आजतक डिजिटल ग्राउंड रिपोर्ट्स (Aajtak Digital Ground Reports) के जरिए हम देश-दुनिया से जुड़ी खबरों को विस्तार से पेश करते हैं. आजतक डिजिटल टीम के पत्रकार ग्राउंड पर जाकर ख़बरों के पीछे की असल कहानी जानने की कोशिश करते हैं, जिससे पाठक 360 डिग्री कवरेज से रूबरू होते हैं. आजतक डिजिटल की पैनी नज़र देश-दुनिया में हो रहे हर घटनाक्रम पर होती है. खबरों के पीछे की असली खबर जानने के लिए पढ़ते रहें आजतक डिजिटल की ग्राउंड रिपोर्ट्स (Aajtak Digital Ground Reports).
पन्ना के हीरों को हाल में जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग मिला. अब घर से लेकर सरहद पार तक उसकी पूछ-परख और बढ़ेगी. लेकिन हीरा खदानों में काम करते मजदूर वहीं अटके रहेंगे. कुदाल-फावड़े चलाते, हाथ-पांव जख्मी करते, पत्थरों के पहाड़ में हीरे की कनी खोजते और मिलने पर धड़धड़ाती छाती से उसे खदान मालिक के हवाले करते हुए!
पन्ना के हीरा खदानों की हकीकत—मोटी कमाई नहीं, दर्द, अवैध माइनिंग, सिलिकोसिस, अंधविश्वास और मजदूरों की किस्मत का खेल. GI टैग मिला, पर हालात नहीं बदले.
GI टैग के बाद दुनिया पन्ना के डायमंड देख रही है, लेकिन मजदूर आज भी भूख, गरीबी और उम्मीद में खदानों में जिंदगी खपा रहे हैं.
Dehli Blast Updates: दिल्ली ब्लास्ट के बाद ऐतिहासिक इलाक़ों- चांदनी चौक, मीना बाज़ार, जामा मस्जिद और खारी बावली में दहशत और मायूसी छाई हुई है. कारोबार ठप है, स्टॉल्स पर ग्राहक नहीं आ रहे. दुकानदारों और रिक्शा चालकों की कमाई बुरी तरह प्रभावित हुई है.
दिल्ली ब्लास्ट के बाद चांदनी चौक, मीना बाज़ार, जामा मस्जिद और खारी बावली जैसे ऐतिहासिक इलाकों में सन्नाटा पसरा है. दुकानदार और रिक्शा चालक दहशत और मंदी से जूझ रहे हैं. Old Delhi की गलियां अब मायूसी की गवाह बनी हुई हैं.
दिल्ली की रावण मंडी, यानी तितारपुर, पूरी तरह सज चुकी है. छोटे-बड़े, रंग-बिरंगे, धमाकेदार रावण पुतलों की भरमार. दो फुट से लेकर 70 फुट तक के रावण- कोई जाएगा रामलीला मैदान की रौनक बनने, तो कोई किसी सोसाइटी के लॉन में खड़ा होकर लोगों की आंखों में डर और तारीफ दोनों भरने.
विटामिन-सी से भरपूर फल आंवले को बिना पूंजी का व्यवसाय माना जाता है लेकिन मौजूदा हालात ये हैं कि बड़े स्तर पर खेती करने वाले कई किसानों ने आंवले के सैकड़ों पेड़ कटवा दिए. प्रतापगढ़ के आंवला किसानों की ज़मीनी हक़ीक़त चिंता पैदा करती है.
गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन में स्थित Red Apple homez प्रोजेक्ट में करीब 800 खरीदारों ने सालों पहले फ्लैट बुक किया था, लेकिन 13 साल गुजरने के बाद भी लोगों को घर नहीं मिला हैं. पिछले कई सालों से काम भी बंद पड़ा है. लोगों का आरोप है कि पहले बिल्डर ने काम बंद किया तो लोग कोर्ट गए और खुद एक दूसरे बिल्डर के साथ अधूरा फ्लैट बनाने का फैसला किया, लेकिन अभी तक मामला कोर्ट में चल रहा है और उनकी उम्मीद धीरे- धीरे टूटती जा रही हैं.
जब मैं अपने भांजे सुमीत के बारे में सोचता, तो मेरे लिए वो अपना बच्चा था. मेहनती. मासूम. मैं उसे दुनिया की तरह नहीं देखता था- जवान, बाल-बच्चेदार आदमी जो परिवार की बजाए नशे में डूबा था. काश मैं कैलेंडर में उस वक्त को लौटा सकता, जब उसने पहली बार ड्रग्स ली थी. या नशा छुड़वाने के लिए जब उसे ‘उस’ सेंटर भेजा था!
खेतों, खेलों और खुशहाली से भरा हरियाणा बीते कुछ सालों में एकदम-से बदल गया. अब खेतों की जगह ऊंची इमारतें हैं. खेल खत्म हो चुके. और खुशहाली की जगह खालीपन बस गया. हरे-भरे नक्शे पर जगह-जगह खरोंच हैं- नशे की, डिप्रेशन की…और शर्म की! शर्म - नशा करने की…शर्म- नशा छोड़ने की! aajtak.in ने हरियाणा और उससे सटे राजस्थान बॉर्डर पर नशा और नशा मुक्ति केंद्रों को देखा.
हरियाणा के नशा मुक्ति केंद्रों का चौंकाने वाला सच सामने आया है. यहां के नशा मुक्ति केंद्र दावा करते हैं कि वो नशा छुड़वा देते हैं. लेकिन इन दावों के पीछे का सच इस वीडियो में देखिए.
