गुजरात हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए 13 वर्षीय नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के 33 सप्ताह के भ्रूण का विशेषज्ञ चिकित्सक की मौजूदगी में गर्भपात कराने की मंजूरी दी है. नाबालिग पीड़िता एनीमिया से पीड़ित है जिसकी वजह से चिकित्सक की निगरानी का आदेश भी दिया है.
राजकोट की 13 वर्षीय पीड़िता को गर्भपात की मंजूरी
राजकोट की एक 13 साल दुष्कर्म पीडिता के 33 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात के लिए गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसे हाईकोर्ट ने मंजूरी दे दी है. नाबालिग पीडिता अपने पड़ोस में रहने वाले एक युवक द्वारा शारीरिक शोषण किये जाने के बाद गर्भवती हो गई थी. आरोपी युवक के खिलाफ राजकोट बी डिवीजन पुलिस स्टेशन में बलात्कार और पोक्सो एक्ट के तहत शिकायत दर्ज की गई थी.
पीड़िता की स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर लिया गया निर्णय
कोर्ट ने आदेश में कहा कि पीड़िता की बहुत कम उम्र, गर्भावधि उम्र और मध्यम एनीमिया और मानसिक स्थिति और कम आईक्यू स्तर जैसी चिकित्सा स्थिति से संबंधित सभी कारकों पर विचार करने के बाद, गर्भावस्था को जारी रखने से मां के लिए जोखिम और बढ़ जाएगा. गर्भपात एनीमिया के मूल्यांकन और सुधार के बाद किया जा सकता है, क्योंकि गर्भपात से पीड़ित को गर्भावस्था की समाप्ति से संबंधित जटिलताओं का उच्च जोखिम है.
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कोर्ट ने जल्द प्रक्रिया कराने के दिए निर्देश
कोर्ट ने यह भी कहा कि आवेदक केवल 13 वर्ष की आयु की है और उसके सामने एक लंबा जीवन है और चूंकि गर्भपात संभव है, कोर्ट में दी गई रिपोर्ट के अनुसार, न्याय के उद्देश्यों को पीड़ित लड़की के माता-पिता या संरक्षकों को गर्भपात के जोखिम को समझाकर और उनकी सहमति प्राप्त करने के बाद और उनके हस्ताक्षर प्राप्त करने के बाद पूरा किया जाएगा. प्रभारी चिकित्सा अधिकारी और चिकित्सा अधीक्षक, पीडीयू जनरल अस्पताल, राजकोट को निर्देश दिया जाता है कि वे पीड़ित लड़की की उम्र को देखते हुए, सभी संभव देखभाल और सतर्कता बरतने के बाद और गर्भपात के दौरान आवश्यक सभी चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था करने के बाद, जल्द से जल्द और यदि संभव हो तो आज ही प्रक्रिया करें.