से बंद कर दिया है. अब अमेरिका जो भी ऑपरेशन करेगा, वह कतर की राजधानी दोहा से करेगा.
कतर के साथ ही संपर्क कर अमेरिका अपने बाकी बचे लोगों को निकालने का काम करेगा और आगे का प्लान पूरा करेगा. अफगानिस्तान में काम करने वाले जो अमेरिका के राजनयिक थे, वह भी अब दोहा से ही काम करेंगे और अफगानिस्तान को लेकर आगे की रणनीति पर काम करेंगे.

अहम हो गया है कतर का रोल
तालिबान-अफगानिस्तान के मामले में कतर का रोल पहले से ही अहम रहा है. जब अमेरिका और तालिबान (Taliban) के बीच वार्ता शुरू हुई तब दोहा को ही चुना गया. दुनिया के साथ राजनीतिक तौर पर बातचीत करने के लिए दोहा ही तालिबान की मुख्य जगह है, उसके कई नेता दशकों से दोहा में रुके हुए हैं.
अब आने वाले दिनों में दोहा पर दुनिया का ध्यान और भी जाएगा, क्योंकि अमेरिकी नागरिकों की तरह अन्य देशों के नागरिकों का रास्ता भी इसी शहर से निकल सकता है.
भारत ने भी जब अपने लोगों को निकालने का काम किया, तब वह कतर के एय़रस्पेस का ही इस्तेमाल कर रहा था. भारत इस दौरान कतर के अलावा ताजिकिस्तान का भी सहयोग ले रहा था, लेकिन ताजिकिस्तान को लेकर चिंता इसलिए भी रहती है क्योंकि उसके लिए अफगानिस्तान-पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल करना होता है, जो तालिबान के राज में अभी चिंता का विषय ही है.