भारतीय किसान यूनियन
भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) भारत में एक किसानों का एक प्रतिनिधि संगठन है. इसकी स्थापना पंजाब खेतीबाड़ी यूनियन (पंजाब फार्मिंग यूनियन) के चौधरी चरण सिंह ने की थी, जो बाद में पंजाब में इसकी शाखा बन गई. यह संघ अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति से जुड़ा है. इसका राष्ट्रीय मुख्यालय उत्तर प्रदेश के सिसौली में स्थित है (Bhartiya Kisan Union Headquarters). इसकी 31 यूनियनें हैं (Totak Unions in BKU).
भारतीय किसान यूनियन (BKU) की नींव मई 1972 में पंजाब खेतीबाड़ी जमींदारी यूनियन के गठन के साथ पड़ी और चंडीगढ़ में 11 किसान समूह का विलय हुआ (Bhartiya Kisan Union Founded). 1978 में, जनता पार्टी (सेक्युलर) के भारतीय लोक दल के साथ मिलकर किसानों के लिए एक राष्ट्रीय मंच बनाने के इरादे से PKU को BKU में बदल दिया गया था. 12 दिसंबर 1980 को, एक अखिल भारतीय किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें बीकेयू के दायरे में किसान संघर्ष समिति (हरियाणा), रायतु संघ (कर्नाटक) और व्यवसायगल संघम (तमिलनाडु) का एकीकरण हुआ. 1982 में, बीकेयू में का विभाजन हुआ और जल्द ही इसे रोक भी दिया गया. 17 अक्टूबर 1986 को महेंद्र सिंह टिकैत ने इसे एक गैर-पक्षपातपूर्ण संगठन के रूप में पुनर्गठित किया (BKU Reorganised by Mahendra Singh Tikait). 1980 के दशक के दौरान, भारतीय किसान यूनियन ने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया जिससे इसे लोकप्रियता मिली. 1988 में मेरठ घेराबंदी और उसी साल बाद में बोट क्लब रैली ने बीकेयू को व्यापक पहचान दी. उन्होंने गन्ने की कीमतों पर नियंत्रण, किसानों को कर्ज माफी और पानी और बिजली की दरों को कम करने जैसी मांगे रखी जिसमें उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिली. संघ की पश्चिमी उत्तर प्रदेश शाखा की स्थापना 17 अक्टूबर 1986 को महेंद्र सिंह टिकैत ने की थी (Bhartiya Kisan Union History).
भारतीय किसान संघ खुद को एक गैर-पक्षपाती किसान प्रतिनिधि संगठन बताता है. संघ का घोषित उद्देश्य चुनावी राजनीति की स्थापना के बाहर से एक दबाव समूह के रूप में कार्य करना है. संघ विश्व व्यापार संगठन (WTO) को एक गलत शासन के रूप में देखता है जो निगमों के हितों की सेवा करता है और भारतीय किसानों और अन्य विकासशील देशों के किसानों को पीड़ित करके असमान प्रतिस्पर्धा की सुविधा देता है. BKU कृषि को विश्व व्यापार संगठन के दायरे से बाहर रखने, उत्पादों पर पेटेंट समाप्त करने की पैरवी करता है (Bhartiya Kisan Union Ideology).
मेरठ में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने बुधवार को जिला मुख्यालय पर अनोखा प्रदर्शन किया. बड़ी संख्या में किसान इकट्ठे हुए और अधिकारियों को जगाने के लिए बीन बजाई. किसानों का आरोप है कि लगातार शिकायत के बावजूद उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
यूपी के मेरठ में किसानों ने अधिकारियों के सामने अपनी मांगें रखते हुए अनोखा प्रदर्शन किया. भारतीय किसान यूनियन टिकैत ग्रुप ने मेरठ जिला मुख्यालय पर जमकर धरना और प्रदर्शन किया. अपनी तमाम मांगों को लेकर बड़ी संख्या में किसान लामबंद होकर कमिश्नरी चौराहे से प्रदर्शन करते हुए कलक्ट्रेट पहुंचे. प्रदर्शन के दौरान किसानों के साथ आए सपेरों ने बीन बजाई. किसानों के इस धरना प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
फसल बीमा योजना को किसान हितैषी बताकर पेश किया जाता है, लेकिन असल खेल कहीं और है. आंकड़े साफ दिखाते हैं कि मुआवजा देने से ज्यादा मोटी कमाई बीमा कंपनियां कर रही हैं. किसान फसल खराब होने पर मुआवजे के लिए दर-दर भटकते हैं, जबकि कंपनियां सरकार और किसानों दोनों से मोटा प्रीमियम वसूलकर मालामाल हो रही हैं. सवाल यह है कि जब सर्वे और आकलन सरकार करती है, तो आखिर इन कंपनियों का रोल है क्या?
बागपत जिले में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) में इस उबाल के पीछे वजह थी स्मार्ट मीटर लगाने और बिजली विभाग की छापेमारी की कार्रवाई. किसानों का कहना है- सरकार ने खुद वादा किया था कि किसानों को फ्री बिजली मिलेगी, लेकिन अब उल्टा बिजली महंगी हो रही है और छापे मारकर किसानों को डराया जा रहा है.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत का एक बयान सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. इसमें वह पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए भारत सरकार द्वारा सिंधु जल समझौता रद्द करने पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा-गैर राजनीतिक ने अपनी 12 मांगों को लेकर आंदोलन आगे भी जारी रखने का फैसला लिया है. जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी प्रमुख है. केंद्र सरकार इस बारे में किसानों से सात दौर की बातचीत कर चुकी है और आठवें दौर के लिए 4 मई की तारीख तय की गई है.
