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स्वीडन में 10 AQI होने के बावजूद दिल्ली लौट रहे युवक की पोस्ट वायरल, बताई ये वजह

एक भारतीय युवक, जो लंबे समय से स्वीडन में रह रहा है, सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. उसने कहा है कि वह अब दिल्ली लौट रहा है, क्योंकि यूरोप की साफ हवा और बेहतर व्यवस्था के बावजूद उसे भारत में ज़िंदगी भावनात्मक रूप से ज्यादा आसान लगती है.

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देश के कई हिस्सों में हवा की गुणवत्ता लगातार नीचे जा रही है (Photo-Pexel)
देश के कई हिस्सों में हवा की गुणवत्ता लगातार नीचे जा रही है (Photo-Pexel)

देश के कई हिस्सों में हवा की गुणवत्ता लगातार नीचे जा रही है. सबसे ज्यादा असर दिल्ली में दिखाई दे रहा है, जहां लोग साफ हवा की तलाश में विदेश जाने तक की सोच रहे हैं. लेकिन इसी माहौल में स्वीडन में रहने वाले भारतीय तकनीकी पेशेवर अंकुर त्यागी की एक पोस्ट सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में है.

अंकुर पिछले पांच साल से स्वीडन में रह रहे हैं. वहां की हवा का स्तर (AQI) लगभग 10 रहता है, यानी बेहद साफ. इसके बावजूद उन्होंने लिखा कि वह 5 दिसंबर को दिल्ली लौट रहे हैं. वजह-उन्हें अब परिवार और दोस्तों के बीच रहने की इच्छा ज्यादा खींच रही है.अंकुर ने अपनी बात X पर लिखी, और उनकी पोस्ट देखते ही देखते हजारों लोगों तक पहुंच गई.

'विदेश चमकदार है, लेकिन अकेलापन बहुत भारी पड़ता है'

अंकुर ने अपनी पोस्ट में साफ लिखा कि बाहर की दुनिया जितनी चमकदार दिखती है, उतनी सरल नहीं होती.उन्होंने बताया कि पांच साल में उन्हें समझ आया कि विदेश में जिंदगी अपने दम पर चलानी पड़ती है.खाना, सफ़ाई, बिल, बच्चों की देखभाल हर काम अकेले करना होता है.सर्दियों का मौसम कई बार इतना ख़ामोश हो जाता है कि मन अंदर से टूटने लगता है.वहां दोस्त मिलते हैं, पर उतने करीब नहीं होते. समुदाय जैसा भाव कम ही दिखता है.अंकुर ने माना कि भारत में अव्यवस्था और शोर है, लेकिन लोग एक-दूसरे के साथ रहते हैं. यही चीज उन्हें वापस खींच रही है.

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देखें पोस्ट

पोस्ट के अंत में उन्होंने लिखा कि हर जगह की अपनी कीमत है. अब समझ आ रहा है कि मुझे किस कीमत के साथ रहना है. दिल्ली लौट रहा हूं… हवा जैसी भी हो, अपने लोग असली ऑक्सीजन हैं.लोगों ने कहा कि जिसने महसूस किया है, वही समझ सकता है.

अंकुर की बात कई लोगों को अपनी लगी. कई यूजर ने लिखा कि हर देश के अपने फायदे-नुकसान होते हैं, लेकिन अपनापन सिर्फ अपने देश में मिलता है. जब मन अपने घरवालों को याद करने लगे, तब दुनिया की सुविधाएं भी फीकी लगती हैं.विदेश में अकेलापन कई लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, जिसे शब्दों में समझाना मुश्किल है.कुछ लोगों ने इसे उन एनआरआई की सच्चाई बताया, जो बाहर रहते तो हैं, पर अपने लोगों की गर्मजोशी को याद करते रहते हैं.

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