Dipa Karmakar Retirement: भारतीय खेल जगत से फैन्स को निराश करने वाली एक खबर आई है. स्टार जिम्नास्ट दीपा कर्माकर ने संन्यास का ऐलान कर दिया है. दीपा ने रियो ओलंपिक 2016 में दमदार प्रदर्शन किया था, लेकिन वो चौथे नंबर पर रहकर मेडल जीतने से चूक गई थीं.
तब दीपा ओलंपिक में शिरकत करने वाली भारत की पहली महिला जिम्नास्ट बनी थीं. दीपा रियो ओलंपिक की वॉल्ट स्पर्धा में सिर्फ 0.15 अंक से ब्रॉन्ज मेडल जीतने से चूक गई थीं. दीपा को 2016 में खेल रत्न अवॉर्ड भी मिला था. इसके अगले ही साल यानी 2017 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
2018 में इस टूर्नामेंट में रचा था इतिहास
हालांकि 2018 में उन्होंने तुर्की के मर्सिन में FIG आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक्स वर्ल्ड चैलेंज कप के वॉल्ट कॉम्पटिशन में देश के लिए गोल्ड मेडल जीता था. ऐसा करने वाली वह भारत की पहली जिम्नास्ट बनी थीं. 31 साल की दीपा कर्माकर को गोल्डन गर्ल के नाम से भी जाना जाता है.
त्रिपुरा की दीपा कर्माकर ने दीपा कर्माकर भारतीय जिम्नास्टिक्स की एक प्रमुख हस्ती हैं, जिन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में वॉल्ट स्पर्धा में उल्लेखनीय चौथा स्थान हासिल किया था. उन्होंने लीप जिम्नास्टिक्स फेसिलिटी का दौरा किया और युवाओं को उनके नक्शेकदम पर चलने के लिए प्रेरित किया.
लंबी पोस्ट में छलका दीपा का दर्द
दीपा ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए संन्यास का ऐलान किया है. लंबी पोस्ट में दीपा का दर्द भी छलका है. उन्होंने कहा, 'मैंने बहुत सोचने के बाद फैसला लिया है कि जिम्नास्टिक से संन्यास ले रही हूं. यह फैसला आसान नहीं रहा है. मगर अब सही वक्त आ गया है.'
अपनी बात रखते हुए दीपा ने आगे लिखा, जिम्नास्टिक मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा हिस्सा रहा है. मुझे वो 5 साल की दीपा याद आ रही है जिसको बोला था कि फ्लैट फीट की वजह से कभी जिमनास्ट नहीं बन सकती है. आज मुझे अचीवमेंट्स देखकर बहुत गर्व होता है.'
महिला आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक में दीपा की उपलब्धियां
- एशियन चैम्पियनशिप-2024 में गोल्ड
- वर्ल्ड कप 2018 में गोल्ड
- वर्ल्ड कप 2018 में ब्रॉन्ज
- एशियन चैम्पियनशिप 2015 में ब्रॉन्ज
- कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में ब्रॉन्ज
दीपा ने बताया संन्यास लेने का कारण
दीपा ने लेटर में बचपन की कहानी भी बयां की है. साथ ही अपनी पोस्ट में दीपा ने संन्यास का कारण भी बताया है. उन्होंने लिखा, 'मेरी आखिरी जीत एशियन जिम्नास्टिक चैम्पियनशिप ताशकंद एक टर्निंग पॉइंट था. मुझे तब तक लगा कि मैं अपनी बॉडी को और पुश कर सकती हूं. लेकिन कभी-कभी हमारा शरीर बताता है कि आराम का वक्त आ गया है. लेकिन दिल अभी भी नहीं मानता है.'