गुजरात हाई कोर्ट
गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) गुजरात राज्य का उच्च न्यायालय है. इसे 1 मई 1960 को बॉम्बे राज्य से गुजरात राज्य के विभाजन के बाद बॉम्बे री-ऑर्गनाइजेशन एक्ट, 1960 के तहत स्थापित किया गया था. कोर्ट की प्रिंसिपल सीट अहमदाबाद है (Gujarat High Court Principal Seat).
न्यायालय के पास अपीलीय के अलावा मूल क्षेत्राधिकार है. इस न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों की अपील केवल भारत के सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है. इस अदालत में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 52 है (Gujarat High Court Sanctioned Strength).
गुजरात उच्च न्यायालय को 1 मई 1960 को पूर्व राज्य बॉम्बे के दो राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात में विभाजन के बाद स्थापित किया गया था (Gujarat High Court Establishment). सुंदरलाल त्रिकमलाल देसाई गुजरात हाई कोर्ट के पहले मुख्य न्यायाधीश थे, जो 1 मई 1960 से 25 जनवरी 1961 तक इस पद पर रहे थे (First Chief Justice of Gujarat High Court). शुरुआत में यह अदालत नवरंगपुरा, अहमदाबाद स्थित भवन से कार्य करती थी, जिसे 16 जनवरी 1999 से सरखेज-गांधीनगर राजमार्ग, सोला, अहमदाबाद में नए भवन में स्थानांतरित कर दिया था (Gujarat High Court Premises).
गुजरात उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र पूरे गुजरात राज्य पर है. गुजरात में सभी जिला, प्रशासनिक और अन्य अदालतों पर इसका अधिकार क्षेत्र है. 13 अक्टूबर 2021 से अरविंद कुमार गुजरात हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं (Current Chief Justice of Gujarat High Court).
अहमदाबाद के एक अनोखे मामले में एक पति ने अपनी पत्नी के ‘डॉग लव’ को अपनी वैवाहिक जिंदगी के टूटने की वजह बताते हुए तलाक की मांग की है. पति का कहना है कि पत्नी सड़क से भटकता कुत्ता घर ले आई थी जो बिस्तर पर सोता था, उसे काट चुका था और इसी तनाव से वह डायबिटीज व इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का शिकार हो गया.
गुजरात हाई कोर्ट ने पूर्व क्रिकेटर और टीएमसी सांसद यूसुफ पठान को वडोदरा स्थित सरकारी भूखंड पर अतिक्रमणकारी पाया और कब्ज़ा हटाने का आदेश दिया. कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा कि मशहूर हस्तियों को कानून तोड़ने पर छूट नहीं मिल सकती, क्योंकि इससे समाज में गलत संदेश जाता है.
गुजरात हाई कोर्ट ने रेप के दोषी आसाराम की अस्थायी जमानत 3 सितंबर तक बढ़ा दी है. इससे पहले राजस्थान हाई कोर्ट ने भी 29 अगस्त तक राहत दी थी. दोनों कोर्ट्स मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर आगे का निर्णय लेंगे. आसाराम फिलहाल उम्रकैद की सजा काट रहे हैं और स्वास्थ्य कारणों से बार-बार जमानत मांग रहे हैं.
हाई कोर्ट के जस्टिस सुपेहिया ने कहा, "सोशल मीडिया पर वायरल हाई कोर्ट की कार्यवाही का एक वीडियो क्लिप फोन पर बात करने और सुनवाई में भाग लेने के दौरान बीयर मग में ड्रिंक लेने के उनके अपमानजनक व्यवहार को दर्शाता है."
सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को सलाह देने या पक्ष रखने के लिए पुलिस और जांच एजेंसियों द्वारा समन भेजे जाने पर गहरी आपत्ति जताई है. कोर्ट ने कहा कि यह न्याय व्यवस्था में हस्तक्षेप और वकालत की स्वतंत्रता पर चोट है. इस मुद्दे पर कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल और अन्य वरिष्ठ निकायों से सहायता मांगी है.
गुजरात हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी मिली है. एक ईमेल मिला, जिसके बाद हड़कंप मच गया. हाईकोर्ट की कार्यवाही को भी स्थगित करना पड़ा. जिसके बाद तुरंत पुलिस मौके पर पहुंची और हाईकोर्ट परिसर को खाली कराकर जांच पड़ताल शुरू की गई. देखें गुजरात आजतक.
गुजरात हाईकोर्ट को लगभग साढ़े 12 से 1 बजे के बीच एक ईमेल मिला, जिसमें कोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी दी गई और साथ ही उनको खाली करवाने का भी कहा गया था. इस सूचना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और पूरे हाईकोर्ट संकुल को खाली करवाया गया, वाहनों की जांच की गई और प्रवेश बंद कर दिया गया. देखें रिपोर्ट.
गुजरात हाईकोर्ट ने 13 साल की नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के 33 सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात करने की इजाजत दे दी है. पीड़िता एनीमिया से पीड़ित है, जिससे गर्भावस्था उसके लिए गंभीर खतरा बन गई थी. आरोपी के खिलाफ बलात्कार और पोक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज है. फैसले को न्यायपालिका की संवेदनशीलता और मानवाधिकार संरक्षण माना जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में विचार का जवाब विचारों से हो. अगर बड़ी संख्या में लोगों को विचार पसंद ना हो तब भी विचार व्यक्त करने वाले का सम्मान हो. ये लकीर भारत की सबसे बड़ी अदालत को कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की एक कविता के बोल को लेकर खींचनी पड़ी. देखें 10 तक.