राजस्थान के कई जिलों में रेड सैंड स्टोन का काम होता है. इन पत्थरों का इस्तेमाल लालकिला, राष्ट्रपति भवन अक्षरधाम मंदिर से लेकर अयोध्या में बनाए गए राम मंदिर तक में इस्तेमाल किया गया है. राज्य में बड़ी मात्रा में इन पत्थरों की खान में लोग काम करते हैं. ऐसे में इन पत्थरों को तराशने वालों का हुनर ही उनकी जान का दुश्मन बन गया है.
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के Earth Towne प्रोजेक्ट के करीब 3000 घर खरीदार पिछले 15 सालों से अपने सपनों के घर का इंतजार कर रहे हैं. पहले बिल्डर ने प्रोजेक्ट में देरी की और अब मामला कोर्ट में अटका हुआ है. थक-हार कर बायर्स अब कह रहे हैं कि अगर जल्द इसका कोई हल नहीं निकला तो वो फ्लैट की बजाय उसी प्रोजेक्ट साइट पर टेंट लगाकर रहने को मजबूर होंगे.
रेरा को लागू हुए करीब 9 साल बीत गए हैं, लेकिन लोगों की यही शिकायत है कि रेरा महज कागजी शेर है. दिल्ली-एनसीआर में आज भी सैकड़ों ऐसी इमारतें हैं, जो खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं, तो कुछ इमारतों में इतना स्लो काम हो रहा है कि उसकी डेड लाइन ही पूरी नहीं हो पा रही है.
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में AISA के नीतीश कुमार को JNUSU अध्यक्ष, DSF की मनीषा को उपाध्यक्ष और DSF की ही मुंतेहा फ़ातिमा को महासचिव पद के लिए चुना गया है. वहीं, एबीवीपी के वैभव मीणा जेएनयू छात्रसंघ के संयुक्त सचिव पद पर फ़तह हासिल किए हैं.
बागडोगरा एयरपोर्ट से सिलीगुड़ी के लिए निकलिए तो पूरा इलाका एक जिंदा तिलिस्म लगेगा, चाय बागान और जंगलों से घिरा. जब जी चाहे दार्जिलिंग निकल पड़े, या पूर्वोत्तर घूम आइए. बिना झिकझिक इंटरनेशनल ट्रिप चाहिए तो नेपाल, भूटान और थोड़ी मशक्कत के साथ बांग्लादेश भी. लेकिन इसी उजले शहर का एक अंधेरा कोना भी है. मानव तस्करी! पूर्वोत्तर से लेकर काठमांडू और ढाका से लड़कियों की खरीद-फरोख्त हो रही है. aajtak.in ने इसी क्रॉस-बॉर्डर ट्रैफिकिंग को समझने की कोशिश की.
हाल में बांग्लादेशी नेता मोहम्मद यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर को लैंडलॉक्ड बताते हुए एक तरह से धमकी ही दे डाली. ये राज्य पश्चिम बंगाल के एक संकरे गलियारे के जरिए भारत से जुड़े हुए हैं, जिसे चिकन नेक भी कहते हैं. गलियारा तीन देशों, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान से सटता है. aajtak.in इन मुल्कों की सीमाओं तक पहुंचा. दो के बॉर्डर भी पार किए और समझा कि 22 किलोमीटर चौड़े कॉरिडोर के हालात कैसे हैं और एक देश से दूसरे या तीसरे देश चले जाना कितना आसान या मुश्किल है.
गुड़गांव के सेक्टर 89 में Greenopolis प्रोजेक्ट में करीब 1800 लोगों ने अपने सपनों का आशियाना बुक कराया था, लेकिन दो बिल्डरों के आपसी विवाद के चलते लोगों को उनके घर की चाबी नहीं मिली और सालों से उनका इंतजार खत्म नहीं हो रहा है. इस प्रोजेक्ट में करोड़ों के फ्लैट हैं, लोगों ने अपनी सारी सेविंग्स लगा दी, लेकिन उनको अब ये तक पता नहीं है कि उनका फ्लैट कभी मिलेगा भी की नहीं.
नोएडा के सेक्टर 117 में स्थित Uniworld Gardens के 200 से अधिक फ्लैट खरीदारों का 15 साल लंबा इंतजार अब टूटने लगा है. बिल्डर ने घर बेच दिए, लेकिन कंश्ट्रक्शन का कोई अता-पता नहीं. सरकार से लेकर प्रशासन तक कई बार गुहार लगाई, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला!
Greater Noida West के Shivalik Homes 2 में लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर फ्लैट बुक कराए. सपनों का घर पाने की उम्मीद जगी लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली. कुछ समय तक कंस्ट्रक्शन चला, फिर अचानक काम रुक गया और अब 10 साल से यह प्रोजेक्ट अधूरा पड़ा है. जहां लग्जरी होम बनने थे, वहां अब एक खंडहर खड़ा है. देखिए ग्राउंड रिपोर्ट.
Greater Noida West में Amrapali Dream Valley के सैकड़ों फ्लैट खरीदार अपने घर के इंतजार में सालों से परेशान हैं. लंबे वक्त से पजेशन न मिलने के कारण कई लोग EMI और किराए की दोहरी मार झेल रहे हैं. बढ़ते आर्थिक दबाव के बीच अब उनका सब्र जवाब देने लगा है, लेकिन उन्हें यह तक नहीं पता कि उनका सपना कब पूरा होगा या पूरा होगा भी या नहीं.