आजतक डिजिटल ग्राउंड रिपोर्ट्स (Aajtak Digital Ground Reports) के जरिए हम देश-दुनिया से जुड़ी खबरों को विस्तार से पेश करते हैं. आजतक डिजिटल टीम के पत्रकार ग्राउंड पर जाकर ख़बरों के पीछे की असल कहानी जानने की कोशिश करते हैं, जिससे पाठक 360 डिग्री कवरेज से रूबरू होते हैं. आजतक डिजिटल की पैनी नज़र देश-दुनिया में हो रहे हर घटनाक्रम पर होती है. खबरों के पीछे की असली खबर जानने के लिए पढ़ते रहें आजतक डिजिटल की ग्राउंड रिपोर्ट्स (Aajtak Digital Ground Reports).
राजस्थान के कई जिलों में रेड सैंड स्टोन का काम होता है. इन पत्थरों का इस्तेमाल लालकिला, राष्ट्रपति भवन अक्षरधाम मंदिर से लेकर अयोध्या में बनाए गए राम मंदिर तक में इस्तेमाल किया गया है. राज्य में बड़ी मात्रा में इन पत्थरों की खान में लोग काम करते हैं. ऐसे में इन पत्थरों को तराशने वालों का हुनर ही उनकी जान का दुश्मन बन गया है.
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के Earth Towne प्रोजेक्ट के करीब 3000 घर खरीदार पिछले 15 सालों से अपने सपनों के घर का इंतजार कर रहे हैं. पहले बिल्डर ने प्रोजेक्ट में देरी की और अब मामला कोर्ट में अटका हुआ है. थक-हार कर बायर्स अब कह रहे हैं कि अगर जल्द इसका कोई हल नहीं निकला तो वो फ्लैट की बजाय उसी प्रोजेक्ट साइट पर टेंट लगाकर रहने को मजबूर होंगे.
रेरा को लागू हुए करीब 9 साल बीत गए हैं, लेकिन लोगों की यही शिकायत है कि रेरा महज कागजी शेर है. दिल्ली-एनसीआर में आज भी सैकड़ों ऐसी इमारतें हैं, जो खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं, तो कुछ इमारतों में इतना स्लो काम हो रहा है कि उसकी डेड लाइन ही पूरी नहीं हो पा रही है.
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में AISA के नीतीश कुमार को JNUSU अध्यक्ष, DSF की मनीषा को उपाध्यक्ष और DSF की ही मुंतेहा फ़ातिमा को महासचिव पद के लिए चुना गया है. वहीं, एबीवीपी के वैभव मीणा जेएनयू छात्रसंघ के संयुक्त सचिव पद पर फ़तह हासिल किए हैं.
बागडोगरा एयरपोर्ट से सिलीगुड़ी के लिए निकलिए तो पूरा इलाका एक जिंदा तिलिस्म लगेगा, चाय बागान और जंगलों से घिरा. जब जी चाहे दार्जिलिंग निकल पड़े, या पूर्वोत्तर घूम आइए. बिना झिकझिक इंटरनेशनल ट्रिप चाहिए तो नेपाल, भूटान और थोड़ी मशक्कत के साथ बांग्लादेश भी. लेकिन इसी उजले शहर का एक अंधेरा कोना भी है. मानव तस्करी! पूर्वोत्तर से लेकर काठमांडू और ढाका से लड़कियों की खरीद-फरोख्त हो रही है. aajtak.in ने इसी क्रॉस-बॉर्डर ट्रैफिकिंग को समझने की कोशिश की.
हाल में बांग्लादेशी नेता मोहम्मद यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर को लैंडलॉक्ड बताते हुए एक तरह से धमकी ही दे डाली. ये राज्य पश्चिम बंगाल के एक संकरे गलियारे के जरिए भारत से जुड़े हुए हैं, जिसे चिकन नेक भी कहते हैं. गलियारा तीन देशों, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान से सटता है. aajtak.in इन मुल्कों की सीमाओं तक पहुंचा. दो के बॉर्डर भी पार किए और समझा कि 22 किलोमीटर चौड़े कॉरिडोर के हालात कैसे हैं और एक देश से दूसरे या तीसरे देश चले जाना कितना आसान या मुश्किल है.
