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महाराष्ट्र के सरकारी कार्यालयों में मराठी अनिवार्य

महाराष्ट्र के सरकारी कार्यालयों में मराठी अनिवार्य
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महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार ने अपने कामकाज से अंग्रेजी को बाहर कर मराठी भाषा को सभी सरकारी कार्यालय में अनिवार्य कर दिया है. इसके लिए सरकारी अध्यादेश (जीआर) निकाला गया है. इसमें मराठी को अनिवार्य करने के साथ कई नए नियम बनाये गए हैं. जिनसे विवाद बढ़ सकता है.
महाराष्ट्र के सरकारी कार्यालयों में मराठी अनिवार्य
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पिछले साढ़े तीन साल से महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी सरकार अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अध्यक्ष राज ठाकरे की राह पर चलती नज़र आ रही है. सरकार ने एक जीआर जारी कर आदेश दिया है कि महाराष्ट्र के सारे सरकारी अधिकारी मराठी भाषा में ही काम करेंगे, जो ऐसा नहीं करेगा उसका प्रोमशन रुकेगा साथ ही कार्रवाई भी होगी. मराठी का इस्तेमाल हो रहा है कि नहीं यह देखने के लिए विजलेंस अधिकारी की नियुक्ति भी की गई है.
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इस बारे में सांस्कृतिक और मराठी भाषा मंत्री विनोद तावड़े का कहना है कि "हर जगह अंग्रेजी का प्रभाव है. यह परिपत्रक पुराना है, लेकिन हमने इसे दोबारा इसीलिए निकाला है ताकि मराठी भाषा का इस्तेमाल हो रहा हो इसकी निगरानी हो सके. हमारा लोगों से आग्रह है कि अगर हमारी भाषा मराठी है तो हमें ज्यादा से ज्यादा उसका इस्तेमाल करना चाहिए."
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नए जीआर के अनुसार, मराठी का इस्तेमाल सिर्फ बोलचाल के लिए ही नहीं होगा बल्कि, अब सरकारी योजनाओं की जानकारी लोगों को मराठी में देनी होगी. साथ ही चर्चा भी मराठी में होगी. टेलीफोन और मोबाइल फोन पर कामकाज के सिलसिले में बात करनी है तो वो मराठी में ही हो, अधिकारी फ़ाइल पर जो नोटिंग करेंगे वो अंग्रेजी में ना होकर मराठी में हो, सरकारी योजनाओं के नाम मराठी में ही हो, वरिष्ठ अधिकारी भाषण करते वक़्त और सरकारी बैठक में मराठी में ही बात करें, अभ्यास गुट और समिति की रिपोर्ट मराठी में हो.
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उधर, विपक्षी दल की मांग है कि फडणवीस सरकार, सरकारी दफ्तरों में मराठी अनिवार्य करने से पहले महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में मराठी अनिवार्य करें. समाजवादी पार्टी के अबू आसिम आज़मी ने कहा कि, "सरकार के लक्षण ठीक नहीं हैं, सरकार मराठी भाषा को कामकाज की भाषा करना चाहती है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ राज्य के सभी स्कूलों में मराठी की सख्ती नहीं है, पहले सभी स्कूलों में मराठी की सख्ती की जाए ताकी सभी लोग मराठी सीख सकें और किसी को दिक्कत ना आए."
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बता दें कि इस बार सरकार जीआर को लेकर सख्त रवैया अपनाए हुए है. इसमें कहा गया है कि जो अधिकारी और कर्मचारी इस सरकारी अध्यादेश के तहत मराठी का इस्तेमाल नहीं करेगा उसे पहले नोटिस दी जायेगी फिर भी अगर उसने मराठी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया तो उसकी तनख्वाह और प्रमोशन 1 साल के लिए रोक दिया जाएगा.

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