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बकरे ही नहीं इन देशों में बकरीद पर भैंस, गाय और ऊंटों की भी देते हैं कुर्बानी

bakreed festival in world
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इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार ईद उल अजहा यानि बकरीद इस बार 21 जुलाई को मनाया जाएगा. ये त्योहार मीठी ईद यानी ईद उल फितर के 70 दिन बाद मनाया जाता है. इस त्योहार पर जानवर को कुर्बान करने की प्रथा भी वर्षों से चली आ रही है. 
(प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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दुनिया भर के कई देशों में इस त्योहार के दिन अलग-अलग जानवरों की बलि दी जाती है. इनमें बकरे के अलावा सबसे आम भैंस, गाय, भेड़ और ऊंट जैसे जानवर हैं. इनकी कुर्बानी देने के बाद इन जानवरों को तीन हिस्सों में बांटा जाता है और इसका एक-एक हिस्सा गरीबों, दोस्तों और अपने लिए रखा जाता है (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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इंडोनेशिया, तुर्की, पाकिस्तान, मिस्त्र और सउदी अरब जैसे देशों में बकरे के अलावा भैंस, गाय, भेड़ और ऊंट जैसे जानवरों की भी बकरीद के दिन बलि दी जाती है. जम्मू-कश्मीर में भी बकरों के अलावा गाय और भेड़ की बलि दी जाती है. हालांकि इस साल राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर गायों, बछड़ों और ऊंटों की कुर्बानी पर प्रतिबंध लगा दिया है. 
(प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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इंडोनेशिया में भैंस, भेड़ और बकरों को मिलाकर लगभग 6-7 लाख जानवरों की बलि चढ़ाई जाती है. इस त्योहार के लिए सरकार को भी विशेष रूप से तैयारियां करनी पड़ती हैं, इसके लिए कई अधिकारियों को भी सुपरवाइज करने के लिए लगाया जाता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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इसी तरह तुर्की में भी बकरीद को धूमधाम से मनाया जाता है हालांकि इस देश में सड़कों पर जानवरों का खून ना बहे, इसके लिए प्रशासन विशेष व्यवस्था रखता है. ईद के दिन खास दुकानें सजाई जाती हैं और लोग इन दुकानों से जानवरों को खरीदकर अपने घरों में इन जानवरों की कुर्बानी दे सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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चीन में रहने वाले 20 मिलियन मुस्लिम भी इस दौरान मार्केट से गोश्त लाते हैं या फिर कुर्बानी अपने घर में ही देते हैं. वही ईरान में बकरीद के दिन ईरानी लोग कई कल्चरल गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं. कुर्बानी से पहले वे नमाज अदा करते हैं और अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से भी मिलते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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गौरतलब है कि बकरीद को लेकर इस्लाम में इस परंपरा के पीछे एक कहानी है. पैगम्बर हजरत इब्राहिम को बहुत समय से बच्चे नहीं हो रहे थे. मगर जब उन्होंने अल्लाह से दुआ की तो उनके यहां बेटे इस्माईल ने जन्म लिया. जब इस्माईल तेरह बरस के हुए, उस समय इब्राहिम की उम्र 99 साल थी. कहते हैं इब्राहिम को एक सपना आया जिसमें खुदा ने उनसे अपनी सबसे प्यारी वस्तु को समर्पित/क़ुर्बान करने के लिए कहा था.  (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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इसके बाद इब्राहिम ने अपने सबसे प्यारे बेटे इस्माईल को कुर्बान करने को सोचा. इस कुर्बानी के वक्त जब इब्राहिम अपनी और अपने बेटे की आंखों पर पट्टी बांध कर अपने बेटे के गर्दन पर छुरी चलाने ही वाले होते हैं, तभी एक फरिश्ता वहां एक भेड़ रख देते हैं जिसे इब्राहिम अपना बेटा समझ कर काट देते हैं. इसके बाद अल्लाह कहते हैं कि वो इब्राहिम की परीक्षा ले रहे थे और उनकी कुर्बानी को स्वीकार कर लेते हैं.(प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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