उत्तर प्रदेश में इस समय कोडीन कफ सिरप तस्करी (Codeine Cough Syrup Smuggling) का मामला चर्चा में है. यह पूरा मामला अब एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है. सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं. विधानसभा के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा सिरप तस्करी मामले में बयान देने के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी पलटवार किया है. वहीं, आरोपियों पर एसटीएफ और ईडी का ताबड़तोड़ एक्शन जारी है.
आपको बता दें कि यह पूरा विवाद मुख्य रूप से करीब ₹2,000 करोड़ के अवैध नशीली दवाओं के कारोबार से जुड़ा है जिसमें नेता, माफिया और बड़े-बड़े रसूखदारों के शामिल होने का आरोप है. हाल ही में कोडीन कफ सिरप के काले साम्राज्य का खुलासा हुआ है. वाराणसी का एक मामूली मेडिकल सप्लायर कैसे देखते ही देखते नशे का 'किंगपिन' बन गया और दुबई तक अपने तार फैला लिए. सिंडिकेट की पूरी इनसाइड स्टोरी...
अवैध कारोबार: उत्तर प्रदेश के वाराणसी, जौनपुर और लखनऊ सहित कई जिलों में कोडीन-आधारित कफ सिरप के एक विशाल अवैध नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ है.
फर्जीवाड़ा: जांच में पता चला है कि 37 लाख से अधिक बोतलें (लगभग ₹57 करोड़ मूल्य की और कुल सिंडिकेट ₹2,000 करोड़ का) फर्जी कागजात, शेल कंपनियों और जाली लाइसेंसों के माध्यम से बेची गईं.
नशे के लिए इस्तेमाल: कोडीन एक नियंत्रित पदार्थ है जिसका उपयोग गंभीर खांसी के लिए होता है, लेकिन इसका बड़े पैमाने पर नशे के रूप में दुरुपयोग किया जा रहा था. इसे यूपी से बिहार, पश्चिम बंगाल और यहां तक कि बांग्लादेश में तस्करी किया जा रहा था.
मुख्य आरोपी: इस रैकेट का मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल माना जा रहा है, जो फिलहाल फरार है और उसने दुबई से वीडियो जारी कर खुद को निर्दोष बताया है. जबकि, सिंडिकेट के अन्य प्रमुख सदस्य- अमित सिंह टाटा, अलोक सिंह आदि को गिरफ्तार किया जा चुका है.
सीएम योगी और अखिलेश के बीच विवाद की वजह
CM योगी आदित्यनाथ ने आरोप लगाया है कि इस अवैध कारोबार में पकड़े गए आरोपियों के तार समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं.उन्होंने विधानसभा सत्र से पहले कहा, "प्रदेश के हर माफिया का संबंध सपा से रहा है." योगी ने अखिलेश यादव पर शायराना तंज कसते हुए कहा- "धूल चेहरे पर थी और आईना साफ करता रहा."
अखिलेश यादव का पलटवार
सीएम के इस बयान के ठीक बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए विपक्ष को निशाना बना रही है. अखिलेश ने कहा कि सरकार "सजातीय" (एक ही जाति के) लोगों को बचाने के लिए कार्रवाई नहीं कर रही है और एसटीएफ के निष्पक्ष होने पर सवाल उठाए. उन्होंने पलटवार में कहा- "जब खुद फंस जाओ, तो दूसरे पर इल्जाम लगाओ."
अब तक की कार्रवाई
यूपी सरकार ने मामले की गहराई से जांच के लिए एक SIT गठित की है. इसमें ईडी (Enforcement Directorate) की भी एंट्री हो चुकी है ताकि पैसों के लेन-देन (Money Laundering) की जांच की जा सके.
छापेमारी और गिरफ्तारियां
अब तक 12 से अधिक दवा कारोबारियों पर केस दर्ज हुआ है और मास्टरमाइंड के करीबियों (जैसे उसके सीए) के ठिकानों पर छापेमारी की गई है. गौरतलब है कि यह मामला केवल दवाओं की अवैध बिक्री का नहीं रह गया है, बल्कि 2027 के चुनाव की आहट के बीच 'माफिया संरक्षण' के आरोपों को लेकर एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है. योगी सरकार इसे नशामुक्त प्रदेश की 'मुहिम' बता रही है, जबकि सपा इसे 'राजनीतिक प्रतिशोध.'
