यूपी सरकार प्रयागराज महाकुंभ में स्नान करने वालों का जो आंकड़ा दे रही है, वह आंकड़ा कैसे जुटा रही है. यह सवाल कई लोगों के मन में है. अमृत स्नान के दिन महाकुंभ में ढाई करोड़ लोगों ने स्नान किया. जबकि 13 जनवरी यानि कि पौष पूर्णिमा को डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों ने स्नान किया. ऐसे में आइए जानते हैं कि ये गिनती सरकार कैसे कर रही है?
दरअसल, भीड़ को मापने के कई पैमाने हैं. लेकिन योगी सरकार भीड़ की गिनती के लिए जिस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है वह है एआई बेस्ड सीसीटीवी कैमरे. ये कैमरे भीड़ में मौजूद लोगों की संख्या का अनुमान लगा रहे हैं. पूरे मेला क्षेत्र में तकरीबन 1800 कैमरे लगाए गए हैं. जिसमें से 1100 परमानेंट कैमरे हैं, जबकि 700 से ज्यादा टेंपरेरी कैमरे हैं. वहीं, इसमें से ज्यादातर कैमरे एआई बेस्ड हैं.
48 घाटों पर हर घंटे डुबकी लेने वाले लोगों का क्राउड असेसमेंट एक खास टीम कर रही है. महाकुंभ शुरू होने के पहले कई बार क्राउड कैलकुलेशन रिहर्सल किया गया था. महाकुंभ के 48 घाटों पर क्राउड कैपेसिटी एसेसमेंट रियल टाइम बेसिस पर किया जा रहा है. इसके लिए एक टीम का एक्सपर्ट है जो हर घंटे क्राउड काउंटिंग असेसमेंट कर रही है.
48 घाटों पर हर घंटे का क्राउड असेसमेंट कर रही है एक्सपर्ट टीम
एक एक्सपर्ट की टीम सभी 48 घाटों पर हर घंटे क्राउड का असेसमेंट करती है. इसके अलावा ड्रोन के जरिए भी भीड़ को एक निश्चित दायरे में भीड़ के घनत्व को मापा जा रहा है और फिर उसे इस क्राउड असेसमेंट टीम को भेजा जाता है. इसके अलावा एक डेडीकेटेड ऐप है, जो मेले में मौजूद लोगों की हाथों में मोबाइल की औसत संख्या तक ट्रैक कर रहा है.
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सरकार का दावा है कि इस बार यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की गिनती के लिए इस नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. यह टेक्नोलॉजी बेस्ड क्राउड गैदरिंग असेसमेंट है. मेला प्रशासन के मुताबिक ये एक ऐसी डेडीकेटेड टीम है जो भीड़ के घनत्व और उसकी निगरानी के लिए कमांड सेंटर से जुड़ी है और भीड़ की ताजा स्थिति रियल टाइम पर कमांड सेंटर को भेजती है. क्योंकि भीड़ के पैमाने को मापने का यह भी एक बड़ा जरिया है. इसके अलावा पुराने तरीके से लोकल इंटेलीजेंस यूनिट भी अपनी तरफ से भीड़ का अंदाजा सरकार तक पहुंचा रही है.