दिग्गज बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने कुछ समय पहले ही क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट से संन्यास लेने की घोषणा की थी. 37 वर्षीय पुजारा भारतीय टीम के भरोसमंद बल्लेबाजों में से एक रहे हैं. उन्होंने भारतीय टीम के लिए टेस्ट क्रिकेट में कुछ ऐसी पारियां खेलीं, जो हमेशा फैन्स के जेहन में रहने वाली हैं.
वैसे चेतेश्वर पुजारा का करियर एक समय इंजरी के चलते पटरी से उतर सकता था, लेकिन वो उससे उबरने में सफल रहे थे. इस घटना का जिक्र पुजारा की पत्नी पूजा ने अपनी किताब 'द डायरी ऑफ़ अ क्रिकेटर वाइफ' में किया है. यह घटना साल 2009 की थी. तब पुजारा सिर्फ 21 साल के थे और कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) की टीम में चुने गए थे.
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उस समय सभी को लग रहा था कि चेतेश्वर पुजारा का इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में शानदार आगाज होने वाला है. लेकिन एक प्रैक्टिस मैच में कैच पकड़ते समय उनका घुटना बुरी तरह चोटिल हो गया. इस दौरान उनका ACL (एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट) फट गया. पुजारा ने तब केकेआर के लिए एक भी मैच नहीं खेला था और ये चोट उनका करियर तबाह कर सकती थी. उनकी चोट इतनी गंभीर थी कि सर्जरी जरूरी हो गई थी.
शाहरुख और केकेआर ने ऐसे की मदद
चोट लगने के तुरंत बाद केकेआर मैनेजमेंट और टीम के सह-मालिक शाहरुख खान ने चेतेश्वर पुजारा की पूरी जिम्मेदारी ली. केकेआर ने न सिर्फ उनकी सर्जरी का पूरा खर्च उठाया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि उन्हें सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा मिले. केकेआर की ओर से पुजारा को साउथ अफ्रीका के केप टाउन में इलाज कराने की व्यवस्था की गई, जहां स्पोर्ट्स इंजरी के विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध थे.
चेतेश्वर पुजारा के पिता शुरुआत में अपने बेटे को विदेश भेजने को लेकर असमंजस में थे क्योंकि उनके पास पासपोर्ट नहीं था और वे उनका राजकोट में ही इलाज करवाना चाहते थे. लेकिन शाहरुख खान ने व्यक्तिगत रूप से पुजारा के पिता को आश्वस्त किया कि उनका बेटा भारतीय टीम के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और उन्हें सर्वश्रेष्ठ इलाज मिलना चाहिए. शाहरुख ने यहां तक कहा कि परिवार के किसी भी सदस्य या राजकोट वाले डॉक्टर को भी वे साउथ अफ्रीका भेजेंगे, ताकि पुजारा अकेला महसूस न करें.
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कुछ ही दिनों में पासपोर्ट और वीजा की औपचारिकताएं पूरी कर ली गईं और चेतेश्वर पुजारा की सफलतापूर्वक सर्जरी हुई. इसके बाद उन्होंने लंबा रिहैब किया और भारतीय टीम में जगह बनाई. हालांकि आईपीएल में पुजारा का सफर अधिक लंबा नहीं चला, लेकिन वह आगे चलकर भारत के लिए ऐतिहासिक और मैच जिताऊ टेस्ट पारियां खेलते हुए टीम के स्तंभ बने.
यह कहानी दिखाती है कि समय पर मिली मदद और इंसानियत किसी भी खिलाड़ी या इंसान के करियर को किस तरह संवार सकती है...