अगर आप 2025 की दिवाली को सचमुच अविस्मरणीय बनाना चाहते हैं, तो अयोध्या से बेहतर जगह कोई नहीं. जहां पूरे देश में रोशनी होती है, वहीं अयोध्या की दिवाली एक अलग ही भक्ति और उद्देश्य का एहसास कराती है. यहां, हर दीया भगवान राम के वर्षों के वनवास के बाद घर लौटने की कहानी कहता है. इस साल दिवाली 20 अक्टूबर को है, लेकिन अयोध्या में दीपोत्सव का जश्न दो दिन पहले ही शुरू हो जाता है. ऐसे में अगर आप अयोध्या जा रहे हैं, तो इन जगहों को देखना न भूलें, नहीं तो आपकी यात्रा अधूरी रह जाएगी.
Photo: incredibleindia.gov.in
अयोध्या की दिवाली का दिल है नवनिर्मित राम मंदिर. यह मंदिर दीपों और फूलों की सजावट से जगमगाता है. लेकिन असली जादू पास की राम की पैड़ी पर होता है. दरअसल यहां घाटों के किनारे लाखों दीये जलाए जाते हैं, जिनका पानी में बनता प्रतिबिंब किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता. इतना ही नहीं यहां दीपोत्सव का सबसे अद्भुत नज़ारा भी देखने को मिलता है.
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हनुमान गढ़ी अयोध्या की एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित मंदिर है, जो दिवाली के समय भक्ति का मुख्य केंद्र बन जाता है. इस दौरान मंदिर की सीढ़ियां हज़ारों दीपों से जगमगाती हैं. खास बात यह है कि यहां से पूरा अयोध्या शहर रोशनी में चमकता दिखाई देता है. यह नज़ारा देखकर चढ़ाई करना मज़ेदार और सार्थक लगता है.
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सरयू नदी दिवाली की शाम को भक्ति का केंद्र बन जाती है. नया घाट पर होने वाली आरती के दौरान जब हज़ारों दीये नदी के पानी पर तैरते हैं, तो वह दृश्य दिल को छू लेता है. इसके अलावा नदी के उस पार दीयों की झिलमिलाहट अयोध्या की दिवाली का सबसे यादगार हिस्सा होती है.
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यह मंदिर भगवान राम और देवी सीता को समर्पित है और अयोध्या के सबसे ख़ूबसूरत मंदिरों में से एक है. दिवाली के दौरान इसकी अंदरूनी सजावट, सुनहरे रंगों और फूलों की माला से शानदार लगती है. अगर आप भीड़-भाड़ के बीच भी कुछ पल शांति से बिताना चाहते हैं, तो रात भर भजनों से गूंजता यह मंदिर एक बेहतरीन विकल्प है.
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भगवान शिव को समर्पित यह प्राचीन मंदिर, दिवाली पर और भी खूबसूरत लगता है. इसकी खास बात यह है कि रोशनी में इसकी पुरानी वास्तुकला और ऐतिहासिक आकर्षण बेहद सुंदर लगता है. जो लोग शोर-शराबे से दूर शांति से पूजा करना चाहते हैं, उनके लिए यह जगह एकदम सही है.
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