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श्यामा प्रसाद मुखर्जी

श्यामा प्रसाद मुखर्जी

श्यामा प्रसाद मुखर्जी

श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Shyama Prasad Mukherjee) भारतीय राजनीति, शिक्षा और राष्ट्रवाद के क्षेत्र में एक अत्यंत प्रभावशाली व्यक्तित्व थे. वे स्वतंत्र भारत के पहले उद्योग मंत्री, एक शिक्षाविद, और जनसंघ (भारतीय जनता पार्टी का पूर्ववर्ती स्वरूप) के संस्थापक थे. उनका जीवन देशभक्ति, सिद्धांतों और बलिदान का प्रतीक है.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को बंगाल (अब कोलकाता) में हुआ था. उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी एक प्रसिद्ध न्यायविद् और शिक्षाविद् थे. श्यामा प्रसाद ने कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और बाद में इंग्लैंड से बैरिस्टर बने. वे केवल 33 वर्ष की उम्र में कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति बने, जो उस समय के सबसे युवा कुलपति थे.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी की राजनीति में रुचि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से प्रेरित थी. वे पहले हिंदू महासभा में शामिल हुए और फिर पंडित नेहरू की मंत्रिपरिषद में भारत के पहले उद्योग मंत्री बने.

हालांकि, उन्होंने कश्मीर नीति और धारा 370 जैसे मुद्दों पर सरकार की नीतियों से असहमति जताई. इसी असहमति के चलते उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जो आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में परिवर्तित हुई.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने "एक देश में दो प्रधान, दो विधान, दो निशान नहीं चलेंगे" का नारा दिया था. वे कश्मीर में भारतीय संविधान का पूर्ण रूप से लागू होना चाहते थे. 1953 में वे बिना परमिट के जम्मू-कश्मीर गए, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के कुछ समय बाद 23 जून 1953 को उनकी रहस्यमयी स्थिति में मृत्यु हो गई, जिस पर आज भी विवाद है.

मुखर्जी का जीवन राष्ट्रवाद, स्वावलंबन और सांस्कृतिक गौरव से प्रेरित था. उन्होंने भारत में उद्योगों की नींव रखी, शिक्षा के क्षेत्र में सुधार किए और भारत को आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा.

उनका सबसे बड़ा योगदान था- एक वैकल्पिक राष्ट्रवादी राजनीतिक दल की स्थापना, जिसने देश में बहुदलीय लोकतंत्र को मजबूत किया.

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