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फोन यूजर्स हो जाएं सतर्क! 60 हजार से अधिक एंड्रॉयड ऐप्स में मिला मैलवेयर

स्कैम के बढ़ते मामलों के बीच एक और सतर्क करने वाली खबर आई है. दरअसल, सिक्योरिटी रिसर्च फर्म ने 60 हजार से अधिक संदिग्ध एंड्रॉयड ऐप्स स्पॉट किए हैं. Bitdefender ने एक शोध में बताया है कि ये ऐप्स बिना किसी के नजर में आए अपना काम कर सकते हैं. इन्हें आसानी से डिटेक्ट नहीं किया जा सकता है. आइए जानते हैं इनके बारे में.

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60 हजार से अधिक संदिग्ध एंड्रॉयड ऐप्स स्पॉट.
60 हजार से अधिक संदिग्ध एंड्रॉयड ऐप्स स्पॉट.

स्कैम के बढ़ते मामलों के बीच एक और सतर्क करने वाली खबर आई है. दरअसल, एक सिक्योरिटी रिसर्च फर्म ने 60 हजार से अधिक संदिग्ध एंड्रॉयड ऐप्स स्पॉट किए हैं.रोमानियम रिसर्च एंड सिक्योरिटी कंपनी Bitdefender ने एक शोध जारी किया है, जिसमें उसका मानना है कि ये ऐप्स बिना किसी के नजर में आए अपना काम कर सकते हैं. इन्हें आसानी से डिटेक्ट नहीं किया जा सकता है. 

Bitdefender के मुताबिक, 60 हजार से अधिक एंड्रॉयड ऐप्स में Adware को स्पॉट किया है. Adware एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जो पॉप-अप के रूप में अलग-अलग एडवर्टाइजमेंट दिखाता है. यह कंप्यूटर और मोबाइल दोनों पर काम करता है. कई रिपोर्ट्स में किया जाता है कि ये एडवेयर यूजर्स के डेटा को भी नुकसान पहुंचा सकता हैं.

क्या है नुकसान  

इन ऐप्स का मकसद एंड्रॉयड मोबाइल यूजर्स से छिपकर विज्ञापन चलाना और उससे रेवेन्यू जनरेट करना है. Adware की वजह से मोबाइल की बैटरी भी तेजी से खत्म होती है और मोबाइल भी गर्म होता है. 

बैंक डिटेल्स तक चोरी 

ये संदिग्थ ऐप्स फोन में इंस्टॉल होकर कई बार यूजर्स की बैकिंग लॉगइन डिटेल्स और पासवर्ड आदि को चोरी करके हैकर के पास सेंड कर सकते हैं. इससे यूजर्स का बैंक खाता तक खाली हो सकता है.  

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इन नाम को मैलवेयर ने किया कॉपी

Game cracks
Games with unlocked features
Free VPN
Fake videos
Netflix
Fake tutorials
YouTube/TikTok without ads
Cracked utility programs like weather, pdf viewers, etc

प्ले स्टोर पर मौजूद नहीं 

अच्छी बात यह है कि ये ऐप्स गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद नहीं हैं, जिसकी जानकारी रिपोर्ट में दी है. यह थर्ड पार्टी ऐप हैं, जो अनजान सोर्स से डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं. हम सलाह देते हैं कि एंड्रॉयड यूजर्स हमेशा गूगल प्ले स्टोर से ही ऐप इंस्टॉल करें. 

सर्चिंग रिजल्ट में आते हैं नजर 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये संदिग्ध ऐप सर्चिंग पर सामने आते हैं. उदाहरण के तौर पर समझें तो ब्राउजर में कोई ऐप सर्च किया तो वह सर्च रिजल्ट में उस ऐप का नाम दिखाएगा, जो यूजर्स के फोन को नुकसान पहुंचा सकता है. कई बार तो ऐप्स पर Netflix, YouTube/TikTok without ads जैसे नाम का डुप्लीकेट तैयार कर लिया जाता है. 

 

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