यूपी की राजधानी लखनऊ की नामी यूनिवर्सिटी एक बार फिर सुर्खियों में है, जहां असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. परवेज सईद अंसारी के अचानक दिए गए इस्तीफे ने जांच एजेंसियों का शक बढ़ा है. सूत्रों के मुताबिक, इस्तीफे की टाइमिंग, उसका तरीका और इसके बाद हुए कई घटनाक्रमों को लेकर ATS (एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड) गहराई से जांच में जुट गई है.
यूनिवर्सिटी प्रशासन के अनुसार, डॉ. परवेज ने 6 नवंबर को ईमेल के जरिए इस्तीफा भेजा था, लेकिन ठीक चार दिन बाद परवेज की बहन की गिरफ्तारी और दिल्ली ब्लास्ट की घटना हुई. इन दोनों घटनाओं के बीच टाइमिंग ने एजेंसियों की शंका को और गहरा कर दिया. ATS अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या सच में यह इस्तीफा डॉ. परवेज ने भेजा था या किसी और ने उसकी ईमेल आईडी का इस्तेमाल किया.
एजेंसी इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस्तीफे के बाद परवेज से संपर्क करने की कोशिश की या नहीं, और उसने सिर्फ ईमेल से ही इस्तीफा क्यों भेजा. इसको लेकर ATS ने यूनिवर्सिटी से कश्मीरी छात्रों का पूरा रिकॉर्ड, उनकी गतिविधियां और प्रोफेसर के साथ उनके संबंधों का ब्योरा भी मांगा है.
एजेंसी को संदेह है कि डॉ. परवेज कुछ कश्मीरी छात्रों को ब्रेनवॉश कर स्लीपर सेल तैयार करने की दिशा में काम कर रहा था. यूनिवर्सिटी में लगभग 60–70 कश्मीरी छात्र पढ़ते हैं, जिनमें मेडिकल के छात्र भी हैं. छात्रों के अनुसार, डॉ. परवेज आम तौर पर शांत और रिजर्व नेचर का था. जम्मू-कश्मीर से आने वाले छात्रों के साथ नजदीकियां थीं.
ATS को हाल ही में उसके कंप्यूटर की हार्ड डिस्क, डिजिटल डिवाइस, दस्तावेजों और वाहनों से कई अहम सुराग मिले हैं. इन सुरागों के आधार पर ATS और J&K पुलिस की संयुक्त टीम लालबाग के खंदारी बाजार स्थित उसके पुश्तैनी घर पहुंची, जहां उसके पिता सईद से पूछताछ की गई और घर की तलाशी ली गई. इसी क्रम में, 10 नवंबर को J&K पुलिस ने फरीदाबाद से डॉ. शाहीन को गिरफ्तार किया था, जो डॉ. परवेज की बहन और ब्लास्ट केस के मुख्य आरोपी डॉ. मुजम्मिल शकील की करीबी मानी जा रही है. उसकी कार से AK-47, पिस्टल और कारतूस बरामद किए गए थे.
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दिल्ली ब्लास्ट की घटना के अगले दिन 11 नवंबर की सुबह ATS और J&K पुलिस की टीम ने लखनऊ के मड़ियांव स्थित डॉ. परवेज के घर पर छापा मारा. घर बंद मिला, जिसके बाद दरवाजा तोड़कर टीम अंदर गई और करीब तीन घंटे तक तलाशी ली गई. सूत्रों के मुताबिक, ATS को यूनिवर्सिटी से भी डॉ. परवेज की गतिविधियों और कश्मीरी छात्रों से नजदीकियों को लेकर अहम दस्तावेज मिले हैं.
इन तथ्यों और घटनाओं की कड़ियों को देखते हुए जांच एजेंसियां अब ब्रेनवॉशिंग, स्लीपर सेल नेटवर्क और दिल्ली ब्लास्ट की साजिश के संभावित कनेक्शन को जोड़ने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं. परवेज के इस्तीफे की टाइमिंग, उसका गायब होना, परिवार पर दबाव और साथ काम करने वालों के बयान... सब मिलकर इस पूरी कहानी को गंभीर बना रहे हैं. फिलहाल, इस बात का पता लगाया जा रहा है कि क्या परवेज का इस्तीफा सामान्य था या बड़ी साजिश का हिस्सा?