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विश्व

मध्य-पूर्व में बदल रहा है समीकरण, ईरान की चालाकी सब पर भारी

Saudi Arabia UAE Iran
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ईरान से परमाणु समझौते की दिशा में अमेरिका आगे बढ़ रहा है. लेकिन मध्य-पूर्व के कुछ देश इससे असहज हैं. लिहाजा, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भविष्य की सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर ईरान से बातचीत करने में जुटे हुए हैं. दोनों देश अमेरिका का ईरान के साथ परमाणु समझौते को बहाल किए जाने का विरोध करते रहे हैं. 

दरअसल, विश्व शक्तियां 2015 के समझौते को बहाल करने के लिए ईरान और अमेरिका के साथ वियना में बातचीत कर रही हैं. इसके तहत ईरान अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों को खत्म करने के बदले में अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के लिए सहमत होगा. मगर सऊदी और यूएई चाहते हैं कि अमेरिका परमाणु समझौते के साथ-साथ ईरान से उन क्षेत्रीय गुटों का समर्थन देने से रोकने को कहे, जिनके हमले का उन्हें सामना करना पड़ता है. 

(फोटो-Getty Images)

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जो बाइडन प्रशासन उस परमाणु समझौते को बहाल करना चाहता है, जिसे डोनाल्ड ट्रंप ने रद्द कर दिया था. 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ईरान के साथ परमाणु समझौता किया गया था लेकिन ट्रंप ने इसे एकतरफा बताते हुए रद्द कर दिया था और ईरान पर कई प्रतिबंध लगा दिया था.  

(फोटो-AP)

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फिलहाल, बाइडन प्रशासन ईरान के साथ परमाणु समझौते को बहाल करने की तैयारी में है. लेकिन अमेरिका के सहयोगी सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की हमेशा यह शिकायत रही है कि इस करार में ईरान के मिसाइल निर्यात और  क्षेत्रीय अतिवादी गुटों के समर्थन की अनदेखी की गई है. 

(फोटो-Getty Images)

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अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने हालांकि सोमवार को यह साफ कर दिया कि वॉशिंगटन की प्राथमिकता करार को बहाल किए जाने की है. उसके बाद ही इस मंच को अन्य मसलों को सुलझाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.  

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सऊदी अरब यमन से युद्ध में उलझा हुआ है और अपने तेल के बुनियादी ढांचे पर बार-बार मिसाइल और ड्रोन हमलों का सामना कर रहा है. सऊदी हमले के लिए ईरान और उसके सहयोगियों पर आरोप लगाता है. लिहाजा सऊदी और यूएई का कहना है कि परमाणु समझौते के अलावा अन्य मुद्दों को अलग नहीं रखा जाना चाहिए. उन पर भी बात होनी चाहिए. 

(फोटो-AP)

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गल्फ रिसर्च सेंटर के अब्दुल अज़ीज़ सगर ने न्यू एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "खाड़ी देशों का कहना है कि अमेरिका परमाणु समझौते को बहाल कर सकता है. यह उसका निर्णय है. हम इसे बदल नहीं सकते हैं. लेकिन हमें क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखना चाहिए." अब्दुलअज़ीज़ सगर पिछले दिनों अनौपचारिक रूप से सऊदी-ईरान वार्ता में सक्रिय रहे हैं. 

(फोटो-AP)

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खाड़ी के देशों की चिंता है कि बाइडन प्रशासन के साथ वैसा रिश्ता नहीं है जैसा कि ट्रंप के समय अमेरिका से था. उन्होंने वियना वार्ता में शामिल होने की पैरवी की, लेकिन उन्हें मना कर दिया गया. घटनाक्रम से परिचित दो सूत्रों ने बताया कि वियना में वार्ता के परिणामों की प्रतीक्षा करने के बजाय, रियाद ने अप्रैल में सऊदी और ईरानी अधिकारियों के बीच बातचीत की मेजबानी के लिए इराकी प्रस्ताव स्वीकार किए हैं.

(फोटो-AP)

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असल में, ईरान के पास खेलने के लिए कई पत्ते हैं. ईरान यमन में हूती विद्रोहियों का समर्थन करता है, जिनसे निपटने के लिए सऊदी पिछले छह सालों से जूझ रहा है. अब्दुलअज़ीज़ सगर कहते हैं कि यमन ईरान के लिए किफायती सौदा है लेकिन वो सऊदी के लिए महंगा साबित होता है. इसलिए ईरान सौदेबाजी में हमेशा मजबूत स्थिति में रहता है.

(फोटो-AP)

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संयुक्त अरब अमीरात भी ईरान से लगातार संपर्क में है. एक सूत्र ने बताया कि 2019 में टैंक हमले के बाद से दोनों देशों संपर्क में हैं ताकि तनाव को कम किया जा सके.

(फोटो-Getty Images)

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कोविड-19 की दुश्वारियों से निपटने के बाद खाड़ी के देशों की प्राथमिकता अब अपनी अर्थव्यवस्थाओं पर ध्यान केंद्रित करना है. लेकिन अर्थव्यवस्था में सुधार को सुरक्षा का आश्वासनों से अलग नहीं रखा जा सकता है. तीसरे सूत्र ने रॉयटर्स से कहा, "एक (परमाणु) सौदा बिना किसी सौदे से बेहतर है, लेकिन आप दुनिया और निवेशकों को कैसे समझा सकते हैं कि यह एक वास्तविक सौदा है जो समय की कसौटी पर खरा उतर सकता है?"

(फोटो-AP)

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बहरहाल, खाड़ी के देश इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि अमेरिका ईरान के साथ बातचीत में आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों से निपटने के लिए कुछ कदम भी उठाएगा. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भी क्षेत्रीय चिंताओं के समाधान का आश्वासन दे चुके हैं. 

खाड़ी देश संशय में हैं. वॉशिंगटन में संयुक्त अरब अमीरात के दूत यूसेफ अल ओतैबा ने अप्रैल में कहा था कि उन्हें कोई सबूत नहीं दिखता कि ईरान में परमाणु समझौता "एक ऐसा उपकरण बन जाएगा, जिससे उदारवादी सशक्त होंगे." ईरान में इस महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में कट्टरपंथियों के बीच मुकाबला है. ओतैबा ने कहा कि वे शांति से रहना चाहते हैं. कोई मिसाइल हमला और कोई छद्म युद्ध नहीं.

(फोटो-AP)

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