बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच चुका है. मंगलवार को राज्य के 20 जिलों की 122 सीटों पर वोटिंग होनी है. लेकिन इस सियासी हलचल के बीच बिहार की एक और तस्वीर है, जो राजनीति से परे है. यह तस्वीर है बिहार की मिट्टी में बसी सभ्यता, इतिहास और आस्था की. कहीं अजंता-एलोरा की गुफाओं में बौद्ध कला की अनमोल कहानियां हैं, तो कहीं सीतामढ़ी की धरती पर जनकनंदिनी सीता की जन्मकथा आज भी जीवित है. यानी ये बिहार सिर्फ वोटों और वादों का मैदान नहीं, बल्कि हजारों साल पुरानी सभ्यता का जीवंत संग्रहालय है, जहां हर पत्थर, हर मंदिर, हर नदी और हर कहानी में भारत की आत्मा बसती है.
अगर आप इतिहास और कला से गहरा लगाव रखते हैं, तो औरंगाबाद जिला आपके लिए किसी खजाने से कम नहीं. यहां का देव मंदिर औरंगाबाद से करीब 10 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है और अपने प्रसिद्ध सूर्य मंदिर के लिए जाना जाता है. करीब 100 फुट ऊंचा यह मंदिर स्थापत्य कला का शानदार उदाहरण है. कहा जाता है कि यहां राजा अयल के समय से ही सूर्य देव की पूजा और ब्रह्म कुंड में स्नान की परंपरा चली आ रही है. खासकर छठ पर्व के दौरान हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और इस स्थान का आस्था और उल्लास से भरपूर नजारा देखने लायक होता है.
वहीं, उमगा मंदिर, जो औरंगाबाद से करीब 24 किलोमीटर पूर्व में स्थित है, एक प्रमुख वैष्णव तीर्थस्थल माना जाता है. इसकी वास्तुकला देव के सूर्य मंदिर से काफी मेल खाती है. चौकोर ग्रेनाइट पत्थरों से बने इस भव्य मंदिर में गणेश, सूर्य देव और शिव की मूर्तियां स्थापित हैं. इतिहास और शिल्पकला में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए यह जगह न सिर्फ धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि प्राचीन भारतीय वास्तुकला की खूबसूरती को करीब से समझने का अवसर भी देती है.
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मोतिहारी सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि इतिहास की एक पूरी किताब जैसा है. यह वही जगह है, जहां महात्मा गांधी ने नील आंदोलन शुरू करके अंग्रेजों को बड़ी चुनौती दी थी. यहां का गांधी मेमोरियल स्मारक आज भी उस संघर्ष की यादों को सहेजे हुए है. जो कि आजादी के आंदोलन के महत्व को याद दिलाता है. इसके अलावा शहर के बीचों-बीच बनी मोतीझील का शांत पानी सैलानियों को बहुत पसंद आता है.
अगर आप शहर की भीड़ से दूर जाकर कुछ समय प्रकृति के बीच बिताना चाहते हैं, तो जमुई का गिद्धेश्वर वन्य क्षेत्र आपके लिए एकदम सही जगह है. यहां का गरही डैम और आसपास का हरा-भरा इलाका मन को शांति और सुकून से भर देता है. जहां बोटिंग जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं. इसके अलावा पास में ही स्थित सिमुलतला हिल स्टेशन अपनी ठंडी हवाओं और हरे-भरे नजारों के कारण बहुत मशहूर है. यह जगह कभी अंग्रेज अफसरों की पसंदीदा हुआ करती थी और आज भी इसे बिहार का 'मिनी शिमला' कहा जाता है.
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उत्तरी बिहार में स्थित सीतामढ़ी सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि गहरी आस्था का केंद्र है. यही वह पवित्र भूमि है, जहां माना जाता है कि माता सीता का जन्म हुआ था. पुनौरा धाम, हलेश्वर स्थान और जानकी मंदिर जैसे कई स्थल इस जिले को धार्मिक पर्यटन का एक बड़ा केंद्र बनाते हैं. इतना ही नहीं सीतामढ़ी की लोक कला, प्रसिद्ध मधुबनी चित्रकारी और लाख की चूड़ियां आज भी बिहार की समृद्ध परंपरा को जीवित रखे हुए हैं.