गुड़गांव के सेक्टर 89 में Greenopolis प्रोजेक्ट में करीब 1800 लोगों ने अपने सपनों का आशियाना बुक कराया था, लेकिन दो बिल्डरों के आपसी विवाद के चलते लोगों को उनके घर की चाबी नहीं मिली और सालों से उनका इंतजार खत्म नहीं हो रहा है. इस प्रोजेक्ट में करोड़ों के फ्लैट हैं, लोगों ने अपनी सारी सेविंग्स लगा दी, लेकिन उनको अब ये तक पता नहीं है कि उनका फ्लैट कभी मिलेगा भी की नहीं.
नोएडा के सेक्टर 117 में स्थित Uniworld Gardens के 200 से अधिक फ्लैट खरीदारों का 15 साल लंबा इंतजार अब टूटने लगा है. बिल्डर ने घर बेच दिए, लेकिन कंश्ट्रक्शन का कोई अता-पता नहीं. सरकार से लेकर प्रशासन तक कई बार गुहार लगाई, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला!
Greater Noida West के Shivalik Homes 2 में लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर फ्लैट बुक कराए. सपनों का घर पाने की उम्मीद जगी लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली. कुछ समय तक कंस्ट्रक्शन चला, फिर अचानक काम रुक गया और अब 10 साल से यह प्रोजेक्ट अधूरा पड़ा है. जहां लग्जरी होम बनने थे, वहां अब एक खंडहर खड़ा है. देखिए ग्राउंड रिपोर्ट.
Greater Noida West में Amrapali Dream Valley के सैकड़ों फ्लैट खरीदार अपने घर के इंतजार में सालों से परेशान हैं. लंबे वक्त से पजेशन न मिलने के कारण कई लोग EMI और किराए की दोहरी मार झेल रहे हैं. बढ़ते आर्थिक दबाव के बीच अब उनका सब्र जवाब देने लगा है, लेकिन उन्हें यह तक नहीं पता कि उनका सपना कब पूरा होगा या पूरा होगा भी या नहीं.
Greater Noida West के Supertech Eco Village 2 कई लोगों को अपने सपनों के घर इंतजार आज भी है, और जिन्हें फ्लैट मिला भी, वे अपनी जान हथेली पर रखकर रहने को मजबूर हैं. देखिए हमारी सीरीज 'अपना घर, सपना भर' में आज Supertech Eco Village 2 के बायर्स की हकीकत.
Housing Scam: सुनील पुरी ने सपनों का घर खरीदने के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया. गहने, जमा पूंजी और यहां तक कि पिता का मकान भी बेच दिया. लेकिन 10 साल बाद भी उन्हें अपना फ्लैट नहीं मिला. बिल्डर ने उनके अरमानों को रौंद डाला. लेकिन यह सिर्फ अकेले सुनील की कहानी नहीं है. नोएडा से गुरुग्राम तक ऐसे कई 'सुनील' हैं, जो वर्षों से घर मिलने का इंतजार कर रहे हैं.
Ramnath Goenka Awards: देश के सबसे प्रतिष्ठित पत्रकारिता पुरस्कारों में शामिल रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स में इस बार भी इंडिया टुडे ग्रुप (ITG) ने अपना परचम लहराया है. ITG को कुल चार अवॉर्ड मिले. इसमें aajtak.in की विशेष संवाददाता मृदुलिका झा को साल 2023 में उनकी स्टोरी के लिए हिन्दी कैटेगरी के रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवॉर्ड से नवाजा गया है. आजतक न्यूज चैनल के डिप्टी एडिटर आशुतोष मिश्रा को एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म: पॉलिटिक्स एंड गवर्नमेंट (टीवी और ब्रॉडकास्ट) की कैटेगरी में अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. इसके साथ इंडिया टुडे डिजिटल के असिस्टेंट एडिटर शिबू त्रिपाठी को भी रामनाथ गोयनका अवॉर्ड मिला है. शिबू त्रिपाठी को ये अवॉर्ड जोशीमठ की कवरेज के लिए प्रदान किया गया है. इसी तरह 'द लल्लनटॉप' के एसोसिएट एडिटर सिद्धांत मोहन को उनकी 'केरल स्टोरी' के लिए रामनाथ गोयनका अवॉर्ड से नवाजा गया है.
बिजयनगर की स्कूली बच्चियों के साथ एक खास पैटर्न में हुई घटना की तुलना 1992 के अजमेर रेप ब्लैकमेल कांड से हो रही है. ये भी कहा जा रहा है कि सूबे में ग्रूमिंग गैंग एक्टिव हो चुका, जो एक खास धर्म की लड़कियों को टारगेट कर सकता है. मामले की जांच के लिए SIT बन चुकी. जमीनी पड़ताल में अब तक क्या-क्या दिखा...
