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आपके फोन पर भी आया E-Challan? भारतीयों को शिकार बना रहा वियतनाम का हैकर ग्रुप

आजकल लगभग अधिकतर लोगों के घर में बाइक, स्कूटर या कार आदि है. ऐसे में साइबर क्रिमिनल्स लोगों को ठगने के लिए फेक E-Challan के मैसेज भेज रहे हैं. इसके साथ एक लिंक भी दिया जाता है, जिसकी मदद से वे फोन में Malicious App इंस्टॉल करा देते हैं. ऐसे वे साइबर ठगी को अंजाम देते हैं. आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं.

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फेक ट्रैफिक ई-चालान के नाम पर लोगों से हो रही ठगी.
फेक ट्रैफिक ई-चालान के नाम पर लोगों से हो रही ठगी.

आज के समय में बाइक, स्कूटर या कार आदि अधिकतर लोगों के पास है. ऐसे में वे या उनके व्हीकल से कोई ट्रैफिक नियम टूटता है और वह कैमरे में कैद हो जाता है, तो उस व्हीकल पर चालान आ जाता है. साइबर क्रिमिनल्स आम लोगों को फेक E-Challan का डर दिखाकर शिकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इसको लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें बताया है कि वियतनाम में बैठा साइबर क्रिमिनल्स का एक गिरोह भारतीयों को E-Challan के नाम पर ठगी का शिकार बना रहा है. 

साइबर सिक्योरिटी फर्म CloudSEK ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है. फर्म ने खुलासा किया है कि वियतनाम में बैठा साइबर क्रिमिनल्स का ग्रुप भारतीय यूजर्स को टागरेट कर रहा है. भारतीयों को लूटने के इरादे से वह ई- चालान के फेक मैसेज भेज रहे हैं. इस टाइप के मैसेज में एक लिंक होता है, जिस पर क्लिक करने से विक्टिम के मोबाइल में Malicious App इंस्टॉल हो जाता है. 

ऐसे काम करता है ये गिरोह और लोगों को लूटते हैं 

यह साइबर क्रिमिनल्स का गिरोह पहले यूजर्स के मोबाइल पर एक मैसेज भेजते हैं. यह मैसेज परिवहन सेवा या कर्नाटक पुलिस के नाम का इस्तेमाल करके भेजे जाते हैं. इसमें फेक ट्रैफिक नियमों को तोड़ने की जानकारी होती है और उस पर फाइन के बारे में बताते हैं. इस मैसेज में एक लिंक भी होता है. 

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फोन में इंस्टॉल हो जाता है ऐप 

यूजर्स जैसे ही इस लिंक पर क्लिक करते हैं, तो फिर विक्टिम के मोबाइल फोन में एक Malicious App इंस्टॉल हो जाता है. इसके बाद यह ऐप काम करना शुरू कर देता है और सबसे पहले परमिशन गेन करता है. इसके बाद फोन कॉल, मैसेज आदि का एक्सेस लेता है. कई बार तो यह ऐप डिफॉल्ट मैसेजिंग ऐप का एक्सेस ले लेता है. 

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ऐसे चोरी करते हैं फोन पर आने वाला OTP 

यह मैलवेयर, Wromba फैमिली का हिस्सा है. यह 4400 डिवाइस से अधिक को इनफेक्टेड कर चुका है. इसके बाद वह चोरी छिपे OTP का एक्सेस ले लेता है और मैसेज से अन्य जरूरी डिटेल्स भी चोरी कर लेते हैं. इसके अलावा वे ई-कॉमर्स अकाउंट का भी एक्सेस ले लेता है. इसके बाद वे उन रुपयों से गिफ्ट कार्ड खरीदते हैं, फिर वे उन्हें आगे इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में मनी ट्रैकिंग में मुश्किलें सामने आती हैं और हैकर्स बचकर निकल जाते हैं. जानकारी के मुताबिक, ये साइबर क्रिमिनल्स का ग्रुप करीब 16 लाख रुपये की ठगी को अंजाम दे चुका है. 

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