यूपी में सरकारी नौकरी की राह देख रहे अभ्यर्थियों की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. बीते दिनों यूपी पुलिस सिपाही भर्ती (UP Police Exam) मामले में पेपर लीक आउट के चलते सरकार ने परीक्षा को रद्द कर दिया था और फिर से एग्जाम कराने को कहा था. रिव्यू ऑफिसर और असिस्टेंट रिव्यू ऑफिसर (RO/ARO Exam) भर्ती मामले में भी अभ्यर्थियों ने पेपर लीक होने का आरोप लगाया है. इसको लेकर अभ्यर्थी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. इतना ही नहीं 69 हजार शिक्षक भर्ती में भी 6800 पदों पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं हो पाई है.
अब इन सबके बीच लेखपाल अभ्यर्थियों ने लखनऊ के राजस्व विभाग में हजारों की तादाद में पहुंच कर धरना प्रदर्शन किया और नियुक्ति पत्र की मांग पर अड़ गए हैं. 'आज तक' से बातचीत में इन अभ्यर्थियों ने कहा कि 23 फरवरी को प्रदेश सरकार की ओर से ये कहा गया था कि वाराणसी में प्रधानमंत्री के नौकरियों को लेकर होने वाले मेगा शो में उन्हें नियुक्ति पत्र दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब तक उन्हें नौकरी को लेकर शासन प्रशासन की चौखटों पर भटकना पड़ रहा है.
पहले की नौकरी से त्यागपत्र देने को मजबूर किया
अभ्यर्थियों में ऐसे लोग भी है जो अन्य विभागों में सरकारी नौकरी से रिजाइन देकर लेखपाल बनने की उम्मीद लगाए बैठे हैं. उनका कहना है कि सरकार ने उन्हें अपनी पहले की नौकरी से त्यागपत्र देने को मजबूर किया और अब वे न घर के हुए न घाट के. ऐसे में उनका कहना है कि अब सरकार के आश्वासन में वो नहीं फंसने वाले और प्रदर्शन या कुछ भी करके राजस्व मुख्यालय से नौकरी लेकर ही जाएंगे.
अभ्यर्थियों का कहना है कि उनसे NOC मंगवाई गई, दूसरी नौकरी से इस्तीफा भी दिलवा दिया गया, यहां तक की एक महीने नौकरी तक करवाई लेकिन अब नियुक्ति पत्र देने में देरी की जा रही है. इसी को लेकर यूपी के लेखपाल अभ्यर्थी धरने पर बैठे हैं.
जानिए क्या है मामला?
दरअसल, साल 2023 में हुई 8085 पदों पर हुई लेखपाल भर्ती में राजस्व परिषद ने चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने पर रोक लगा दी है. 23 फरवरी को वाराणसी में पीएम मोदी चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने वाले थे. लेकिन उससे पहले ही उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की सिफारिश पर राजस्व परिषद के आयुक्त और सचिव ने सभी मंडलायुक्त और जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर नियुक्ति पत्र देने पर रोक लगा दी.
मालूम हो कि यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा चयनित 7987 लेखपालों के नियुक्ति पत्र की सुनवाई 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में होनी है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद ही अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिए जा सकेंगे.
उधर, अभ्यर्थियों का कहना है कि राजस्व परिषद द्वारा अगर समय रहते नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया होता तो आज यह मामला ना उलझता. अगर लिस्ट जारी होने के बाद जनवरी में ही नियुक्ति पत्र बांट दिए जाते तो यह मामला नहीं फंसता.
क्यों लगी है रोक?
दरअसल, एक अभ्यर्थी ने लेखपाल भर्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसके बाद कोर्ट ने आदेश पारित किया था और विभाग ने नियुक्ति पत्र देने पर रोक लगा दी थी. इसको लेकर कुछ अभ्यर्थियों का कहना है कि राजस्व परिषद को चयनित लेखपाल अभ्यर्थियों की लिस्ट 6 जनवरी को ही दे दी थी. फाइनल चयन परिणाम जारी होने के बाद कुछ अभ्यर्थी कोर्ट चले गए और कोर्ट ने मामले में अंतिम फैसला आने तक नियुक्ति पत्र बांटने पर रोक लगा दी.