नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू होते ही यूपी पुलिस अलर्ट मोड पर हैं. संवदेनशील जगहों पर पुलिस नजर रख रही है और गश्त भी कर रही है. इस बीच सीएए नोटिफिकेशन आने के बाद पिछली बार सीएए प्रोटेस्ट में शामिल और लीड करने वाले लोगों ने एक बार फिर इसका विरोध किया है. विरोध करने वाले लोगों ने कहा कि यह कानून हमें ना पहले मंजूर था और अब अब है, जरूरत पड़ने पर हम आगे भी बड़ा प्रदर्शन करेंगे.
मोहम्मद शादाब के कहते हैं, 'हम यहां पर पैदा हुए हैं. ऐसे लोगों की तादाद बहुत ज़्यादा है. हम सीएए को बिलकुल भी नहीं स्वीकारते हैं. जरूरत पड़ी तो पहले से भी बड़ा प्रदर्शन करेंगे. न्याय के लिए जब आगे बढ़ते हैं तो परेशानी उठानी पड़ती है. हर तरीके से हम अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं, अपनी नहीं बल्कि लोगों की लड़ाई लड़ रहे हैं. न्याय की लड़ाई लड़ेंगे, दबे कुचलों की लड़ाई को लड़ा जाएगा.'
सरकार ने नहीं डरेंगे, करते हैं इसकी मुखालफत
सदफ जफर , जो कि सीएए/NRC प्रोटेस्ट में जेल भी गई थी, वह कहती हैं, 'हम इसके खिलाफ पहले भी थे और आज भी हैं. सरकार उनकी व्यवस्था करे जिनको यहां पर नागरिकता देनी है. जो लोग यहां रह रहे हैं उनके बारे में सरकार ने क्या सोचा है? सरकार से कभी नहीं डरेंगे, हम इसी तरीके से अडिग हैं और अडिग रहेंगे.'
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CAA, NRC के विरोध में घंटाघर में आयोजित प्रोटेस्ट में मुख्य रोल में रहने वाली सुमैया राणा ने कहा, 'हम इसका विरोध करते हैं. हम हर तरह से इसकी मुखालफत करते हैं. हम अपनी स्ट्रैटेजी बना रहे हैं कि आगे क्या करना है. अपने लोगों से बात करेंगे क्योंकि नागरिकता देने की बात भी की जा रही है. आगे लेने की भी बात की जाएगी, हम चुप रहने वाले नहीं है.'
याचिकाकर्ता बोला-अभी तक नहीं हुआ वसूली
2019 में CAA NRC का जो प्रदर्शन हुआ था उस दौरान कोर्ट में याचिका दायर करने वाले चतुर्वेदी ने बताया कि तीन याचिका दायर की गई थीं जिसमें वह मुख्य याचिकाकर्ता हैं. पहली याचिका यह थी कि दंगाइयों से वसूली की जाए और पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए. इसके बाद सरकार ने पोस्टर लगाए थे, क्योंकि कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था और कार्रवाई भी हुई थी. मेरी ही याचिका में कोर्ट ने आदेश दिया था, हालांकि अभी तक वसूली नहीं हुई है.
शम्माद अनवर के परिवार का अरोप है कि उनके बेटे को जबरन फंसाया गया जो अभी तक उसका मुकदमा झेल रहा है, शम्माद कहते हैं कि पहले उस मुकदमे को खत्म किया जाए. डालीगंज के रहने वाले मुश्किल मोहम्मद हाशिम के मुताबिक, यह क़ानून हमारी समझ से बाहर है. इसे हम नहीं मानते हैं. मुशीर खान कहते हैं कि मौलाना हमारे ठेकेदार नहीं है. कानून में बदलाव करें थोड़ा और हमारे हिसाब से करें.
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