पंजाब सरकार ने 28 मार्च को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने हरियाणा के निकट शंभू और खनौरी सीमाओं से प्रदर्शनकारी किसानों को हटा दिया है. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो पिछले साल 26 नवंबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर थे, उन्होंने सभी गिरफ्तार किसान नेताओं की रिहाई के बाद 28 मार्च की सुबह एक गिलास पानी पिया था.
कल भगवंत मान से बहस, आज किसान नेताओं के घर पहुंची पुलिस, धरने से पहले चंडीगढ़ और बरनाला में एक्शन
डॉक्टरों की टीम ने किसानों पर अपने साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाकर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की देखरेख करने से इनकार कर दिया है. वहीं किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के प्रमुख डल्लेवाल के इलाज में गंभीर चूक का आरोप लगाया है.
सरकार ने 14 फरवरी को चंडीगढ़ में प्रदर्शनकारी किसानों के साथ उनकी मांगों पर चर्चा करने के लिए बैठक का प्रस्ताव दिया है. केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी.
भारतीय किसान यूनियन फरवरी में उत्तर प्रदेश में 11 महापंचायत करेगा. यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इसकी घोषणा प्रयागराज में कुंभ के दौरान आयोजित किए गए राष्ट्रीय अधिवेशन में की. ये महापंचायत 9 फरवरी से फिरोजाबाद से शुरू होगी.
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 26 जनवरी को देश भर में 'ट्रैक्टर मार्च' करने की अपील की. SKM ने रविवार को मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के साथ उनकी लंबित मांगों पर चर्चा करें.
नए साल 2025 की शुरुआत पर ही मोदी सरकार ने किसानों के लिए बड़ा ऐलान किया है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट ने किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले किए, जिनमें डीएपी उर्वरक कंपनियों के लिए स्पेशल पैकेज और फसल बीमा योजना में सुधार शामिल हैं. देखिए VIDEO
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं वे आत्महत्या के लिए उकसाने के आपराधिक अपराध में शामिल हैं. शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार को स्थिति अनुकूल होने पर केंद्र से किसी भी प्रकार का लॉजिस्टिक्स सपोर्ट मांगने की अनुमति दी, और उम्मीद जताई कि राज्य सरकार डल्लेवाल को अस्पताल में स्थानांतरित करने के उसके निर्देश का पालन करेगी.
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में 21 दिन से आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल की हालत बिगड़ती जा रही है. इस बीच कांग्रेस सांसद और पार्टी के पंजाब प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने पहुंचे.
शंभू बॉर्डर पर आज एक बार फिर संग्राम छिड़ गया. किसान शंभू बॉर्डर से दिल्ली जाने पर अड़े रहे. पैदल मार्च के जरिए दिल्ली पहुंचने की कोशिश कर रहे किसानों पर पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोले दागे गए.
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता, राकेश टिकैत ने ऐलान किया है कि वे शुक्रवार को खनौरी बॉर्डर पर पहुंच कर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मिलेंगे.
Farmers Movement: किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि खनौरी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान जुटे हुए हैं. एक सकारात्मक माहौल है और किसानों में उत्साह है. हम बैठक करेंगे और उसके बाद शंभू बॉर्डर पर एक पीसी बुलाएंगे. हम आपको अपनी आगे की योजनाओं के बारे में बताएंगे.
Protesting Farmers Delhi March: पुलिस की ओर से प्रतिरोध का सामना करने के बाद किसानों ने फिलहाल दिल्ली चलो मार्च रोक दिया है. हरियाणा पुलिस ने किसानों से अपने विरोध प्रदर्शन को आगे बढ़ाने के लिए दिल्ली पुलिस से आवश्यक अनुमति लेने को कहा. इसे लेकर शंभू में प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिस के बीच बहस हो गई. इस बीच, पुलिस ने दावा किया कि किसान एक भीड़ के रूप में आगे बढ़ रहे थे, न कि 101 किसानों के जत्थे के रूप में.
किसानों ने शंभू बॉर्डर पर जहां अपना बेस कैंप बनाया है, वह पंजाब के क्षेत्र में आता है. प्रदर्शनकारी किसानों ने आंसू गैस के गोलों को जूट के गीले बोरों से ढंककर धुएं से बचने का जुगाड़ निकाला. कई किसानों को पुलिस द्वारा सड़क पर लगाए गए लोहे के कीलों और कंटीले तारों को उखाड़ते देखा गया.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को अलीगढ़ पुलिस ने हिरासत में ले लिया. वह किसान नेताओं की एक बैठक में भाग लेने के लिए ग्रेटर नोएडा जा रहे थे. टिकैत और उनके साथियों को यमुना एक्सप्रेसवे पर आगे बढ़ने से रोकने के बाद बस से टप्पल पुलिस स्टेशन ले जाया गया.