धर्मांतरण रैकेट चलाने के आरोपी बलरामपुर निवासी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर पर बड़ा खुलासा हुआ है. छांगुर के एक करीबी शख्स ने सनसनीखेज दावा किया है. उसके मुताबिक, छांगुर के एक पूर्व आईपीएस अधिकारी सहित कई अन्य अधिकारियों से गहरे संबंध थे. यही अधिकारी मिलकर अवैध धर्मांतरण के काम में छांगुर को संरक्षण देते थे और बदले में मोटी रकम लेते थे.
आरोप है कि छांगुर पर कार्रवाई से बचाने के लिए पूर्व आईपीएस अधिकारी समय-समय पर पुलिसिया मदद भी मुहैया करवाता था. इस बीच छांगुर की राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी सामने आई है. वह सत्ता में पहुंचने के लिए खुद को राजनीति में स्थापित करना चाहता था. इसके लिए उसने उतरौला निवासी एक पूर्व पुलिस अधिकारी को विधानसभा चुनाव में उतारने की योजना बनाई थी.
वहीं, जमालुद्दीन उर्फ छांगुर की खास नीतू उर्फ नसरीन के कमरे से एक लाल रंग की डायरी बरामद हुई है, जिसमें तमाम नेताओं के नाम दर्ज मिले हैं. कथित तौर पर इन नेताओं को छांगुर ने यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ी रकम दी थी. इस 'लाल डायरी' से और भी कई राजनीतिक राज खुलने की संभावना जताई जा रही है. फिलहाल, एटीएस, ईडी समेत अन्य एजेंसियां जांच-पड़ताल में जुटी हुई हैं.
इन सबके बीच खुलासा हुआ है कि छांगुर का धर्मांतरण नेटवर्क भारत के बाहर नेपाल तक फैला है. 'आजतक' की टीम पड़ताल करने बॉर्डर पार पहुंची तो हैरान कर देने वाले तथ्य सामने आए. नेपाल के बॉर्डर एरिया वाले कई गांवों में हिंदू लड़कियों को मुस्लिम युवकों ने बहला-फुसलाकर उनका धर्मांतरण कराया. खुद पीड़ितों ने कैमरे पर आपबीती बयां की है. कई लड़कियां तो अब तक वापस ही नहीं लौटीं. उनके परिजन वर्षों से गुमशुदगी के दर्द को झेल रहे हैं.
मालूम हो कि छांगुर पर आरोप है कि उसने बड़े पैमाने पर धर्मांतरण रैकेट चलाया और हवाला के जरिए करोड़ों का लेनदेन किया. ईडी इसी लेनदेन और मनी ट्रेल की जांच कर रही है. आशंका है कि अवैध फंडिंग के जरिए देश के अलग-अलग हिस्सों में धर्मांतरण की गतिविधियां संचालित की गईं. फिलहाल, छांगुर, नीतू, नवीन समेत कई और आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं.