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सैर सपाटा

नो डोर, नो मोबाइल! जानें भारत के 5 'अनोखे गांवों की कहानी

Unique villages India
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आज के भागदौड़ भरे डिजिटल युग में भी क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि भारत में कुछ ऐसे गांव हैं, जहां सदियों पुरानी परंपराएं और आधुनिक जीवनशैली का संगम एक अनोखी मिसाल पेश करता है? ये गांव किसी 'छिपे हुए खजाने' से कम नहीं हैं, जो अपनी असाधारण विशेषताओं के कारण पूरी दुनिया का ध्यान खींच रहे हैं. एक ओर वह गांव है जहां लोग 50 सालों से अपने दरवाज़े बंद नहीं करते, क्योंकि उन्हें चोरी का डर ही नहीं है, और दूसरी ओर वह गांव जहां हर शाम 90 मिनट का अनिवार्य 'डिजिटल डिटॉक्स' किया जाता है. ये गांव सिर्फ़ पर्यटन स्थल नहीं हैं, बल्कि जीवन जीने के उन असाधारण तरीकों की कहानी बताते हैं, जो आपको हैरान कर देंगी और शायद आपकी सोच भी बदल देंगी. 

Photo: incredibleindia.gov.in

Digital detox villages in India
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1. वडगांव, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के सांगली ज़िले का वडगांव अपने अनोखे डिजिटल डिटॉक्स नियम के लिए प्रसिद्ध है. दरअसल यहां हर शाम 7 बजे भैरवनाथ मंदिर से सायरन बजते ही सभी लोग मोबाइल और टीवी बंद कर देते हैं. इतना ही नहीं गांव के सभी लोग 90 मिनट तक डिजिटल दुनिया से दूर रहते हैं. यह परंपरा कोविड-19 के दौरान शुरू हुई, जो लोगों के बीच आमने-सामने बातचीत और सामाजिक मेलजोल के महत्व को उजागर करती है.

Photo: facebook.com/ @vadgaonhighschool

A symbol of unbreakable trust
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2. देवमाली, राजस्थान

राजस्थान की अरावली पहाड़ियों में बसा देवमाली गांव अपने निवासियों के बीच अटूट भरोसे और सादगी के लिए मशहूर है. यहां मुख्य रूप से गुर्जर समुदाय के लोग निवास करते हैं. सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि पिछले 50 सालों से यहां चोरी की कोई घटना नहीं हुई है. इस अटूट विश्वास का प्रमाण यह है कि यहां के लोग अपने घरों के दरवाज़े भी खुला रखते हैं. 

Photo: x.com/ @iJKThathera

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Sanskrit speaking village
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3. मत्तूर, कर्नाटक

कर्नाटक के शिवमोग्गा ज़िले में स्थित मत्तूर एक असाधारण गांव के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह दुनिया का एकमात्र गांव है जहां के निवासी अपनी रोज़मर्रा की बातचीत में संस्कृत भाषा का प्रयोग करते हैं. यहां के लोग लुप्त हो रही इस प्राचीन भाषा को बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इतना ही नहीं, गांव के साइनेज भी संस्कृत में हैं. यही वजह है कि यहां के बच्चे और बड़े दोनों संस्कृत शिक्षण शिविरों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं.

Photo: instagram.com/ @gowthambharadwaj

Meghalaya cleanest village
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4. मावफ़्लांग, मेघालय

मेघालय के खासी हिल्स में बसा मावफ़्लांग गांव अपने पवित्र वन (Sacred Grove) के लिए प्रसिद्ध है. स्थानीय खासी समुदाय का मानना है कि लाबासा देवता इस वन में निवास करते हैं, इसलिए इसे अत्यधिक पूजनीय माना जाता है. इतना ही नहीं यहां की परंपरा इतनी सख्त है कि वन के भीतर से किसी भी पत्ते या टहनी को तोड़ना मना है और इसे पाप माना जाता है. अपने इसी रीति-रिवाज के चलते यह गांव प्रकृति और परंपरा के अनूठे बंधन को बखूबी दर्शाता है.

Photo: incredibleindia.gov.in

The remarkable discipline of Asia's cleanest village
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5. मावलिननॉन्ग, मेघालय

मावलिननॉन्ग को पूरे एशिया का सबसे स्वच्छ गांव माना जाता है, जो पर्यावरण संरक्षण का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करता है. यह गांव अपने सख्त नियमों जैसे प्लास्टिक पर प्रतिबंध और वर्षा जल संचयन के लिए जाना जाता है. इतना ही नहीं यहां के निवासी सामुदायिक सफाई अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, और गांव में हर जगह बांस के कूड़ेदान (Bamboo Dustbins) लगे हुए हैं, जो इसकी स्वच्छता बनाए रखते हैं. 

Photo: incredibleindia.gov.in

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