ताले और तालीम का ज़िक्र होते ही, जिस तरह अलीगढ़ का ज़िक्र होता है, बिल्कुल उसी तरह राष्ट्रपति की शेरवानी का ज़िक्र होते ही अलीगढ़ के तस्वीर महल इलाक़े से ताल्लुक रखने वाले एम हसन टेलर की चर्चा होती है.
जिस तरह ताले और तालीम की बात आती है, तो अलीगढ़ (Aligarh) का ज़िक्र होता है, बिल्कुल उसी तरह राष्ट्रपति की शेरवानी का ज़िक्र होते ही अलीगढ़ के तस्वीर महल इलाक़े से ताल्लुक़ रखने वाले मेहंदी हसन टेलर की चर्चा होती है. मेहंदी हसन टेलर की शॉप से पूर्व राष्ट्रपति डॉ ज़ाकिर हुसैन से लेकर रामनाथ कोविंद तक के लिए शेरवानी बनवाई गई.
दिल्ली से महज कुछ घंटों की दूरी पर बसा पंजाब आंच पर रखी हांडी की तरह खदबदाता रहता है. कभी ड्रग्स, कभी NRI आबादी तो कभी अलगाव की मांग. इस शोरगुल के बीच वहां कुछ और भी बदल रहा है. बेहद नामालूम ढंग से सूबे की बड़ी आबादी ईसाई हो चुकी. इन 'बदले हुओं' की पहचान मुश्किल है. वे नाम-धाम नहीं बदलते, बस घरों से गुरु ग्रंथ साहिब को हटा जीसस को ले आते हैं.
देर रात मैं एक कॉल करती हूं. सिरदर्द की शिकायत के साथ. लेकिन किसी अस्पताल नहीं, बल्कि एक प्रेयर-लाइन पर. उस पार की आवाज ‘तौबा की प्रार्थना’ करवाती है. इसके बाद ‘चंगाई की प्रेयर’. आवाज तसल्ली देती है- सिस्टर, आप यीशू को याद करो. दर्द उठे तो फिर कॉल करना. मैंने अलग-अलग नंबरों पर अलग-अलग वक्त में ऐसे कई फोन किए. इमरजेंसी सर्विस की तेजी से काम करते ये नंबर पेंटेकोस्टल चर्चों के हैं. लगभग पूरा पंजाब ऐसे चर्च और मिनिस्ट्रीज से अटा हुआ.
पंजाब की ड्योढ़ी में मसीही बैठकी आज की बात नहीं. 18वीं सदी में अंग्रेजी हुकूमत के दौरान मिशनरियों को छूट मिल गई और उन्होंने जमकर प्रचार शुरू किया. लुधियाना और अमृतसर उनका हेड ऑफिस था. मामला इतना बढ़ा कि आर्य समाज ने शुद्धि आंदोलन शुरू कर दिया. जो जहां था, वहीं सिमटकर रह गया. लेकिन कुछ दशकों के लिए ही. अब कथित तौर पर हर बड़े शहर के हर मोहल्ले में एकाध होम चर्च और कोई न कोई मिनिस्ट्री मिलेगी.
हजारों युवा, जो कभी अमेरिका और कनाडा में सुनहरे भविष्य का सपना लेकर गए थे, अब सच्चाई से सामना करने के बाद घर लौट रहे हैं. नौकरी की कमी, महंगा रहन-सहन और अप्रवासी नीतियों की सख्ती ने उनके विदेश में बसने के सपने को तोड़ दिया है. देखिए ग्राउंड रिपोर्ट.
अमेरिका में अवैध रूप से रहते भारतीयों की घरवापसी शुरू हो चुकी. आज 100 से कुछ ज्यादा भारतीय अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचे. इनमें सबसे ज्यादा लोग पंजाब से हैं. इससे कुछ रोज पहले ही aajtak.in ने पंजाब के NRI बेल्ट कहलाते जालंधर और कपूरथला में ऐसे लोगों से मुलाकात की, जो यूएस से डिपोर्ट किए जा चुके. कुछ ऐसे चेहरे भी थे, जो कनाडा से 'लॉन्ग लीव' पर आ चुके हैं, कभी न जाने के लिए.