पानीपुरी, भारत का सबसे लोकप्रिय स्ट्रीट फूड है. शायद ही ऐसा कोई हो जिसने मसालेदार पानी और चटपटी पूरी का स्वाज न चखा हो. आजकल एक पानीपुरी वाले भैया अपने स्वादिष्ट व्यंजनों के बजाय किसी और ही कारण से सुर्खियों में हैं. इसका कारण है जीएसटी का नोटिस. सोशल मीडिया पर एक वायरल पोस्ट ने नई बहस छेड़ दी है.
सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर @DrJagdishChatur नाम के हैंडल ने जीएसटी नोटिस की कॉपी शेयर की है. इसका कैप्शन दिया है - पानी पूरी वाले ने साल में 40 लाख कमाया और इन्हें इनकम टैक्स का नोटिस मिल गया. ये पोस्ट काफी वायरल हो रहा है और लोगों की इस पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. दरअसल, स्टैंड-अप कॉमेडियन जगदीश चतुर्वेदी ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने नोटिस की तस्वीर साझा की थी. यह ट्वीट तुरंत वायरल हो गया, और लोगों ने इसे मजाकिया अंदाज में अपनी सालाना कमाई से तुलना करते हुए साझा करने लगे.
तमिलनाडु का बताया गया था मामला
पोस्ट के जरिए बताया गया है कि तमिलनाडु के एक पानीपुरी विक्रेता को जीएसटी का नोटिस मिला है. ये भी बताया गया कि पानीपुरी विक्रेता ने ऑनलाइन भुगतानों के माध्यम से 40 लाख रुपये कमाया था. इस कारण ही उन्हें जीएसटी नोटिस मिला. जब इस बारे में गहराई से पता किया गया तो इस नोटिस का सच कुछ और ही निकला.
वायरल नोटिस में थी गड़बड़ी
जब इस वायरल पोस्ट की पड़ताल की गई तो मामला कुछ और ही पाया गया. जीएसटी से पता चला कि नोटिस सही है, लेकिन इस पर दिया गया पता बदल दिया गया था. इस वजह से ये पूरा मामला ही फर्जी पाया गया. दरअसल, फैक्ट चेक में पता चला कि ये नोटिस कन्याकुमारी के एक होटल संचालक को दिया गया था. लेकिन किसी ने इस नोटिस में पता बदलकर हाथ से पानीपुरी वाले का लिख दिया. इसमें स्पष्ट देखा जा सकता है.
फैक्ट चेक में सामने आया सच
जब पता चला कि इस नोटिस में कुछ गड़बड़ियां थीं, तो इंडिया टुडे ने फैक्ट चेक करने का फैसला किया. सेंट्रल GST डिपार्टमेंट के एक सूत्र ने पुष्टि की कि नोटिस वास्तविक है और इसे तमिलनाडु GST विभाग द्वारा जारी किया गया है. इंडिया टुडे ने इसके बाद तमिलनाडु GST विभाग के एक विश्वसनीय सूत्र से संपर्क किया. सूत्र ने कहा कि यह नोटिस फर्जी है. आप देख सकते हैं कि ‘To’ एड्रेस हाथ से लिखा हुआ है, जबकि बाकी सब टाइप किया गया है.
नोटिस का मकसद था कुछ और
जीएसटी के सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि कन्या कुमारी के होटल संचालक को ये नोटिस भेजने का मकसद विक्रेता को GST के तहत पंजीकरण करवाने और GST नंबर लेने की सूचना देना था, जिसे विक्रेता ने मान लिया था. लेकिन किसी शरारती व्यक्ति ने ‘To’ एड्रेस को बदलकर इसे भ्रामक बना दिया.