मास्टर ब्लास्टर सचिन रमेश तेंदुलकर गुरुवार (24 अप्रैल) को 52 साल के हो गए. सचिन ने महज 16 साल और 205 दिन की छोटी सी उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा था. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 24 साल तक अपने खेल से दुनिया भर के क्रिकेट फैन्स का भरपूर मनोरंजन किया. इस अद्भुत सफर के दौरान सचिन ने इतने कीर्तिमान बना डाले कि उन्हें 'क्रिकेट के भगवान' का दर्जा दे दिया गया.
सचिन की बाउंसर ने बल्लेबाज को किया लहूलुहान
सचिन तेंदुलकर ने अपनी बल्लेबाजी से बड़े-बड़े गेंदबाजों के पसीने छुड़ाए, वहीं उनकी गेंदबाजी का भी कोई जवाब नहीं था. शुरुआत में सचिन एक तेज गेंदबाज बनना चाहते थे, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज डेनिस लिली की सलाह के बाद उन्होंने बैटिंग में पूरा ध्यान लगाया. सचिन ने तो एक मुकाबले में ऐसी बाउंसर डाली थी, जिससे बल्लेबाज की नाक टूट गई थी. 20 अप्रैल 1991 को दिल्ली और मुंबई के बीच रणजी मुकाबले के दौरान ये वाकया हुआ था.
तब दिल्ली की दूसरी पारी के दौरान सचिन तेंदुलकर की शॉर्ट पिच गेंद बंटू सिंह को जा लगी थी. बंटू 1980 और 90 के दशक में दिल्ली की बल्लेबाजी के स्तंभ थे. वो गेंद इतनी खतरनाक थी कि बंटू सिंह के नाक से खून बहने लगा. फिर बंटू को कोटला के ठीक पीछे संजीवन अस्पताल ले जाया गया और पता चला कि उनकी नाक में कई फ्रैक्चर हैं, जिसके लिए सर्जरी की नौबत आ गई. बंटू सिंह को कम से कम दो महीने तक तरल आहार पर रहना पड़ा था.
बंटू सिंह उस वाकये को लेकर कहते हैं, "मेरी नाक का नक्शा बदल गया, तेंदुलकर के उस बाउंसर के बाद अब मेरे पास एक नई नाक है. उस मैच के लिए हमने कोटला में घसियाली पिच तैयार करने की कोशिश की थी, जिससे तेज गेंदबाजों को उछाल मिले. लेकिन बाद में यह बल्लेबाजों के लिए स्वर्ग बन गया. हमारे तेज गेंदबाज संजीव शर्मा और अतुल वासन ने अपना आखिरी सत्र खेल रहे दिलीप वेंगसरकर को कुछ बाउंसर फेंके थे. मुझे याद है कि कम से कम दो मौकों पर अतुल की शॉर्ट पिच गेंदें दिलीप भाई के सीने पर लगीं, ऐसे में छींटाकशी शुरू हो गई."
बंटू सिंह ने आगे कहा, "मुझे यह चोट दूसरी पारी में लगी थी. पहली पारी में मैंने शतक बनाया था और महज औपचारिकता वाली दूसरी पारी में मैंने तेंदुलकर के खिलाफ चौका जड़ा, लेकिन उनकी अगली गेंद घास पर टप्पा खाकर उछाल लेती हुए तेजी से मेरी ओर आई, मैंने पुल शॉट खेला और गेंद बल्ले का किनारा लेते हुए नाक पर जा लगी. यह चोट इतनी गंभीर थी कि मैंने अपना संतुलन खो दिया. संजय मांजरेकर स्लिप से दौड़कर मेरे पास पहुंचे और मुझे गिरने से बचाया. मेरा और मांजरेकर दोनों का शर्ट खून से लाल हो गया था."
सचिन ने यूं दिखाई थी दरियादिली...
हालांकि बंटू सिंह सचिन तेंदुलकर की इंसानियत को अब भी नहीं भूले हैं. उन्होंने कहा, "मुंबई की टीम मैच समाप्त होने के बाद उसी शाम को चली गई थी, रात के लगभग 11 बजे थे कि हमारे लैंडलाइन की घंटी बजी और मेरे पिताजी ने उठाया. वो फोन सचिन तेंदुलकर ने किया था. पता नहीं उन्होंने मेरा फोन नंबर कैसे ढूंढा. उन्होंने मेरे उसने पिताजी से पूछा कि मैं कैसे हूं डॉक्टर क्या कह रहे हैं? बाद में जब भी हम मिलते थे, तो वह पूछते थे 'नाक ठीक है न तेरा'."
उस दौर में मुंबई और दिल्ली की प्रतिद्वंद्विता चरम पर थी और दोनों टीमों के बीच कांटे का मुकाबला होता था. दिल्ली की टीम पहली पारी में पिछड़ने के चलते उस क्वार्टर फाइनल मुकाबले को गंवा बैठी और उसे खिताबी रेस से बाहर होना पड़ा था. मुंबई के 390 रनों के जवाब में दिल्ली ने पहली पारी में 389 रन बनाये थे. फिर दूसरी पारी में मुंबई ने संजय मांजरेकर, तेंदुलकर और चंद्रकांत पंडित के शतकों की मदद से विशाल स्कोर खड़़ा किया था.
24 तारीख से सचिन का स्पेशल कनेक्शन
देखा जाए तो सचिन तेंदुलकर का 24 तारीख से कुछ खास कनेक्शन रहा है. साल 1988 में 24 फरवरी के दिन सचिन ने अपने बचपन के यार विनोद कांबली के साथ हैरिस शील्ड के सेमीफाइनल में तीसरे विकेट के लिए नाबाद 664 रनों की साझेदारी पूरी की थी. उस पार्टनरशिप के दौरान सचिन 326 और कांबली 349 रनों पर नाबाद रहे थे.
फिर 24 नवंबर 1989 को सचिन ने 16 साल की उम्र में अपने टेस्ट करियर की पहली हाफ सेंचुरी (59 रन) बनाई थी. साल 1995 में 24 मई को सचिन तेंदुलकर और अंजलि शादी के बंधन में बंधे थे. यही नहीं 24 फरवरी 2010 को सचिन ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ ग्वालियर वनडे में दोहरा शतक भी जड़ा था.
सचिन का ऐसा रहा इंटरनेशनल रिकॉर्ड
सचिन तेंदुलकर ने 200 मैचों के बेहद लंबे टेस्ट करियर में 53.78 की औसत से 15921 रन बनाए. इस दौरान उनके बल्ले से 51 शतक और 68 अर्धशतक निकले. वहीं सचिन के नाम 463 वनडे इंटरनेशनल मुकाबलों में 44.83 की एवरेज से 18426 रन हैं, जिसमें 49 शतक और 96 अर्धशतक शामिल रहे.
सचिन तेंदुलकर ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ एकमात्र टी20 इंटरनेशनल मुकाबला खेला, जिसमें उन्होंने 10 रन बनाए. सचिन इंटरनेशनल क्रिकेट में 100 शतक लगाने वाले दुनिया के इकलौते बल्लेबाज हैं. सचिन ने गेंदबाजी में भी कमाल दिखाते हुए 201 विकेट अपने नाम किए. साल 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ वानखेड़े में आयोजित टेस्ट मुकाबले के बाद उन्होंने अपने शानदार करियर पर विराम लगाने की घोषणा की.