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जगुआर फाइटर जेट

जगुआर फाइटर जेट

जगुआर फाइटर जेट

जगुआर (SEPECAT Jaguar) एक बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान है, जिसे फ्रांस और ब्रिटेन ने संयुक्त रूप से विकसित किया था. इसे भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) भी इस्तेमाल कर रहा है. इसे सेपेकैट जगुआर (SEPECAT Jaguar) भी कहा जाता है. भारतीय वायुसेना के पास 160 जगुआर विमान हैं, जिनमें से 30 ट्रेनिंग के लिए हैं.  

1968 से 1981 तक दुनिया में कुल 573 जगुआर फाइटर जेट बनाए गए. यह एक ग्राउंड अटैक (भूमि पर हमला करने वाला) और गहराई तक घुसकर हमला करने में सक्षम फाइटर जेट है. भारतीय वायुसेना (IAF) ने इस विमान को 1979 में शामिल किया और इसे ‘शमशेर’ के नाम से भी जाना जाता है.

जगुआर का निर्माण SEPECAT नामक एंग्लो-फ्रेंच संयुक्त रूप से निर्माण किया था. यह विमान मूलतः प्रशिक्षण और हल्के हमलों के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन बाद में इसे उन्नत क्षमताओं से लैस किया गया और इसे एक पूर्ण युद्धक विमान में परिवर्तित किया गया. इसकी खासियत इसकी लो-लेवल पैंठने की क्षमता और टारगेट पर सटीक प्रहार करने की योग्यता है.

भारतीय वायुसेना में जगुआर का प्रमुख उपयोग ग्राउंड अटैक, दुश्मन की पोजीशनों पर गहराई में हमला, समुद्री लक्ष्यों पर अचूक वार और परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता जैसे ऑपरेशनों में होता है. इसकी निम्न-ऊंचाई वाली उड़ान और दुश्मन के रडार से बचने की क्षमता इसे युद्ध में बेहद प्रभावशाली बनाती है.

भारतीय वायुसेना ने समय के साथ जगुआर को कई आधुनिक तकनीकों से लैस किया है. इसमें DARIN (Display Attack Ranging Inertial Navigation) प्रणाली का बड़ा योगदान है, जो विमान की नेविगेशन और हथियार नियंत्रण क्षमताओं को अत्यधिक सटीक बनाती है.

इसके अलावा, HAL (हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड) द्वारा इस विमान के लिए इंजन और एवियोनिक्स अपग्रेड की गई है ताकि यह 2035 तक सेवा में रह सके.

जगुआर ने भारतीय वायुसेना के कई सैन्य अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई है. 1999 का कारगिल युद्ध में जगुआर ने पाकिस्तानी पोस्ट्स पर सटीक हमले किए. इसकी सटीकता और ताकत ने दुश्मन को भारी क्षति पहुंचाई. जगुआर की एंटी-शिपिंग क्षमताओं ने इसे नौसेना के समर्थन में भी उपयोगी बनाया.

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