परिसीमन (Delimitation) एक प्रक्रिया है जिसके तहत किसी देश या राज्य में चुनावी क्षेत्रों की सीमाओं को पुनः निर्धारित किया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य जनसंख्या में बदलाव को ध्यान में रखते हुए चुनावी क्षेत्रों को न्यायसंगत रूप से विभाजित करना है ताकि सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व समान रूप से हो सके.
परिसीमन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो लोकतांत्रिक चुनाव प्रणाली को निष्पक्ष और प्रभावी बनाने में मदद करती है. इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रत्येक नागरिक का वोट समान मूल्य रखे और किसी भी क्षेत्र को अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक या कम प्रतिनिधित्व न मिले.
भारत में परिसीमन का कार्य परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) द्वारा किया जाता है, जो एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय होता है। यह आयोग संविधान के अनुच्छेद 82 और 170 के तहत गठित किया जाता है और इसकी सिफारिशें अंतिम और बाध्यकारी होती हैं.
उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार की सियासत में फिर नई हलचल पैदा कर दी है. पटना में परिसीमन रैली करने के साथ ही उपेंद्र कुशवाहा ने SIR पर भी सवाल उठाया है, और राहुल गांधी के बारे में एनडीए से अलग बयान दिया है - सिर्फ शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं, ये कोई खास इशारा है?
साल 2023 में सीएन अन्नादुरई और जयललिता पर अन्नामलाई के बयानों ने पार्टी नेतृत्व को एनडीए को अलविदा कहने के लिए उकसाया था. तो क्या अब सबकुछ भुला दिया गया है? इसका जवाब है हां, क्योंकि आज AIADMK की स्थिति बहुत खराब है और पलानीस्वामी ने यह साफ कर दिया है कि डीएमके को हराना उनकी प्राथमिकता है.
जनगणना की पूरी प्रक्रिया एक मार्च 2027 तक खत्म हो जाएगी, जो लगभग 21 महीनों में पूरी होगी. जनगणना का प्राइमरी डेटा मार्च 2027 में जारी हो सकता है, जबकि डिटेल डेटा जारी होने में दिसंबर 2027 तक का वक्त लगेगा. इसके बाद लोकसभा और विधानसभा सीटों का परिसीमन 2028 तक शुरू हो सकता है.
नई जनगणना की तैयारी चल रही है और कुछ राज्यों के नेता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कम जनसंख्या के कारण परिसीमन की प्रक्रिया के बाद संसद में उनके राज्य का प्रतिनिधित्व कम हो सकता है. क्या यह चिंता जायज है?
तमिलनाडु के सीएम एम.के. स्टालिन का हिंदी विरोध, परिसीमन पर टकराव, और स्वायत्तता का मुद्दा चुनाव को देखते हुए सुनियोजित रणनीति है, उन्होंने राजनीतिक परिपक्वता का परिचय देते हुए इन मुद्दों के केंद्र में द्रविड़ अस्मिता को रखा है. स्टालिन के तरकश से निकला यह "तीसरा तीर" द्रविड भावनाओं और वोटों की गोलबंदी की सियासी चाल है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान तमिलनाडु में भाषा नीति और परिसीमन के विरोध को लेकर बयान दिया था. उन्होंने भाषा विवाद को छोटी राजनीतिक सोच करार देते हुए कहा था कि स्टालिन धर्म और भाषा के आधार पर बांटने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उनका वोटबैंक खिसक रहा है.
बीजेपी के लिए यह वक्त काफी अहम है क्योंकि पार्टी फिलहाल पीढ़ीगत बदलाव की ओर देख रही है. बहुत कम लोग इस बात से असहमत होंगे कि बीजेपी अब अपने चरम पर है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में लगातार तीसरा कार्यकाल है, साथ ही बीजेपी अपने सहयोगियों के साथ 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सत्ता में है.
बढ़ती जनसंख्या के आधार पर वक्त-वक्त पर निर्वाचन क्षेत्र की सीमाएं दोबारा निर्धारित करने की प्रक्रिया को परिसीमन कहते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है कि हमारे लोकतंत्र में आबादी का सही प्रतिनिधित्व हो सके, सभी को समान अवसर मिल सकें.
परिसीमन के खिलाफ तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन विपक्षी नेताओं के साथ केंद्र की बीजेपी सरकार को घेरने में जुटे हैं, लेकिन ममता बनर्जी साथ नहीं दे रही हैं - कहीं इसलिए तो नहीं, क्योंकि वो कांग्रेस नेतृत्व के करीब और कट्टर समर्थक हैं. या इसलिए कि ममता की राजनीतिक हैसियत डीएमके के स्टालिन से कहीं बड़ी है. ऐसे में वे इस मुद्दे पर स्टालिन का नेतृत्व क्यों बर्दाश्त करतीं?
बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि दक्षिण के राज्य उत्तर में विकास को बढ़ावा दे रहे हैं. तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय खजाने में योगदान किए गए हर रुपये पर तेलंगाना को 42 पैसे वापस मिलते हैं. इसके विपरीत, बिहार को टैक्स के रूप में दिए गए प्रत्येक एक रुपये पर 6.06 रुपये वापस मिलते हैं जबकि उत्तर प्रदेश को 2.03 रुपये वापस मिलते हैं.
आज केंद्र की तरफ से वक्फ बिल पेश किया जा सकता है, जिससे सरकार और विपक्ष के बीच टकराव की आशंका है. दूसरी तरफ, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ बिल के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है.
Delimitation meeting: परिसीमन की इस मीटिंग के बहाने स्टालिन गैर बीजेपी शासित राज्यों की गोलबंदी कर रहे हैं और परिसीमन से होने वाले कथित नुकसान की ओर जनता का ध्यान खींचना चाह रहे हैं. गौरतलब है कि स्टालिन ने इस मुद्दे को इस समय उठाया है जब तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं.
DMK Delimitation Protest: संसद में आज भी परिसीमन मुद्दे पर हंगामे के आसार हैं. डीएमके ने एलान किया है कि पार्टी सांसद आज भी प्रदर्शन करेंगे. एक दिन पहले DMK सांसदों ने नारे लिखे टीशर्ट पहन कर परिसीमन प्रक्रिया का विरोध किया था. सभी डीएमके सांसद नारे वाले टीशर्ट पहनकर संसद पहुंचे थेय दोनों सदनों में स्पीकर ने नियमों का हवाला देते हुए टीशर्ट पहनकर नारेबाजी की इजाजत नहीं दी. देखिए वीडियो.
बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत से ही परिसीमन, तीन भाषा नीति और वोटर लिस्ट के मुद्दे पर जोरदार हंगामा हो रहा है. खासतौर पर तमिलनाडु में सत्ताधारी डीएमके के सांसद इस मुद्दे पर सदन के भीतर और बाहर मुखरता से विरोध रहे हैं.
दक्षिण भारत के राज्यों ने परिसीमन का विरोध शुरू कर दिया है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने 22 मार्च को सात दक्षिणी राज्यों की बैठक बुलाई है. उनका कहना है कि परिसीमन से दक्षिण की राजनीतिक ताकत कम हो जाएगी. उत्तर भारत के राज्यों की आबादी ज्यादा होने से उनकी सीटें बढ़ सकती हैं. देखें दंगल.
हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने लोगों से तुरंत बच्चे पैदा करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा है कि तमिलनाडु के लिए सफल फैमिली प्लानिंग लागू करना नुकसानदायक सौदा हुआ है. स्टालिन ने राज्य के लोगों को चेतावनी दी कि जनसंख्या आधारित परिसीमन तमिलनाडु के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को प्रभावित कर सकता है.
परिसीमन के मुद्दे पर केंद्र सरकार ही नहीं घिर गई है. सबसे बड़ी मुश्किल इंडिया गठबंधन के दलों के लिए हो गई है. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, टीेेएमसी आदि के लिए बहुत मुश्किल हो गई है कि वो किस तरह अपने सहयोगी डीएमके के साथ इस मुद्दे पर खड़े हों?
बढ़ती जनसंख्या के आधार पर वक्त-वक्त पर निर्वाचन क्षेत्र की सीमाएं दोबारा निर्धारित करने की प्रक्रिया को परिसीमन कहते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है कि हमारे लोकतंत्र में आबादी का सही प्रतिनिधित्व हो सके, सभी को समान अवसर मिल सकें. इसलिए लोकसभा अथवा विधानसभा सीटों के क्षेत्र को दोबारा से परिभाषित या उनका पुनर्निधारण किया जाता है.
डीएमके इस बात पर जोर दे रही है कि जनसंख्या आधारित लोकसभा सीटों के परिसीमन से तमिलनाडु में सीटों की मौजूदा संख्या में कमी आएगी और पार्टी चाहती है कि यह प्रक्रिया 1971 की जनगणना के आधार पर की जाए.
संसदीय सीटों के परिसीमन को लेकर दक्षिण के राज्यों की चिंता वाजिब है. पर इसका हल अधिक बच्चे पैदा करके जनसंख्या बढ़ाना भी नहीं है. न ही दक्षिण के राज्यों को रिलेक्सेशन देना समस्या का हल है. इससे तो एक व्यक्ति -एक वोट- एक समान मूल्य की विचारधारा ही खत्म हो जाएगी.
अभिनेता कमल हासन ने इस मामले पर अपना स्पष्ट रुख दोहराया और कहा कि 'जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करके राष्ट्रीय विकास में सहयोग करने वाले राज्यों को दंडित नहीं किया जाना चाहिए.' उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और संघवाद. भारत की ये दो आंखें हैं और केवल दोनों को महत्व देकर ही हम एक समावेशी और विकसित भारत के सपने को प्राप्त कर सकते हैं.