जनगणना (Census) एक देश की जनसंख्या, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति का संपूर्ण तरीके से बताने वाली प्रक्रिया है. भारत में जनगणना हर 10 साल में एक बार कराई जाती है. यह कार्य भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त द्वारा किया जाता है. यह विश्व की सबसे बड़ी जनगणना गतिविधियों में से एक मानी जाती है.
भारत में अंतिम जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी. यह 15वीं राष्ट्रीय जनगणना थी. भारत में अगली जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा. अब यह जनगणना 2025 में होने की संभावना है, लेकिन सरकारी घोषणा का इंतजार है.
भारत में पहली आधुनिक जनगणना 1872 में लॉर्ड मेयो के समय शुरू हुई, लेकिन पहली पूरी और संगठित जनगणना 1881 में कराई गई. इसके बाद हर दस वर्षों में जनगणना कराई जाती रही है.
जनगणना के आंकड़े सरकार को योजनाएं बनाने, संसाधनों का वितरण तय करने और समाज के कमजोर वर्गों की पहचान में मदद करते हैं.
जनगणना दो चरणों में की जाती है.
पहले चरण में गृह सूचीकरण (House Listing) होता है. इसमें प्रत्येक घर और परिवार की जानकारी जैसे घर की बनावट, सुविधाएं, शौचालय की स्थिति, पीने के पानी की उपलब्धता आदि को दर्ज किया जाता है.
दूसरे चरण में जनसंख्या गणना (Population Enumeration) किया जाता है. इसमें प्रत्येक व्यक्ति की जानकारी जैसे नाम, लिंग, आयु, धर्म, जाति, शिक्षा, व्यवसाय, जन्म स्थान, भाषा आदि को शामिल किया जाता है.
जनगणना 2027 दो चरणों में पूरी होगी. पहले चरण के तहत अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच घरों की सूची और गणना होगी. इसके बाद फरवरी 2027 में आबादी की गिनती की जाएगी.
पहली बार देशभर में डिजिटल जनगणना होगी. इसके लिए 30 लाख कर्मचारियों को काम पर लगाया जाएगा. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 2027 से देशभर में जनगणना होगी.
देश की जनगणना सिस्टम में बड़ा बदलाव करते हुए केंद्र सरकार ने 2027 की जनगणना को पूरी तरह से डिजिटल स्वरूप में संचालित करने की घोषणा की है. लोकसभा में सरकार ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया मोबाइल ऐप, वेब पोर्टल और एक समर्पित डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए संचालित होगी, जिससे डेटा कलेक्शन तेज, सटीक और पारदर्शी होगा.
कांग्रेस आदिवासियों के लिए सरना कोड के डिमांड का समर्थन करती रही है. पर अब संसद में कांग्रेस ने जनगणना में आदिवासियों को हिंदू धर्म से अलग कटेगरी में रखने की डिमांड कर राजनीतिक आग लगा दी है.
देश की अगली जनगणना यानी जनगणना 2027 दो हिस्सों में होगी. गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि पहला फेज़ अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच चलेगा, और दूसरा फरवरी 2027 में होगा.
जनगणना से देश की जनसंख्या, संसाधनों और सामाजिक-आर्थिक स्थिति का व्यापक डेटा प्रदान करेगी, जो नीति निर्माण और विकास योजनाओं के लिए आधार बनेगी. प्री-टेस्ट से प्रक्रिया को और मजबूती मिलेगी.
कांग्रेस के ओबीसी सम्मेलन में राहुल गांधी ने एक बड़ी बात कही है. उन्होंने स्वीकार किया कि कांग्रेस शासन में जाति जनगणना नहीं करना एक गलती थी. राहुल गांधी ने कहा, 'अब मैं उस गलती को सुधारना चाहता हूँ.' उन्होंने तेलंगाना का उदाहरण देते हुए बताया कि कॉर्पोरेट क्षेत्र में ओबीसी, दलित और आदिवासियों को बड़े पैकेज नहीं मिल रहे हैं, जबकि लाखों-करोड़ों के पैकेज दूसरों को मिलते हैं.
नॉर्थ सेंटिनल द्वीप पर रहने वाले सेंटिनलीज़ से संपर्क करना बेहद खतरनाक है. भारत सरकार इनकी जनगणना कैसे करती है? जानिए सेटेलाइट और ड्रोन से होने वाली गिनती की पूरी कहानी.
2027 में केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना तो कराएगी, लेकिन NPR को अपडेट करने का कोई इरादा नहीं दिखता. NRC-NPR विवादों और चुनावी सियासत के कारण सरकार फिलहाल जोखिम नहीं उठाना चाहती. महिला आरक्षण, डीलिमिटेशन जैसे बड़े फैसलों की बुनियाद भी इसी जनगणना पर टिकी है.
देश में जनगणना का पहला चरण जम्मू कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में शुरू होगा. शेष राज्यों में मार्च २०२७ से जनगणना होगी और इस बार जाति का ब्यौरा भी शामिल किया जाएगा. भूपेंद्र यादव ने कहा, "ओबीसी कमीशन को भी टूथलेस टीथलेस बनाने का काम उसको दंतविहीन बनाने का काम उसको कमजोर बनाने का काम तो कांग्रेस ने किया." देखें...
गृह मंत्रालय ने जनगणना 2027 के लिए अधिसूचना जारी कर दी है, जिसका लक्ष्य 2027 तक जनगणना को पूरा करना है. यह जनगणना पूरे देश में दो चरणों में कराई जाएगी और इसमें सामान्य जनगणना के साथ-साथ जातीय जनगणना भी शामिल होगी. पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा, जबकि दूसरा चरण 1 मार्च 2027 से देश के बाकी राज्यों में प्रारंभ किया जाएगा.