अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने यूरोपीय संघ के साथ चल रही ट्रेड से जुड़ी बातचीत में अपनी टैरिफ मांगों को पर कड़ा रुख इख्तियार किया है. उन्होंने यूरोपीय संघ के आयातों पर कम से कम 15 से 20 फीसदी की दर से टैरिफ लगाने पर ज़ोर दिया है. यह जानकारी फाइनेंशियल टाइम्स ने वार्ता से जुड़े सूत्रों के हवाले से दी है.
एक फ्रेमवर्क डील पर हफ़्तों से चल रही चर्चाओं के बावजूद, ट्रंप यूरोपीय संघ के हालिया प्रस्तावों से अप्रभावित हैं, जिनमें कार टैरिफ कम करने का प्रस्ताव भी शामिल है. बताया जा रहा है कि वह ऑटो सेक्टर पर ड्यूटीज को शुरुआती योजना के मुताबिक 25 फीसदी पर ही रखने को तैयार हैं. 1 अगस्त की समय सीमा नज़दीक आने के साथ, वार्ता ठप होती दिख रही है और यूरोपीय संघ पर जवाब देने का दबाव है.
रेसीप्रोकल टैरिफ के बारे में सोच रहे ट्रंप?
FT के मुताबिक, एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि एडमिनिस्ट्रेशन अब रेसीप्रोकल टैरिफ के बारे में सोच रहा है, जो 10 फीसदी से ज्यादा हो सकते हैं, भले ही कोई समझौता हो जाए, जिससे पहले से ही नाजुक बातचीत पर और दबाव बढ़ रहा है.
यूरोपीय संघ के साथ ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन के साथ हुए समझौते जैसा समझौता होने की उम्मीद की थी, लेकिन ईयू आंतरिक मतभेदों का सामना कर रहा है कि वह कैसे प्रतिक्रिया दे. कुछ राजनयिकों ने चेतावनी दी है कि हाई, परमानेंट रेसीप्रोकल ड्यूटीज पर ट्रंप का ज़ोर ब्रुसेल्स को जवाबी कार्रवाई के लिए मजबूर कर सकता है.
एक यूरोपीय संघ राजनयिक ने कड़े रुख का संकेत देते हुए कहा, "हम 15 फीसदी पर समझौता नहीं करेंगे." एक अन्य ने आगे कहा, "हम व्यापार जंग नहीं चाहते, लेकिन हमें नहीं पता कि अमेरिका हमें कोई विकल्प देगा या नहीं."
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तनाव बढ़ने के साथ, यूरोपीय आयोग ने कई जवाबी उपाय तैयार किए हैं. इनमें चिकन और जींस जैसे 21 अरब यूरो के अमेरिकी सामानों पर टैरिफ शामिल हैं, जो 6 अगस्त से लागू होंगे. इसके साथ ही बोइंग विमान और बॉर्बन सहित 72 अरब यूरो के अमेरिकी निर्यात को टारगेट करने वाले अतिरिक्त प्रस्ताव भी शामिल हैं. तीसरी लिस्ट में कथित तौर पर डिजिटल सेवा शुल्क भी शामिल हैं.
इस बीच, ट्रंप ने महंगाई और बाजार अस्थिरता की चिंताओं को खारिज कर दिया है और इसके बजाय पिछली तिमाही में 50 अरब अमेरिकी डॉलर के अतिरिक्त सीमा शुल्क राजस्व की ओर इशारा किया है. हालांकि, इस खबर के बाद अमेरिकी शेयरों में गिरावट आई, लेकिन अप्रैल से बाजार टैरिफ की धमकियों से काफी हद तक उबर चुके हैं.
जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने किसी समझौते पर पहुंचने को लेकर संदेह जताया किया है और चेतावनी दी है कि अमेरिका के सख्त रुख की वजह से सेक्टर-स्पेसिफिक समझौते की उम्मीद कम ही नजर आ रही है.
ट्रंप की समय सीमा से कुछ ही दिन पहले, दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच ट्रेड वॉर की संभावना पहले से कहीं ज्यादा वास्तविक नजर आती है.