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जानें क्या है अमेरिकी राजनीति का समोसा कॉकस, जिसकी संख्या अब बढ़कर 6 हो गई?

अमेरिका में समोसा कॉकस की चर्चा सबसे पहले 2016 में हुई, जब पहली बार अमेरिकी संसद में 5 भारतीय मूल के सांसद चुने गए, जिसमें भारतीय मूल के अमेरिकी नेता और हाउस ऑफ रिप्रेंजेटेटिव के सदस्य राजा कृष्णमूर्ति भी थे.

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भारतीय-अमेरिकी सांसद श्री थानेदार. (फाइल फोटो)
भारतीय-अमेरिकी सांसद श्री थानेदार. (फाइल फोटो)

अमेरिकी चुनाव के नतीजे आने के बाद एक बार फिर समोसा कॉकस की चर्चा शुरू हो गई है. इसकी संख्या अब बढ़कर 6 हो गई है. दरअसल, अमेरिका की राजनीति में 'समोसा कॉकस' शब्द की काफी चर्चा होती है. 2016 में इसकी चर्चा तब हुई थी जब पहली बार अमेरिकी संसद में 5 भारतीय मूल के सांसद चुने गए, जिसमें भारतीय मूल के अमेरिकी नेता और हाउस ऑफ रिप्रेंजेटेटिव के सदस्य राजा कृष्णमूर्ति भी थे.

उन्होंने ही इस ‘समोसा कॉकस’ शब्द को गढ़ा. जिसे संसद के अंदर भारतीय मूल के सांसदों और प्रतिनिधियों का समूह कहा गया. इस बार समोसा कॉकस में 6 सदस्य हैं. चूंकि, समोसा भारतीय व्यंजन है और दुनियाभर में मशहूर है यही कारण है कि इस शब्द को भारतीय मूल के लोगों से आसानी से जोड़ा गया.

अभी कौन है समोसा कॉकस का हिस्सा?

अमेरिका की आबादी करीब 33 करोड़ है. इसमें एक प्रतिशत से कुछ ज्यादा आबादी भारतीय मूल के लोगों की है. 435 सदस्यों की अमेरिकी कांग्रेस में हालांकि भारतीय मूल के सांसदों की संख्या 6 है. छह की इस संख्या के साथ अमेरिकी इतिहास में भारतीय मूल के अमेरिकी सदस्यों की तादाद अब सबसे ज्यादा हो गई है.

सुहास सुब्रमण्यम

वर्जीनिया और ईस्ट कोस्ट से प्रतिनिधि सभा के लिए चुनकर आए सुहास सुब्रमण्यम यहां से जीतने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी हैं. हाउस प्रतिनिधि के रूप में वे वर्जीनिया के 10वें कांग्रेस डिस्ट्रिक्ट का प्रतिनिधित्व करेंगे. 

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अमी बेरा
वह 2013 से कैलिफोर्निया के 6वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और इस चुनाव में लगातार सातवीं बार चुने गए हैं. अमेरिकी कांग्रेस में अमी बेरा सबसे सीनियर भारतीय अमेरिकी हैं. बेरा एक डॉक्टर हैं और उन्होंने कैलिफोर्निया-इरविन यूनिवर्सिटी से एमडी की डिग्री हासिल की है.

श्री थानेदार
वह मिशिगन के 13वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट के लिए दोबारा चुने गए हैं. इस सीट पर वे 2023 से काबिज हैं. उन्होंने 2021-23 में मिशिगन असेंबली के सदस्य के रूप में कार्य किया है. कर्नाटक के बेलगावी में आर्थिक रूप से कमजोर ब्राह्मण परिवार में जन्मे थानेदार ने बॉम्बे विश्वविद्यालय से केमिस्ट्री में मास्टर डिग्री हासिल की है. वे 1979 में 24 साल की उम्र में अक्रॉन यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने के लिए अमेरिका चले गए थे. उनके पास एमबीए की डिग्री भी है.

रो खन्ना
रो खन्ना को कैलिफोर्निया के 17वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट का प्रतिनिधित्व करने के लिए दोबारा चुना गया है. इस सीट पर वे 2017 से काबिज हैं. रो खन्ना के माता और पिता दोनों ही पंजाबी मूल के हैं, जो 1970 के दशक में अमेरिका आकर बस गये थे. फिलाडेल्फिया में जन्मे खन्ना में तकनीक और नवाचार के प्रबल समर्थक हैं.

राजा कृष्णमूर्ति
राजा कृष्णमूर्ति को इलिनोइस के 8वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट का प्रतिनिधित्व करने के लिए दोबारा चुना गया है. वह 2017 से इस पद पर हैं. कृष्णमूर्ति हाउस इंटेलिजेंस कमेटी और हाउस ओवरसाइट कमेटी में काम करते हैं. कृष्णमूर्ति 1973 में नई दिल्ली में जन्मे और अपने परिवार के साथ इलिनोइस के पियोरिया चले गए. उनके पास प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री है और हार्वर्ड से लॉ ग्रेजुएट हैं.

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