इमरान प्रतापगढ़ी पर उनकी कविता के लिए गुजरात में दर्ज एफआईआर मामले में राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "कविता, कला और व्यंग्य जिंदगी को समृद्ध करती है. स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति समाज के लिए जरूरी है. पुलिस अभिव्यक्ति की आजादी सुनिश्चित करे."
जस्टिस पी एस नरसिम्हा और मनोज मिश्रा की पीठ ने यह भी कहा कि दंगों के मामलों में अदालतों को उन गवाहों की गवाही पर भरोसा करने में बेहद सावधानी बरतनी चाहिए जिन्होंने अभियुक्तों या उनकी भूमिकाओं का विशेष संदर्भ दिए बिना सामान्य बयान दिए थे.
एक व्यक्ति ने गुजरात हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है. अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, अहमदाबाद पुलिस आयुक्त और अन्य को नोटिस जारी किया है. याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उसकी बेटी इस्कॉन के एक पुजारी के साथ सोना और नकदी लेकर भाग गई है. और उसे अवैध रूप से बंधक बना लिया है.
आसाराम बापू पिछले 11 साल से जेल में बंद हैं. इस वजह से नारायण साईं अपने पिता से नहीं मिल पाया है. इसलिए गुजरात हाईकोर्ट ने मानवीय आधार पर नारायण साईं की पिता से मिलने की याचिका मंजूर कर ली है. नारायण साईं को सूरत जेल से विशेष विमान से जोधपुर ले जाया जाएगा और 4 घंटे तक पिता आसाराम से मिल पाएगा.
सोमनाथ डिमोलिशन मामले की सुनवाई करते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की अंतरिम स्टे और यथास्थिति बनाए रखने की मांग को खारिज कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने तोड़ी गई संपत्ति के बारे में सरकार से जानकारी मांगी है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी.
कोर्ट ने राजकोट नगर निगम से हलफनामा लेने से इनकार कर दिया. इसके बाद नगर निगम की ओर से दाखिल हलफनामा वापस ले लिया गया. हाइकोर्ट ने आदेश के अनुपालन के लिए उठाए गए कदमों और अग्निकांड में मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में नए एफिडेविट के साथ आने को कहा है. आगे की सुनवाई 27 सितंबर को होगी.
वक्फ संसोधन अधिनियम 2024 के मामले में गुजराज के गोधरा और गांधीनगर के गणेश पंडालो में बैनर लगे हुए हैं. यहां क्यू आर कोड स्कैन कर के वक़्फ़ संसोधन बिल के समर्थन में हिन्दू संगठनों ने मुहिम शुरू की. वीएचपी समेत कई हिन्दू संगठन गणेश पंडालो में बिल के समर्थन में क्यू आर कोड के बैनर लगाकर उसे लोगों से स्कैन करवा रहे हैं.
गुजरात हाईकोर्ट ने रेप मामले में सजा निलंबित करने की मांग वाली आसाराम की याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने आसाराम की याचिका पर सुनवाई कर सजा निलंबित से इनकार करते हुए कहा कि आसाराम को राहत का कोई मामला नहीं बनता है. जनवरी 2023 में सत्र अदालत ने उसे 2013 के बलात्कार मामले में दोषी ठहराया था.
मामला 2005 का है, जब 108 हेक्टेयर जमीन अडानी पोर्ट्स को आवंटित की गई थी. 2010 में, जब कंपनी ने जमीन पर बाड़ लगाना शुरू किया, तो नवीनल गांव के निवासियों ने एक जनहित याचिका के साथ गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
कोर्ट ने कहा कि, 'सरकार का शहरी विकास विभाग इन सभी नगर निगमों की विभागीय जांच करें, क्या नगर निगमों ने सही तरीके से काम किया? जो भी जिम्मेदार हैं, उन सबके नाम फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में होने चाहिए. गेम ज़ोन जब से शुरू हुआ तब वहां पर जो भी अधिकारी गए थे उनको सब पता था, तो वह लोग क्या कर रहे थे?
राजकोट में गेमिंग जोन में लगी आग लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है. अब गुजरात हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है. HC ने सवाल उठाया है कि बिना इजाजत गेमिंग जोन कैसे चल रहा था. पूरे मामले को लेकर 6 लोगों पर FIR दर्ज की गई है कंपनी के मालिक के साथ दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
गुजरात हाई कोर्ट ने लापरवाही के लिए ओरेवा कंपनी को नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही कोर्ट ने फटकारते हुए कहा कि, आप यहां लुका-छिपी खेलने नहीं आए, आप हर वक्त ऐसा कर रहे हैं. पहले कहा गया कि एमडी जेल में हैं और अब दूसरा बहाना बनाया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि, यह स्वत: संज्ञान से की गई सुनवाई है, हम कंपनी की बात सुनने के लिए बाध्य नहीं हैं.