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बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय

बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय

बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय

बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय (Bankim Chandra Chattopadhyay) भारतीय साहित्य के महान उपन्यासकार, कवि और देशभक्त थे. उनका जन्म 27 जून 1838 को पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के कांठलपाड़ा गांव में हुआ था. उनके पिता यादवचंद्र चट्टोपाध्याय ब्रिटिश शासन में डिप्टी कलेक्टर थे. बंकिमचंद्र ने 1858 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की और उसी वर्ष वे भारत सरकार की सिविल सेवा में नियुक्त हुए.

बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को आधुनिक बंगाली उपन्यास का जनक कहा जाता है. उन्होंने बंगला साहित्य में नई चेतना और राष्ट्रभक्ति की भावना जगाई. उनकी प्रसिद्ध कृति ‘आनंदमठ’ (1882) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा का स्रोत बनी. इसी उपन्यास में लिखा गया गीत ‘वंदे मातरम्’ आगे चलकर भारत का राष्ट्रीय गीत बना, जिसने देश के स्वतंत्रता सेनानियों में जोश और देशप्रेम की भावना भरी.

उनकी अन्य प्रमुख रचनाओं में ‘दुर्गेशनंदिनी’, ‘कपालकुंडला’, ‘विषवृक्ष’, ‘देवी चौधरानी’, और ‘कृष्णकांतर विल’ शामिल हैं. उनके उपन्यासों में समाज की कुरीतियों, स्त्रियों की स्थिति और भारतीय संस्कृति की गरिमा का चित्रण मिलता है. उनकी भाषा सरल, प्रभावशाली और भावनाओं से पूर्ण थी.

बंकिमचंद्र केवल साहित्यकार नहीं, बल्कि एक विचारक और राष्ट्रभक्त भी थे. उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से युवाओं को जागरूक किया और भारतीय समाज को आत्मसम्मान व स्वतंत्रता का संदेश दिया. 8 अप्रैल 1894 को उनका निधन हो गया, परंतु उनकी रचनाएं आज भी भारतीय साहित्य और राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं.

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