लोकसभा चुनाव को लेकर हर दल वोटों का गणित सेट करने में जुट गया है. समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक यानी पीडीए फॉर्मूले की बात कर अपनी रणनीति साफ कर दी थी. अब सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी पिछड़ा वोटबैंक बचाए रखने के लिए जोर लगाती नजर आ रही है.
बीजेपी और उसके नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने शक्ति प्रदर्शन के लिए अपना दल (एस) के स्थापना दिवस 2 जुलाई को चुना है. उसी दिन सोनेलाल पटेल की जयंती भी है. अपना दल (एस) की अध्यक्ष और केंद्र सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल भी इसे शक्ति प्रदर्शन के अवसर के रूप में ले रही हैं. अनुप्रिया इस मौके पर बड़े आयोजन की तैयारी में हैं.
गृह मंत्री अमित शाह भी अपना दल (एस) के इस आयोजन में शामिल होंगे. कार्यक्रम के लिए निषाद पार्टी के संजय निषाद, बिहार से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान और महाराष्ट्र से आरपीआई के रामदास अठावले को बुलाए जाने की चर्चा है. 2022 के चुनाव में पूर्वांचल के कई इलाकों में कुर्मी मतदाता बीजेपी से छिटक गए थे. ये मतदाता अनुप्रिया की बहन पल्लवी पटेल की पार्टी अपना दल (कमेरावादी) और सपा के साथ चले गए थे.
अनुप्रिया पटेल की पार्टी और बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कुर्मी मतदाताओं को फिर से साधने की कोशिश में हैं. अनुप्रिया पटेल की पार्टी के आयोजन में खुद अमित शाह भी शामिल होने लखनऊ आएंगे. बीजेपी और अपना दल (एस) की कोशिश छिटके कुर्मी मतदाताओं के साथ ही अन्य पिछड़ा मतदाताओं को भी बड़ा संदेश की है.
लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में होगा आयोजन
सोनेलाल पटेल की जयंती पर अपना दल (एस) के कार्यक्रम का आयोजन लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में होना है. इस कार्यक्रम में बीजेपी और अपना दल (एस) के साथ ही एनडीए के घटक दलों के नेताओं के भी शामिल होने की बात कही जा रही है. एक तरफ जहां अमित शाह और अनुप्रिया पटेल एक मंच पर होंगे तो वहीं अपना दल (कमेरावादी) भी कार्यक्रम आयोजित करेगी. इसमें पल्लवी पटेल और सपा प्रमुख अखिलेश यादव एक मंच पर होंगे.
सोनेलाल पटेल की विरासत को लेकर जंग
एक तरफ बीजेपी और अपना दल (एस) कुर्मी वोटबैंक पर दावा कर रहे हैं तो वहीं अखिलेश यादव भी पल्लवी पटेल को साथ लेकर दावेदारी कर रहे हैं. सोनेलाल पटेल के निधन के बाद पल्लवी पटेल और अनुप्रिया पटेल के बीच उनकी विरासत को लेकर जंग छिड़ गई. ये जंग अब कुर्मी वोटबैंक तक आ चुकी है. सोनेलाल पटेल की विरासत की इस जंग में अनुप्रिया पटेल की नजर अपने कोर वोटर कुर्मी बिरादरी पर है. अनुप्रिया स्थापना दिवस पर बड़ा कार्यक्रम कर अपने कोर वोटर को स्पष्ट संदेश देने की कोशिश में हैं.
असल लड़ाई कुर्मी वोट की है. अमित शाह के आने और इस कार्यक्रम के बाद उत्तर प्रदेश में पिछड़ों की सियासत, खासकर कुर्मी वोटर्स का मूड किस तरफ जाता है? गौरतलब है कि अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (एस) का बीजेपी के साथ गठबंधन है तो वहीं पल्लवी पटेल की अपना दल कमेरावादी यूपी चुनाव से पहले सपा के साथ आ गई थी.