करवाचौथ का व्रत पति-पत्नी के लिए खास अनुष्ठान है. इसमें पत्नियां व्रत रखकर, पूजा करती हैं और सौभाग्य के प्रतीक चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा करती हैं. हालांकि करवाचौथ का व्रत सिर्फ इतना भर नहीं है. यह खास दिन ग्रहों को अपने अनुकूल को बनाने का भी समय है. इस बार के करवाचौथ की सबसे अच्छी बात ये है कि यह शुक्रवार के दिन पड़ रहा है. यानी चंद्रमा, देवी लक्ष्मी और शुक्रग्रह तीनों को मजबूत करने का दिन. शुक्र ग्रह को असुर गुरु शुक्राचार्य के तौर पर भी जाना जाता है.
शुक्राचार्य के परिवार का परिचय
असल में जिस तरह चंद्रमा सौभाग्य, रति और प्रेम का प्रतीक और देवता है उसी तरह एक ग्रह भी इस भौतिक इच्छा की पू्र्ति कराता है. वह है शुक्र ग्रह. पौराणिक कथाओं में शुक्र ग्रह असुर गुरु शुक्राचार्य का प्रतीक है, लेकिन वह सिर्फ असुरों के गुरु ही नहीं हैं. वैदिक ज्योतिष में, गुरु शुक्राचार्य नौ ग्रहों में से एक हैं. यह ग्रह वृषभ और तुला राशियों पर शासन करता है. शुक्र ग्रह स्त्रीत्व, सौंदर्य, रोमांस, प्रजनन, कला और सुख का प्रतिनिधित्व करता है. गुरु शुक्राचार्य की पत्नी उर्जस्वती से चार पुत्र थे – चंद, अमर्क, त्वष्टा और धारात्र. अपनी दूसरी पत्नी जयंती (भगवान इंद्र की पुत्री) से उनकी एक पुत्री थी जिसका नाम देवयानी था.
वैदिक ज्योतिष में शुक्राचार्य और शुक्र ग्रह
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है. इसके प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक, शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है. इसलिए ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शोहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है. शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी होता है और मीन इसकी उच्च राशि है, जबकि कन्या इसकी नीच राशि कहलाती है.
शुक्र को 27 नक्षत्रों में से भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का भी स्वामी कहा गया है. भरणी नक्षत्र पोषण और भंडार का स्वामी है. पूर्वाषाढ़ा और पूर्वा फाल्गुनी प्रेम और रोमांस का प्रतीक है. ग्रहों में बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह हैं और तथा सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह माने जाते हैं. शुक्र का गोचर 23 दिन की अवधि का होता है यानी शुक्र एक राशि में क़रीब 23 दिन तक रहता है.

चंद्रमा और शुक्र ग्रह में संबंध
चंद्रमा, शुक्र का शत्रु ग्रह माना गया है, लेकिन दोनों ही एक जैसा फल प्रदान करता है. शुक्र के फल में कुछ तामसिक प्रवृत्ति भी है, जबकि चंद्रमा हर तरह की नकारात्मकता को दूर कर प्रेम और रोमांस के भाव को भी पवित्र बना देता है.
क्यों होते हैं ब्रेकअप और तलाक!
इसलिए जरूरी है कि सफल दांपत्य जीवन के लिए चंद्रमा और शुक्र दोनों को एक साथ साध कर रखा जाए. अगर आपका शुक्र ग्रह कमजोर है तो दांपत्य और प्रेम में कभी सफल नहीं होंगे. मन हमेशा विचलित रहेगा और कभी भी प्रेम नहीं पा सकेंगे. इससे सामाजिक वैभव भी कम होता है. आजकल रिश्तों में हो रही अनबन, लव अफेयर में होने वाले ब्रेकअप और दांपत्य में होने वाले तलाक-अलगाव की बड़ी वजह है कि शुक्र ग्रह कमजोर होते हैं. चंद्रमा मन की स्थिति को कमजोर करते हैं और इन दोनों के न होने से देवी लक्ष्मी की भी कृपा नहीं होती है.
