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शख्स की पत्नी को आखिरी चिट्ठी, एवरेस्ट पर गायब होने से पहले जो कहा, 100 साल बाद पता चला

आज भी ये एक रहस्य है कि ये लोग एवरेस्ट समिट तक पहुंच पाए या नहीं. कई साल तक इस मामले पर बहस होती रही. फिर 1999 में समिट के पास मैलोरी का शव मिला.

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माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के वक्त लिखी थी चिट्ठी (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के वक्त लिखी थी चिट्ठी (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)

माउंट इवरेस्ट की चढ़ाई करने वाले एक शख्स ने अपनी पत्नी के लिए आखिरी बार चिट्ठी लिखी थी. जो पहली बार लोगों के सामने आई है. इसे 100 साल पहले लिखा गया था. लेकिन अब इसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जारी किया गया है. शख्स का नाम जॉर्ज मैलोरी था. वो साल 1924 में 37 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर लापता हो गए थे. तब उनके साथ एक और शख्स एंड्रयू इरविन थे. वो भी लापता हुए थे. दोनों साथ में ही चढ़ाई कर रहे थे. आज भी ये एक रहस्य है कि ये लोग एवरेस्ट समिट तक पहुंच पाए या नहीं. कई साल तक इस मामले पर बहस होती रही. फिर 1999 में समिट के पास मैलोरी का शव मिला.

जबकि उनके साथ गए इरविन के अवशेष आज तक नहीं मिले हैं. अब 100 साल बाद मैलोरी और उनकी पत्नी के बीच चिट्ठियों के जरिए हुई बातचीत लोगों को पता चली है. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स ने इन चिट्ठियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जारी किया है. मैलोरी ने 27 मई, 1924 को अपनी आखिरी चिट्ठी पत्नी को भेजी. जिसमें उन्होंने लिखा था कि उनके ग्रुप को सफलता मिलने की बहुत कम संभावना है. वहीं 3 मार्च, 1924 को लिखी गई मैलोरी की पत्नी की चिट्ठी में लिखा है कि वो अपने पति को याद कर रही हैं. साथ ही उनकी बातों पर जताई असहमति के लिए माफी मांगी है.

द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, चिट्ठी में जॉर्ज मैलोरी ने अपनी पत्नी को बताया, 'ये हमारे खिलाफ 50 बनाम 1 की बात है, लेकिन हम अभी भी एक कोशिश करेंगे और खुद को गौरवान्वित करेंगे. डार्लिंग, मैं तुम्हें शुभकामनाएं देता हूं, कि इस सबसे अच्छी खबर मिलने से पहले तुम्हारी चिंता समाप्त हो जाएगी. जो जल्द होगा. तुम्हें बहुत सारा प्यार. तुम्हें हमेशा प्यार करने वाला, जॉर्ज.' वहीं रूथ ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि वो जॉर्ज से मिलना चाहती हैं और ये स्वीकार करती हैं कि उन्हें पहले से भी अधिक याद करती हैं. रूथ ने कहा कि वो कभी किए गए गलत व्यवहार के लिए माफी मांगती हैं.  

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ऑनलाइन जारी की गईं चिट्ठी (तस्वीर- The Master and Fellows of Magdalene College, Cambridge)
ऑनलाइन जारी की गईं चिट्ठी (तस्वीर- The Master and Fellows of Magdalene College, Cambridge)

इंडिपेंडेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटली जारी की गईं इन चिट्ठियों से जॉर्ज मैलोरी के जीवन का पता चलता है. जिसमें उन्होंने 1921 और 1922 में एवरेस्ट पर उनके शुरुआती अभियान की जानकारी भी शामिल हैं.

उन्होंने हिमस्खलन में सात शेरपाओं की मौत के लिए खुद को जिम्मेदार महसूस किया था. चिट्ठी में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान के मैलोरी के अनुभव भी शामिल हैं, विशेष रूप से सोम्मे की लड़ाई के दौरान तोपखाने में उनकी ड्यूटी का वक्त. 1999 में मैलोरी की जैकेट की जेब में तीन चिट्ठी मिली थीं. ये 75 साल तक ऐसे ही रहीं. लेकिन अब ऑनलाइन भी लोग इन्हें देख सकते हैं. इनमें उनके भाई ट्रैफर्ड ले-मैलोरी, स्टेला कोबडेन-सैंडरसन और उनकी बहन मैरी ब्रुक की एक चिट्ठी शामिल है.

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