लखनऊ में कुशीनगर से भाजपा विधायक पी.एन. पाठक के आवास पर करीब एक दर्जन ब्राह्मण विधायकों ने संगठित होने के लिए 'सहभोज' का आयोजन किया. इस बैठक में शलभ मणि त्रिपाठी और साकेत मिश्रा समेत कई प्रमुख विधायक शामिल हुए, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्राह्मण मुद्दों को मजबूती से उठाना था.
यूपी विधानसभा के 52 ब्राह्मण विधायकों में से 46 भाजपा के हैं, लेकिन हालिया इटावा कथावाचक कांड के बाद समाज में आक्रोश है. इसी बीच सपा महासचिव शिवपाल यादव ने भाजपा पर जातियों को बांटने का आरोप लगाते हुए ब्राह्मण विधायकों को सपा में आने का ऑफर दिया है.
'सहभोज' के बहाने शक्ति प्रदर्शन और उपेक्षा का दर्द
इस बैठक को ब्राह्मण बनाम यादव संघर्ष और इटावा कथावाचक चोटी कांड की पृष्ठभूमि में बेहद अहम माना जा रहा है. विधायकों के बीच इस बात की चर्चा रही कि संघर्ष के दौरान किसी बड़े ब्राह्मण नेता का मौके पर न पहुंचना चिंताजनक है.
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मानसून सत्र में ठाकुर विधायकों की 'कुटुंब' बैठक के बाद अब ब्राह्मण विधायकों ने भी एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करने पर जोर दिया है. खास बात यह रही कि इस सहभोज में भाजपा के अलावा अन्य दलों के भी कुछ ब्राह्मण चेहरे नजर आए.
शिवपाल का ऑफर और राजभर का तंज
सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा जातियों में बांटकर राजनीति करती है. उन्होंने अपील की कि यदि ब्राह्मण विधायकों को भाजपा में सम्मान नहीं मिल रहा है, तो वे समाजवादी पार्टी में आ जाएं. दूसरी ओर, कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने चुटकी लेते हुए कहा कि यह देश अब 'कृषि प्रधान' नहीं बल्कि 'जाति प्रधान' हो गया है. राजभर ने सपा पर भी निशाना साधते हुए सवाल किया कि उनकी सरकार में ब्राह्मणों को कौन सा हक मिल जाता था.