शास्त्रों में शुक्र देव का वर्णन
शास्त्रों में शुक्र देव के रूप का वर्णन कुछ इस प्रकार किया गया है - शुक्र श्वेत वर्ण के हैं और ऊंट, घोड़े या मगरमच्छ पर सवार होते हैं. इनके हाथों में दण्ड, कमल, माला और धनुष-बाण भी है. शुक्र ग्रह का संबंध धन की देवी मां लक्ष्मी से है. असल में चंद्रमा और शुक्र ग्रह दोनों ही मां लक्ष्मी के भाई हैं. देवी लक्ष्मी ने एक बार महर्षि भृगु की पुत्री बनकर जन्म लिया था और भार्गवी कहलाई थीं. भृगु ही शुक्राचार्य के पिता हैं.
देवी लक्ष्मी के भाई हैं शुक्राचार्य
वहीं लक्ष्मी की सशरीर उत्पत्ति सागर मंथन से एक रत्न के रूप में चंद्रमा के साथ भी हुई थी. इसलिए देवी लक्ष्मी, चंद्रमा और शुक्र ग्रह आपस में भाई-बहन हैं और तीनों ही सौभाग्य के प्रतीक हैं. इसलिए हिन्दू धर्म के अनुयायी धन-वैभव और ऐश्वर्य की कामना के लिए शुक्रवार के दिन व्रत करते हैं.
करवाचौथ, शुक्रवार और शुक्र ग्रह का कनेक्शन
करवाचौथ के दिन चंद्नमा को अर्घ्य देने से चंद्र देव की कृपा मिलती हैं. इसी तरह पति और पत्नी आपस में एक-दूसरे को उपहार देते हैं तो शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं. शुक्र ग्रह और चंद्रमा दोनों को एक साथ मजबूत करने का उपाय ये है कि पति शुक्रवार के दिन या करवाचौथ के ही दिन पत्नी को चांदी का उपहार दें. उन्हें पायल-तोड़ियां या चांदी की ब्रेसलेट उपहार में दी जा सकती है. पत्नी भी पति को चांदी की ब्रेसलेट उपहार में दे सकती हैं. चांदी चंद्रमा, शुक्र ग्रह और लक्ष्मी तीनों की ही धातु है.
स्वच्छता और सुंदरता से मजबूत होते हैं शुक्र ग्रह
शुक्र ग्रह को मजबूत करने का आसान उपाय है स्वच्छता और सुंदरता. अगर आप शरीर को साफ रखें, उसे तेल मालिश से सुंदर रखें, सामान्य और आकर्षक शृंगार करके दर्शनीय छवि रखें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें, वह गंदे या फटे न हों तो शुक्र ग्रह मजबूत होता है. शुक्र ग्रह के कमजोर हैं, इसका पहला लक्षण आपके कपड़ों और पहनावे से दिख जाता है.
इसके अलावा शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए शु्क्रवार को कुछ उपाय भी अपना सकते हैं.

इलाचयी दाने का उपाय
बड़ी इलाचयी के कुछ दाने लेकर इसे पानी में उबालिए. जब पानी आधा रह जाए तो इसे नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करें. इससे शुक्र मजबूत होगा और आपको धन, सुख, सौंदर्य, संपत्ति प्राप्त होगी. अगर रिश्तों में उलझन है, तकरार बढ़ रही है या फिर कलह से परेशान हैं तो बड़ी इलायची का ये प्रयोग शुक्र को मजबूत करने के लिए हर शुक्रवार को करना चाहिए. इससे दांपत्य जीवन भी सुधरता है.
धन के लिए उपाय
अगर आपकी जेब में पैसा नहीं टिकता है यानि बचत नहीं हो पा रही है तो हर शुक्रवार को अपने पर्स में पांच इलायची रखें और इन्हें अगले शुक्रवार तक रखे रहें. इसके बाद अगले शुक्रवार नई पांच इलायची जेब में रखें और पहले वाली इलायची को किसी पीपल के पेड़ के नीचे चुपचाप डाल आएं.
इसी तरह आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए किसी शुक्रवार को किन्नर को उसकी मनपसंद वस्तु का दान दें और उसी समय उसे इलायची भी खाने के लिए दें. उससे इस बारे में कुछ न कहें.
यदि वह इलायची खा ले तो समझिए आपकी धन संबंधी समस्याएं दूर हो जाएंगी. अगर वह उसी समय इलायची न खाए तो अगले शुक्रवार फिर वही प्रयोग दोहराएं. ऐसा तब तक करते रहें जब तक कि वह आपके सामने इलायची न खा लें. करवाचौथ के मौके पर इस तरह शुक्र ग्रह, देवी लक्ष्मी और चंद्र देव को प्रसन्न किया जा सकता है.