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UP: संभल के CO अनुज चौधरी का तबादला, 'होली साल में एक बार, जुमा 52 बार' वाले बयान की हुई थी खूब चर्चा

इस तबादले के तहत अब संभल सर्किल की कमान सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) आलोक भाटी को सौंपी गई है जिन्होंने अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है. यह बदलाव कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और स्थानीय संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए किया गया है.

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अनुज चौधरी को  चंदौसी सर्किल का सीओ बनाया गया
अनुज चौधरी को चंदौसी सर्किल का सीओ बनाया गया

प्रदेश के संभल जिले में पिछले साल 24 नवंबर को हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद से सुर्खियों में आए पुलिस अधिकारी सीओ अनुज चौधरी का तबादला कर दिया गया है. उन्हें संभल सर्किल से हटाकर अब चंदौसी सर्किल का सीओ बनाया गया है, जो संभल जिले का ही एक अन्य क्षेत्र है.

इस तबादले के तहत अब संभल सर्किल की कमान सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) आलोक भाटी को सौंपी गई है जिन्होंने अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है. यह बदलाव कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और स्थानीय संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए किया गया है. हालांकि, इसे लेकर पुलिस विभाग की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी सामने नहीं आई है.

यह भी पढ़ें: संभल सीओ अनुज चौधरी को पुलिस जांच में क्लीनचिट, होली और ईद पर दिए बयान को लेकर मिली राहत

सीओ अनुज चौधरी सिर्फ संभल की हिंसा को लेकर ही नहीं, बल्कि अपने एक बयान को लेकर भी काफी चर्चा में रहे थे. उन्होंने एक बयान देते हुए कहा था, "होली साल में एक बार आती है, लेकिन जुमा (शुक्रवार की नमाज) तो 52 बार आता है." उनके इस बयान को सोशल मीडिया पर खूब वायरल किया गया और इसकी काफी आलोचना भी हुई थी.

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अनुज चौधरी के बयान से मच गया था बवाल

दरअशल अनुज चौधरी ने 6 मार्च को कहा था कि होली के रंगों से असहज महसूस करने वालों को होली के दिन घर के अंदर ही रहना चाहिए. इस बार होली शुक्रवार को पड़ी है, इसी दिन जुमे की नमाज भी होती है. अनुज चौधरी ने लोगों से सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने और कानून-व्यवस्था का पालन करने का आग्रह किया था.

अनुज चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें कहा था कि होली एक ऐसा त्योहार है, जो साल में एक बार आता है, जबकि शुक्रवार की नमाज साल में 52 बार होती है. अगर किसी को होली के रंगों से असहजता महसूस होती है, तो उन्हें उस दिन घर के अंदर रहना चाहिए. जो लोग बाहर निकलते हैं, उन्हें व्यापक सोच रखनी चाहिए, क्योंकि त्योहारों को एक साथ मिलकर मनाना चाहिए.

विवादों और स्थानीय असंतोष को देखते हुए माना जा रहा है कि उनका तबादला प्रशासनिक दृष्टिकोण से एक संतुलित कदम है. हालांकि, उन्हें जिले से बाहर नहीं भेजा गया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि सरकार ने उन्हें पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं ठहराया है.

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