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'100 से ज्यादा लाशें देखीं, लेकिन बहन नहीं मिली...', हाथरस हादसे के बाद अपनों की तलाश में परिजन, पोस्टमार्टम हाउस के लगाते रहे चक्कर

Hathras Stampede: कासगंज निवासी राकेश कुमार ने कहा कि वह हाथरस हादसे की शिकार अपनी बहन की तलाश में बाइक से इधर से उधर घूम रहे हैं. पोस्टमार्टम हाउस भी जाकर देखा, मगर कुछ पता नहीं चल रहा. प्रशासन द्वारा जारी मृतकों की सूची भी देखी और हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके उसे खोजने की कोशिश की, लेकिन सारे प्रयास बेकार गए.

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हाथरस हादसा: पीड़ित परिवारों के परिजन
हाथरस हादसा: पीड़ित परिवारों के परिजन

यूपी के हाथरस में भगदड़ की घटना के बाद 100 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी. अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं जो अपनों की तलाश में हैं. क्योंकि, भगदड़ के बाद से कई लोग लापता हैं. परिजन उनकी तलाश में दर-दर भटक रहे हैं. इन्हीं में एक हैं कासगंज निवासी 46 साल के राकेश कुमार, जो कि अपनी बहन हरबेजी देवी की तलाश में जुटे हैं. मंगलवार (2 जुलाई) को हुए हादसे के बाद से हरबेजी लापता हैं. 

भगदड़ की घटना के बाद से लापता 50 वर्षीय बहन हरबेजी के भाई राकेश ने बुधवार को कहा कि मैंने 100 से अधिक शवों को पलटकर उनके चेहरे देखे. लेकिन हरबेजी मुझे नहीं मिली. राकेश के मुताबिक, मैंने बाइक से हाथरस, एटा और अलीगढ़ के पोस्टमार्टम हाउस का दौरा किया. वहां बड़ी संख्या में शव पड़े थे और स्थिति भयावह थी. सारे शव चेक कर डाले लेकिन बहन का पता नहीं चला. 

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राकेश कुमार ने न्यूज एजेंसी से कहा कि वह अपनी बहन हरबेजी देवी की तलाश में बाइक से इधर से उधर घूम रहे हैं. पोस्टमार्टम हाउस भी जाकर देखा, मगर कुछ पता नहीं चल रहा. प्रशासन द्वारा जारी मृतकों की सूची भी देखी और हर हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके उसे खोजने की कोशिश की, लेकिन मेरे सारे प्रयास बेकार गए. 

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बकौल राकेश कुमार- "मंगलवार को मुझे अलीगढ़ के एक गांव में रहने वाले मेरे बहनोई का फोन आया, जिसमें उन्होंने बताया कि हरबेजी बाबा के 'सत्संग' में गई थी, लेकिन वापस नहीं लौटी. जबकि उनके पड़ोसी (जो कार्यक्रम में शामिल होने गए थे) घर पहुंच गए हैं. पूछताछ में मुझे बताया गया कि कुछ शव हाथरस और अलीगढ़ भेजे गए हैं. जिसपर मैं अपनी बहन की तलाश में वहां गया. मैंने आपातकालीन वार्ड की भी जांच की, जहां घायलों का इलाज चल रहा था लेकिन वह नहीं मिली."

राकेश कुमार ने बताया कि हरबेजी के चार बच्चे हैं- दो बेटियां और दो बेटे. उसके लापता होने से घर में मातम पसरा हुआ है. परिजन अनहोनी की आशंका से डरे हुए हैं. प्रशासन से मदद मांग रहे हैं लेकिन खोजने में सफलता नहीं मिल रही. जैसे-जैसे समय बीत रहा है दिल घबरा रहा है. 

अपनों की तलाश में भटकते लोग  

राकेश कुमार की तरह कई अन्य लोग भी थे, जो अपने लापता परिवार के सदस्यों की तलाश में या अपने प्रियजनों के शव लेने के लिए आसपास के जिलों से आगरा पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे थे. मथुरा के विशाल कुमार ने बताया कि घटना के बारे में सुनने के बाद वह मौके पर गए और हर जगह तलाश की, लेकिन उनकी मां पुष्पा देवी नहीं मिलीं. 

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विशाल कुमार ने बताया, "आखिरकार हमें पता चला कि उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए आगरा भेजा गया है, इसलिए मैं यहां आया. मां करीब एक दशक से 'भोले बाबा' की भक्त हैं."

वहीं, आगरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि मंगलवार को भगदड़ की घटना के बाद से अब तक 21 शव पोस्टमार्टम के लिए यहां लाए जा चुके हैं. 

बता दें कि हाथरस के सिकंदराराऊ क्षेत्र के फुलराई गांव में एक 'सत्संग' में मची भगदड़ में मरने वालों की संख्या बुधवार को बढ़कर 121 हो गई. पुलिस ने आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसमें उन पर सबूत छिपाने और शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है. 2.5 लाख लोग एक ऐसे आयोजन स्थल पर जमा हुए, जहां केवल 80,000 लोगों को ही अनुमति दी गई थी. घटना तब हुई जब 'सत्संग' समाप्त हो रहा था. कुछ लोगों ने बताया कि बाबा की कार के पीछे भागते समय लोग कीचड़ में फिसल गए, जिससे भगदड़ मच गई. 

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