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PCS अधिकारी ज्योति मौर्य को हाईकोर्ट का नोटिस, सफाईकर्मी पति ने गुजारा भत्ता के लिए पेश की ये दलील

सफाईकर्मी आलोक मौर्य का आरोप है कि शादी के बाद से ही PCS पत्नी ज्योति मौर्य का व्यवहार उपेक्षित रहा और अब वह उन्हें आर्थिक सहयोग देने से भी इनकार कर रही हैं. इसी के चलते उन्होंने पहले पारिवारिक न्यायालय में गुजारा भत्ता की मांग की थी, लेकिन वहां से राहत नहीं मिलने पर उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली. 

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ज्योति मौर्या और आलोक मौर्या (Photo- ITG)
ज्योति मौर्या और आलोक मौर्या (Photo- ITG)

इलाहाबाद हाईकोर्ट में PCS अधिकारी ज्योति मौर्य के खिलाफ उनके पति आलोक मौर्य द्वारा दाखिल गुजारा भत्ता दिलवाने की अपील पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. सफाईकर्मी के पद पर कार्यरत आलोक मौर्य ने पारिवारिक अदालत आजमगढ़ के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उनकी अर्जी खारिज कर दी गई थी. अब इस मामले में हाईकोर्ट ने ज्योति मौर्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. 

आलोक मौर्य का आरोप है कि शादी के बाद से ही पत्नी का व्यवहार उपेक्षित रहा और अब वह उन्हें आर्थिक सहयोग देने से भी इनकार कर रही हैं. इसी के चलते उन्होंने पहले पारिवारिक न्यायालय में गुजारा भत्ता की मांग की थी, लेकिन वहां से राहत नहीं मिलने पर उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली. 

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हाईकोर्ट की डबल बेंच जस्टिस डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव और जस्टिस अरिंदम सिन्हा ने इस मामले की सुनवाई की. न्यायालय ने PCS अधिकारी ज्योति मौर्य को नोटिस भेजकर उनसे जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त को निर्धारित की गई है. 

बता दें कि ज्योति मौर्य और आलोक मौर्य का विवाद पहले भी चर्चाओं में रहा है. यह मामला उस वक्त सुर्खियों में आया था जब पति आलोक ने पत्नी पर कथित धोखा देने और रिश्ता खत्म करने के आरोप लगाए थे. अब कानूनी रूप से गुजारा भत्ता को लेकर यह विवाद एक बार फिर अदालत के समक्ष पहुंच गया है. 

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आपको बता दें कि हाईकोर्ट में दायर याचिका में आलोक मौर्य ने कहा कि अलग रह रही उनकी पत्नी ज्योति मौर्य एक प्रशासनिक अधिकारी है, जबकि वह एक मामूली सरकारी नौकरी करते हैं साथ ही कई बीमारियों से भी पीड़ित हैं. इसीलिए वह उनसे (ज्योति मौर्य) गुजारा भत्ता पाने के हकदार हैं.

मालूम हो कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 के तहत, तलाक या अन्य वैवाहिक विवादों के दौरान पति या पत्नी में से कोई भी पक्ष गुजारा भत्ता मांग सकता है, बशर्ते वह आर्थिक रूप से कमजोर हो या खुद का भरण-पोषण करने में असमर्थ हो. 

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