नमकीन के पैकेट और मौत की बोतलें: ऐसे खुला राज
इस कहानी की शुरुआत 18 अक्टूबर को सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज से हुई. आबकारी विभाग ने राजस्थान और महाराष्ट्र नंबर के दो संदिग्ध कंटेनरों को रोका. ऊपर से देखने पर लगा कि इसमें नमकीन और चिप्स के पैकेट लदे हैं, लेकिन जब तलाशी ली गई, तो अधिकारियों की आंखें फटी रह गई. चिप्स के नीचे 11,967 बोतलें 'ESKUF' कोडीन कफ सिरप की छिपाई गई थीं.
ड्राइवर से पूछताछ हुई, तो कड़ियां गाजियाबाद के वसीम और आसिफ से जुड़ीं और अंत में नाम सामने आया- शुभम जायसवाल. डीजीपी मुख्यालय ने जब जांच तेज की, तो पता चला कि यह सिर्फ एक ट्रक की बात नहीं है, बल्कि एक संगठित गिरोह है जो पूरे उत्तर भारत में जहर फैला रहा है.
फर्जी फर्म और 'शैली ट्रेडर्स' का मकड़जाल
जांच में सबसे चौंकाने वाला खुलासा शुभम के काम करने के तरीके को लेकर हुआ. शुभम ने अपने पिता भोला प्रसाद के नाम पर रांची (झारखंड) में 'शैली ट्रेडर्स' नाम की एक फर्म बना रखी थी. कागजों पर यह फर्म दवाइयों का व्यापार करती थी, लेकिन असलियत में इसका इस्तेमाल सिर्फ फर्जी बिलिंग के लिए होता था.
वाराणसी, गाजियाबाद, लखनऊ और कानपुर जैसे शहरों में ऐसी दर्जनों फर्में बनाई गईं जो सिर्फ कागजों पर थीं. हिमाचल प्रदेश की फैक्ट्रियों से कफ सिरप मंगवाया जाता, उसे गाजियाबाद के गुप्त गोदामों में रखा जाता और फिर फर्जी कागजात के जरिए उसे बिहार (जहां शराबबंदी है), पश्चिम बंगाल और नेपाल बॉर्डर तक सप्लाई किया जाता.
कोरोना काल में शुरू हुआ 'नशे का सफर'
कहा जाता है कि कोरोना काल से पहले शुभम जायसवाल एक मामूली दवा सप्लायर था. लेकिन आपदा के समय उसने अवसर तलाशा- नशे का अवसर. कोडीन की बढ़ती डिमांड को देखते हुए उसने अपना नेटवर्क फैलाया. जांच अधिकारियों के मुताबिक, खुद को सुरक्षित रखने के लिए उसने पूर्वांचल के एक बड़े बाहुबली का दामन थाम लिया. इलाके में वह बाहुबली का 'छोटा भाई' कहलाने लगा, जिससे पुलिस और प्रशासन पर उसका दबाव बना रहा.
दुबई भाग गया मास्टरमाइंड, SIT की नजरें टेढ़ी
जैसे ही गाजियाबाद और वाराणसी में एफआईआर दर्ज हुई और एसआईटी (SIT) ने शिकंजा कसा, शुभम जायसवाल और उसका साथी आसिफ रातों-रात अंडरग्राउंड हो गए. खुफिया जानकारी के अनुसार, दोनों इस समय दुबई में छिपे हुए हैं. यूपी पुलिस की एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स और एसटीएफ अब उनकी लोकेशन ट्रेस कर रही है.
इस मामले में अब तक सोनभद्र, गाजियाबाद, वाराणसी और जौनपुर में 5 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं. पुलिस को शक है कि इस सिंडिकेट में कुछ बड़े सफेदपोश और ड्रग विभाग के अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं, जिनकी शह पर यह 'मौत का धंधा' फल-फूल रहा था. फिलहाल, यूपी सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. अब ईडी (ED) भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच कर रही है ताकि शुभम जायसवाल की काली कमाई से बनाई गई संपत्तियों को कुर्क किया जा सके.